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भारत के  कॉर्पोरेट परिवेश में पूर्व सैन्य अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण – ज्ञानेश्वर कुमार 

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भारत के  कॉर्पोरेट परिवेश में पूर्व सैन्य अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण – ज्ञानेश्वर कुमार 

सशस्त्र दक्षता और उत्पादकता का उपयोग राष्ट्र निर्माण कॉर्पोरेट क्षेत्र में हो

सुशासन, नैतिकता एवं ईमानदारी – सशस्त्र बलों में पहले से  ही मौजूद 

प्रमाणन कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के 30 वरिष्ठ अधिकारियों ने की सहभागिता

प्रतिभागियों से उद्यमिता विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम, 17 मई। भारतीय कॉर्पोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) ने रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) के सहयोग से वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के लिए द्वितीय बैच का स्वतंत्र निदेशक प्रमाणन कार्यक्रम 5 से 16 मई  तक आईआईसीए परिसर, मानेसर, गुरुग्राम में आयोजित किया।

 प्रतिभागियों को कॉर्पोरेट गवर्नेस की वैचारिक और नियामक समझ प्रदान करने, स्वतंत्र निदेशक की भूमिका और जिम्मेदारियों से परिचित कराने तथा उन्हें कॉर्पोरेट बोर्ड में प्रभावी योगदान देने के लिए सक्षम बनाने के उद्देश्य से आयोजित इस दो सप्ताह के प्रमाणन कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के 30 वरिष्ठ अधिकारी एयर मार्शल, वाइस एडमिरल, रियर एडमिरल, एयर वाइस मार्शल, मेजर जनरल, ब्रिगेडियर, कर्नल और ग्रुप कैप्टन -शामिल हुए।

समापन सत्र को लेफ्टिनेंट जनरल एसबीके सिंह, एसएम – महानिदेशक, डीजीआर तथा वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन ने संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों में कार्यानुभव और कॉर्पोरेट दुनिया में भूमिका के बीच कई समानताएं हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि कॉर्पोरेट जगत में सुशासन की पूर्व आवश्यकताएं नैतिकता एवं ईमानदारी – सशस्त्र बलों में पहले से मौजूद हैं, और इन गुणों के साथ उनके व्यापक अनुभव एवं कौशल उन्हें कॉर्पोरेट क्षेत्र में परिवर्तन के वाहक बनाते हैं।

आईआईसीए के महानिदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञानेश्वर कुमार सिंह जिनकी अध्यक्षता में समापन सत्र आयोजित किया गया था। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 

 भारत के उभरते कॉर्पोरेट परिवेश में पूर्व सैन्य अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सशस्त्र बलों द्वारा प्राप्त दक्षता और उत्पादकता का उपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र में किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इन अधिकारियों की क्षमताओं का उपयोग ऐसे क्षेत्रों में किया जाना चाहिए जो उनके अनुभवों के पूरक हों, जिससे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की प्राप्ति संभव हो सके। उन्होंने प्रतिभागियों से उद्यमिता विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही, जिससे न केवल पूर्व सैनिकों बल्कि समूचे देश के लिए रोजगार सृजन किया जा सके। विशेष रूप से उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित किया।

इस दौरान आईआईसीए के स्कूल ऑफ कॉर्पोरेट गवर्नेस एंड पब्लिक पॉलिसी के प्रमुख डॉ. नीरज गुप्ता ने सार्वजनिक शासन, सैन्य शासन और कॉर्पोरेट शासन के बीच समरूपता और विषमता के बिंदुओं पर प्रकाश डाला। प्रमाणपत्र वितरण समारोह और कार्यक्रम संचालन का दायित्व डॉ. अनिंदिता चक्रवर्ती, प्रमुख अनुसंधान सहयोगी, आईआईसीए तथा सीएस आशीष कुमार, वरिष्ठ अनुसंधान सहयोगी, आईआईसीए ने निभाया।

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