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वापिस लौटे मानसून ने बर्बाद कर दी बाजरे की फसल

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वापिस लौटे मानसून ने बर्बाद कर दी बाजरे की फसल

मंडी में बिक्री के लिए लाने से पहले खेत में ही अंकुरित हुआ बाजरा

न बिकने लायक, न खाने लायक और जलाने लायक बची बाजरा फसल

सबसे अधिक संवेदनशील फसल, सरकार 1 अक्टूबर से करेगी खरीद

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 अचानक वापस लौटे मानसून ने किसान वर्ग की बाजरे की फसल को पूरी तरह से चौपट कर डाला है । बीते 3 दिनों से पटौदी फर्रूखनगर सहित आसपास के इलाके में हो रही बरसात के कारण शहरी क्षेत्र में जल भराव के अलावा देहात के इलाके में बाजरे की खड़ी फसल के खेत बरसाती पानी के कारण तालाब बन चुके हैं। मौसम में नमी और धूप नहीं निकलने सहित लगातार हो रही बरसात के कारण तालाब बने खेतों से पानी सूखना निकट भविष्य में संभावित भी नहीं है।

हालांकि भारतीय किसान संघ व अन्य किसान प्रतिनिधि मंडलों के द्वारा विभिन्न माध्यमों से अपने अपने मांग पत्र सहित सरकार को ज्ञापन सौंपकर बिना देरी किए बाजार खरीद शुरू करने की मांग की जा चुकी है । भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष सतीश छिकारा और भारतीय किसान संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मास्टर ओम सिंह चौहान के मुताबिक राज्य सरकार को सितंबर माह के मध्य में ही बाजरे की खरीद आरंभ कर देनी चाहिए । लेकिन बीते वर्षाे की तरह इस बार भी सरकार के द्वारा 1 अक्टूबर से बाजरा की सरकारी खरीद करने की घोषणा की गई ं। बीते वर्ष भी बाजरा की खरीद अक्टूबर माह के पहले सप्ताह के अंतिम दिनों में आरंभ हो सकी थी।

बाजरा के अलावा ज्वार और कपास की फसल को भी लगातार हो रही बरसात के कारण भारी नुकसान हो चुका है  हरियाणा सरकार को बाजरा  की सरकारी खरीद आरंभ होने से पहले बिना देरी किए बरसात के कारण बर्बाद हो चुकी बाजरा सहित अन्य फसलों की गिरदावरी के निर्देश देते हुए , इसकी गिरदावरी का कार्य आरंभ करवा देना चाहिए। जिससे कि किसानों को अपनी फसल का बीमा योजना सहित सरकारी योजना के तहत उचित मुआवजा जल्द से जल्द प्राप्त हो सके।  बीमा योजना के तहत बर्बाद हो चुकी बाजरा व अन्य फसलों की औपचारिकता पूरी करने में ही काफी समय लग जाता है । बाजरा वास्तव में किसान परिवार के लिए एक नकदी फसल है । क्योंकि बाजरा की बिक्री से प्राप्त होने वाले पैसे के बाद किसान परिवार नवरात्र में पूजन के कार्य सहित अन्य प्रकार के पारिवारिक कार्यों को पूरा करते हैं।

बीते 3 दिनों से लगातार हो रही बरसात के कारण पटोदी , फर्रूखनगर सहित आसपास के इलाके में शायद ही कोई गांव और किसान का खेत ऐसा दिखाई दे, जहां पर बरसाती पानी भरा हुआ नहीं हो । बहुत से किसानों के द्वारा बाजरा के दाने सिट्टा से निकालने के लिए काटने के बाद खेत में ही रख कर छोड़ दिए गए । खेतों में रखा कटा बाजरा या फिर कटाई के लिए खड़ा हुआ बाजरा के सीट्टे बरसाती पानी में भीगने के बाद अंकुरित हो चुके हैं । अब ऐसे में लाख टके का सवाल यही है कि बरसात में भीगने के बाद किसान के खेत में जो बाजरा अंकुरित हो रहा है, उसकी खरीद कौन करेगा ? या फिर उस बाजरे का किस प्रकार से उपयोग किया जा सकेगा।  यही सबसे बड़ी चिंता और सवाल किसानों के सामने बना हुआ है।

किसान वर्ग बाजरा, ज्वार, कपास की फसल की बर्बादी को देख त्राही त्राही कर उठा है । खेत में ही उगी और घरों में एकत्रित बाजरे की फसल अंकुरित हो गई है। किसानों की माने तो उनकी फसल अधिक बरसात और जलभराव से नष्ट हो गई है। अगर सरकार ने नष्ट हुई फसल की विशेष गिरदावरी करवा कर मुआवजा नही दिया तो किसान कर्ज में डूब जाएगा । क्षेत्र के किसान सुरेश चन्द गुरावलिया, शिवलाल यादव, महेन्द्र यादव, राव सुरेन्द्र सिहं खेडा, कालु सैनी आढ़ती, गुलाब सिहं यादव, जयचन्द यादव, राकेश शर्मा, विनोद प्रजापति आदि किसानों का कहना है कि पिछ्ले चार पांच दिनों से लगातार हो रही बरसात ने उनकी बाजरे , कपास आदि की फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया है ।

खेतो में खड़ी फसल में भरा हुआ बरसात के पानी से फसल का गलना शुरू हो गया है। घरो में एकत्रित की गई फसल भी खराब मौसम के कारण अंकूरित हो गई है। इन दिनो हालत यह है किसान व आमजन घरों में पेक होकर रह गए है । जल, जंगल एक़ हो गए है । अगर सरकार ने गिरदावरी करवा कर मुआवजा नही दिया तो किसान  कर्ज़ में तो डूब ही जाएंगे बल्कि बरर्बाद भी हो जाएंगें ।

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