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राजसत्ता अपने पथ से भटके, सत्ता, धर्मसत्ता के हाथों उचित: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

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राजसत्ता अपने पथ से भटके, सत्ता, धर्मसत्ता के हाथों उचित: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द
सन्तों का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं

शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द ने दो टूक कहा कि राजनीति किसी की बपौती नहीं

सरकार देश में जिहाद की फैक्टरी बने मदरसों का संचालन प्रतिबंधित करे

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
जब राजसत्ता अपने पथ से भटक जाती है, तो धर्मसत्ता का कर्तव्य एवं दायित्व होता है कि राजसत्ता को सही मार्ग पर लाने का प्रयास करे। इसके लिए आवश्यक होने पर सत्ता का संचालन भी धर्मसत्ता को अपने हाथ में लेना उचित है, अर्थात् सन्तों का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनना किसी भी दृष्टि से गलत नहीं है । यह कोई नयी परम्परा नहीं, प्रमाण है जब राजा ब्रेन राजसत्ता के मद में मदमस्त हो गया तो धर्मसत्ता (सन्तों ने) राजा ब्रेन का प्राणोत्सर्ग करा कर उसके शरीर का मंथन कर नया राजा दिया था । राजनीति किसी की बपौती नहीं है । यह बात काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने त्रिवेणी मार्ग स्थित शिविर में चर्चा करते हुए कही।

शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने कहा कि भारत तभी सुरक्षित एवं भारत है, जब तक यहाँ सनातन धर्मावलम्बी बहुसंख्यक हैं । इसीलिए विधर्मियों के निशाने पर सदैव सनातनधर्मी, सनातन मानबिंदु, सनातन संस्कृति एवम् सनातन परम्परा रही है, और आज भी है । भारत को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को तत्काल धर्म परिवर्तन पर रोक लगानी चाहिए । समान नागरिक संहिता को लागू कर सरकार देश में जिहाद की फैक्टरी बन चुके मदरसों के संचालन को प्रतिबंधित करे। इसके साथ ही सबके लिए समान शिक्षा नीति बनाये तथा सबके लिए चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित करे।

शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज के निजी सचिव स्वामी बृजभूषणानन्द  महाराज   ने जारी एक वकत्वय में बताया है कि माघ मेला प्रयागराज में त्रिवेणी मार्ग स्थित शिविर में शंकराचार्य  नरेन्द्रानन्द का आगमन हुआ।  उनके यहां शिविर में पधारने पर पूज्य श्री के कृपापात्र शिष्य सार्वभौम विश्वगुरू स्वामी करुणानन्द सरस्वती  महाराज, स्वामी बृजभूषणानन्द जी महाराज, डा केदार नाथ दीक्षित, प्रदीप दूबे, पंडित विजय , शशांक धर द्विवेदी तथा अन्य शिष्यों तथा श्रद्धालुओं ने वैदिक विद्वानों के वेद मन्त्रोच्चारण के साथ माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया । अपने प्रवासकाल के दौरान शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द भक्त एवं् श्रद्धालुओं से दो घंटे मुलाकात के दौरान प्रतिदिन सनातन धर्म के सम्बन्ध में उनकी शंका एवं जिज्ञासा का समाधान कर मार्ग दर्शन प्रदान करेंगे।
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