नागल में श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन
🅿️देव रूपी अतिथि का करें सत्कार: मनोज शास्त्री
⭕नागल
सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य मनोज शास्त्री ने कहा कि अतिथि सत्कार से मनुष्य के संस्कारों का पता चलता है, जो मनुष्य अपने यहां आए अतिथि को भोजन कराने से पहले स्वयं भोजन करता है वह पाप का भागी बनता है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित प्रगीत कौशिक के सानिध्य में आचार्य मनोज शास्त्री ने कहा कि अतिथि देवो भव अर्थात हमारे यहां आने वाला अतिथि देवता के समान होता है, अतिथि का अपमान किसी भी स्थिति में न करें। उसका अपमान करना अपने देवता अपने भगवान का अपमान करना है। उन्होंने विभिन्न प्रसंग सुनाते हुए कहा कि वर्तमान में जो समस्या है उसका समाधान भगवान पहले ही निकाल लेते हैं। कालांतर में जब भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया तब राजा कंस ने राक्षसी पूतना को कृष्ण का वध करने के लिए भेजा। पूतना ने अपनी दूधी पर जहर का लेपकर कृष्ण को पिलाना चाहा उसके पिलाते ही कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया तथा पूतना से कहा कि तूने ऐसा ही वर मांगा था कि मैं तुम्हें दूध पिलाऊं। अब मैंने इस रूप में तुम्हारा दूध भी पी लिया और जहर भी। इसी तरह जब कोई समस्या आती है तो भगवान उसका निदान ऐसे ही किया करते हैं। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान विभिन्न भजनों का श्रवण कराते हुए उन्होंने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कथा श्रवण करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक रही।
श्रद्धालुओं में पूर्व एमएलसी चौधरी गजे सिंह, गोविंद नामदेव, लक्ष्मीचंद भगत जी, पंकज कुमार, ज्ञानदास, रोहित कुमार, विजय कुमार, विमला, सुदेशना, संजीव कुमार, सनी, कार्तिक आदि रहे।
रिपोर्ट ओपी जैन संजीव विश्वकर्मा
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