यह तो सीधा-सीधा ‘ संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ ’ – पर्ल चौधरी
गुरुग्राम मेयर की ‘सलाहकार नियुक्ति’ पर कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी कड़वा सवाल
निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पतियों की अप्रत्यक्ष हाउस एंट्री
मानेसर निगम सहित अन्य निर्वाचित महिला अध्यक्षों के लिए विकल्प दिया
यह मानवीय स्वभाव, महिला पति की सलाह को ही देती अधिक प्राथमिकता
सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी के पास योग्य महिला या सक्षम अधिकारी का अभाव
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । गुरुग्राम नगर निगम मेयर के सलाहकार की हालिया नियुक्ति । जहाँ भाजपा टिकट पर निर्वाचित मेयर श्रीमती राजरानी मल्होत्रा के पति तिलक राज मल्होत्रा को ‘सलाहकार’ पद पर गुरुग्राम नगर निगम कमिश्नर के द्वारा नियुक्ति की मंजूरी दे दी गई है । इस प्रकार की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट एवं कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री पर्ल चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस प्रकार की नियुक्ति किए जाने की मंजूरी दिए जाने को भाजपा द्वारा बार-बार विपक्ष पर लगाए जाने वाले ‘परिवारवाद’ के आरोपों की असलियत बताते हुए “दोहरे मापदंडों” का जवलंत उदाहरण करार दिया।
पर्ल चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि गुरुग्राम निगम हाउस में इस प्रकार की नियुक्ति के बाद से मानेसर नगर निगम सहित अन्य निकाय निकाय चुनाव में चुनी गई महिला प्रमुखों के लिए भी एक नया विकल्प भाजपा सरकार और संबंधित निकाय अधिकारियों के द्वारा उपलब्ध करवा दिया गया है । एक तरफ तो नियम और कानून बताया जाता है कि हाउस में केवल और केवल चुनी गई महिला जनप्रतिनिधि ही बैठक में शामिल रहेंगी। दूसरी तरफ सीधे-सीधे संबंधित महिला जनप्रतिनिधि के सहायक के तौर पर उनके पति को हाउस में बैठने अथवा प्रवेश करने का एक बैक डोर भाजपा की नीति और नियत ने खोल दिया है । दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह मानवीय स्वभाव आरंभ से ही चल रहा है कि महिला अधिकांश का महत्वपूर्ण मामलों में अपने पति की सलाह को ही प्राथमिकता देना अपनी प्राथमिकता में शामिल रखती रही है।
उन्होंने कहा “जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी संसद से लेकर पंचायतों तक ‘परिवारवाद’ पर हमलावर होते हैं। तब भाजपा शासित निकायों में इसी प्रवृत्ति को खुलेआम बढ़ावा देना भाजपा की कथनी और करनी का अंतर उजागर करता है।” कांग्रेस नेत्री श्रीमती चौधरी ने सवाल उठाया दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी होने की दावेदार भाजपा में क्या ऐसे योग्य और अनुभवी महिला कार्यकर्ता या फिर अधिकारी भी नहीं है ? जो कि निगम परिषद अथवा स्थानीय निकाय जैसे संस्थान की महिला प्रमुख का सहायक बने की योग्यता रखती हो। उन्होंने महिला आरक्षण के मूल उद्देश्य को याद दिलाते हुए कहा कि यह संवैधानिक प्रावधान महिलाओं को निर्णय-प्रक्रियाओं में वास्तविक भागीदारी देने के लिए लाया गया था, न कि उन्हें महज़ एक ‘फेस’ बनाकर उनके परिवारजनों को सत्ता की अपरोक्ष बागडोर सौंपने के लिए।
सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट एवं अनुभवी पॉलिटिशियन श्रीमती पर्ल चौधरी ने कहा “मेयर के पति के अलावा अन्य किसी सामान्य व्यक्ति को (सरकारी अधिकारियों को छोड़कर) किसी सरकारी दस्तावेज़ या निर्णय प्रक्रिया में संवैधानिक रूप से कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में उनकी ‘सलाहकार’ नियुक्ति एक छलावा है—जनता के साथ, संविधान के साथ और महिला सशक्तिकरण की अवधारणा के साथ।” गुरुग्राम की बदहाल बुनियादी सुविधाओं की ओर इशारा करते हुए पर्ल चौधरी ने कहा कि शहर को इस समय पानी, सीवेज और कूड़ा प्रबंधन के विशेषज्ञों की ज़रूरत है, न कि “राजनीतिक सहायकों” की। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर भाजपा को अपने ही परिवार में योग्यतम लोग मिलते हैं, तो क्या मुख्यमंत्री श्री नायब सैनी जी की पत्नी को भी उनका सलाहकार बना दिया जाए? क्या प्रधानमंत्री जी की पत्नी को भी देश की नीतियों में ‘सलाह’ देने का संवैधानिक हक़ मिलना चाहिए? उन्होंने इस प्रकार की नियुक्ति को पुरुषप्रधान मानसिकता का प्रतिबिंब बताया और कहा कि यह नियुक्ति न केवल महिला सशक्तिकरण के सिद्धांत के खिलाफ है । बल्कि यह जनता के विश्वास और लोकतांत्रिक मर्यादा के साथ भी विश्वासघात है।
अंत में पर्ल चौधरी ने कहा “ गुरुग्राम के नागरिक अब परिवारवाद नहीं, पारदर्शिता और न्याय की माँग कर रहे हैं। मैं बड़े सम्मान से श्री तिलक राज मल्होत्रा जी से अपील करती हूँ कि वे इस पद से इस्तीफा देकर किसी योग्य, विशेषज्ञ और निष्पक्ष व्यक्ति को मौका दें, ताकि गुड़गांव की गहराती समस्याओं का समाधान ईमानदारी से खोजा जा सके।” कांग्रेस की यह माँग है कि इस नियुक्ति की तत्काल समीक्षा हो और मेयर महोदया अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें, ताकि गुड़गांव नगर निगम की गरिमा और जनता की आकांक्षाएं सुरक्षित रह सकें।