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मन की शांति के बिना अध्यात्म का रास्ता नहीं मिलताः बीके प्रमिला

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मन की शांति के बिना अध्यात्म का रास्ता नहीं मिलताः बीके प्रमिला

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम, । ‘ईश्वर से जुड़ाव के लिए मन की शांति बहुत जरूरी है और मन की शांति के लिए तन या काया की शांति की जरूरत पड़ती है। यदि हमारे शरीर के किसी अंग में पीड़ा है तो निश्चय ही यह मन की शांति में बाधक है।‘ ये विचार ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बीके प्रमिला बहन ने फरुखनगर में वेलनेस फिजियोथेरेपी क्लिनिक केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी एक ऐसा माध्यम है जिसमें बाहर से किसी औषधि को देने की जरूरत नहीं पड़ती अपितु शरीर के अंगों की कसरत आदि के द्वारा काया की पीड़ा को दूर किया जाता है। प्रमिला बहन ने कहा कि शरीर को पीड़ा या दर्द रहित बनाने में यह पद्धति काफी कारगर बताई जाती है। उन्होंने कहा कि कि काया में शांति होने पर मन की शांति आएगी और फिर व्यक्ति चाहे तो उसके लिए आध्यात्मिक शांति की तरफ जाना आसान हो जाता है।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए जाने-माने फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. सज्जन पाल ने कहा कि आज की भगदौड़ की जिंदगी में फिजियोथेरेपी चिकित्सा लोगों की जरूरत बनकर उभरी है। उन्होंने कहा कि इस चिकित्सा पद्धति की विशेषता यह है कि इसमें बिना किसी दवाई, इंजेक्शन या सर्जरी के रोगों को सामान्य एक्सरसाइज के द्वारा ठीक किया जाता है। डॉ. सज्जन ने कहा कि फीजियोथेरेपी चिकित्सा का शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी के माध्यम से पीठ दर्द, घुटनों का दर्द, गर्दन दर्द, स्पोंडिलोसिस, पीआईवीटी, वर्टिज, कंधों का जाम होना, एड़ी का दर्द, साइटिका रोग, न्यूरोलॉजिकल समेत कई रोगों का इलाज किया जाता है। डॉ. सज्जन ने कहा कि किसी वजह से हड्डी में मोच आने के बाद इलाज के पश्चात शरीर के उस अंग को पहले की तरह सक्रिय बनाने में फीजियोथेरेपी चिकित्सा की बड़ी भूमिका होती है। डॉ. सज्जन पाल ने आशा व्यक्त की कि फर्रुखनगर बस स्टैंड के पास खुला वेलनेस फीजियोथेरेपी क्लिनिक केंद्र लोगों की सेवा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उद्घाटन के अवसर पर व्यापार मंडल के अध्यक्ष पवन जैन, जय भगवान,बीरबल सैनी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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