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… तो फिर डालो अवैध कॉलोनी काटने वालों के गिरेबान में हाथ !

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सीधी और खरी बात

… तो फिर डालो अवैध कॉलोनी काटने वालों के गिरेबान में हाथ !

रजिस्ट्री करते हुए और स्टांप ड्यूटी लेते क्यों नहीं कंापके हाथ

पीएम मोदी का दावा 2022 तक प्रत्येक सिर को मिलगी छत

फर्रुखनगर में फिर से ढ़हाये गए सैकड़ों निर्माण-आवास

फतह सिंह उजाला ।
पटौदी । 
  पीएम मोदी के द्वारा वादा किया गया है कि 2022 तक हर सिर को छत उपलब्ध करवा दी जाएगी । पीएम मोदी का यह वादा पूरा हो या ना हो ? लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि अब जब अधिकारी अवैध कालोनियों और यहां पर आम आदमी के खून पसीने की कमाई से बनाए गए मकान आवास निर्माण को मस्त हाथी की तरह ढ़हाने लग रहे हैं , तो ऐसे जांबाज दिलेर अधिकारी सबसे पहले उन प्रॉपर्टी डीलरों , रजिस्ट्री करने वाले अधिकारियों और सरकार के लिए राजस्व वसूलने वाले अधिकारियों के खिलाफ सबसे पहले मुकदमा दर्ज करने का साहस क्यों नहीं दिखा रहे ।

कहावत भी है कि चोर को क्या सीधा चोर की मां को ही मारो । इस कहावत में बहुत गहरा भाव भी छिपा है । डीटीपी डिस्टिक टाउन प्लानर विभाग के द्वारा और विभाग के अधिकारियों के द्वारा कथित रूप से चुन-चुन कर अवैध कॉलोनियों में एक आम आदमी, किसी सेवानिवृत्त सैनिक, किसी सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी या फिर किसी अन्य मजबूरी के कारण अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद बेचकर नए स्थान पर बनाए जा रहे आवास निर्माण मकान को मस्त हाथी की तरह तोड़ने का सिलसिला बीते कई दिनों से चला हुआ है । अधिकारी भी नेताओं की तरह भाषा बोलते हुए यह कहते नहीं थकते की जिन लोगों के यह प्लाट अथवा मकान हैं या जिन्होंने रजिस्ट्री करवाई है उन लोगों से ऐसे लोगों का मालूम किया जाएगा जिनके द्वारा यह प्लाट बेचे गए और फिर मुकदमे दर्ज किए जाएंगे ।

क्या ऐसा संभव है कि आज तक कहीं उल्टी गंगा वही है ? खऱा और सीधा सवाल ,लाख टके की बात यही है कि जिला योजनाकार विभाग और इसके आला अधिकारियों के हाथ सबसे पहले अवैध कॉलोनी काटने वालों के गिरेबान में जाने से पहले क्यों कांपने लगते हैं ? यदि पहले ही अवैध रूप से कॉलोनी काटने वाले कथित उच्च राजनीतिक संरक्षण प्राप्त प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने के साथ-साथ जिस जमीन पर कॉलोनियां काटी गई अथवा काटी जा रही है ,उनको ही विभाग अपने तमाम कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए जब्त कर ले तो उम्मीद की जा सकती है , शायद किसी हद तक आम गरीब आदमी, कोई सेवानिवृत्त फौजी ,कोई सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी अपने जीवन भर की खून पसीने की कमाई से बनाए जा रहे मकान को  ताश के पत्ते की तरह धूल में मिलते हुए शायद नहीं देख सके । शुक्रवार को भी फर्रूखनगर क्षेत्र में करीब दो दर्जन अवैध कालोनियों में जबरदस्त तरीके से पीले हाथी के कहर ने लगभग 200 डीटीपी, प्रॉपर्टी डीलरों के आफिस,ं निर्माणाधीन मकान अथवा पूरी तरह से बनाएं चुके आवासों को खंडहर बना कर छोड़ दिया।

विभाग और विभाग के अधिकारी अपने फर्ज के धर्म का पालन करने से बंधे हुए हैं ,लेकिन यह भी कटु सत्य है कि हाथ खुले हुए भी हैं । बशर्ते इन हाथों में इतनी ताकत और सामर्थ्य भी होना चाहिए की अवैध कॉलोनी को आबाद करने के लिए प्लाटों की रजिस्ट्री किए जाने के समय ही यही हाथ उन तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों के गिरेबान तक क्यों नहीं पहुंचते? जोकि मजे से सरकारी दफ्तर में बैठकर प्लाटों की रजिस्ट्री आ करते आ रहे हैं । वास्तव में धोखा तो कॉलोनी काटने वाले और कथित रूप से प्लाटों की रजिस्ट्री करने वाले ही जमीनों के छोटे-छोटे टुकड़े खरीदने वालों के साथ कर रहे हैं । आज का दौर तो वैसे भी तकनीक का दौर है । ऐसा भी संभव नहीं कि इस तकनीक के दौर में संबंधित अधिकारियों की टेबल पर रखे कंप्यूटर में वह डाटा उपलब्ध ही ना हो कि किस स्थान पर कौन सा निर्माण अवैध है और कौन सा निर्माण वैध है ? शुक्रवार को फर्रुखनगर तहसील क्षेत्र के अधीन बावरिया मोहल्ले के समीप जोनियावास और भी स्थानों पर अवैध कॉलोनियों के नाम पर वहां बनाए जा रहे अथवा निर्माणाधीन मकान आवास को पीले पंजे की ताकत से पूरी तरह धराशाई कर दिया गया । इस दौरान महिलाएं ,स्थानीय निवासी व अन्य लोग जिला जिला योजनाकार विभाग के अधिकारियों के सामने गिड़कगड़ाते रहे , लेकिन वहां तो एक ही बात की जिद देखी गई कि अवैध कॉलोनी में अवैध निर्माण किया हुआ है ? जरूरत इस बात की है कि इस प्रकार के अवैध आरंभ होने वाले काम पर ही सबसे पहले लगाम कसने की जरूरत है।

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