Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

अमावस्या को जन्म लेने वाले व्यक्ति को अमावस्या दोष लगता है जानिए

13

अमावस्या को जन्म लेने वाले व्यक्ति को अमावस्या दोष लगता है जानिए

आप में से बहुत से लोगों ने किसी ज्योतिष या पंडित जी के मुँह से ये शब्द सुना होगा कि अमुक जातक अमावस का जन्मा है या इसे अमावस दोष है, जी हाँ दोस्तों आज में इसी दोष पर चर्चा करने जा रहा हूँ।

तो आईये सबसे पहले तो ये समझते हैं कि आखिर ये अमावस्या दोष होता क्या है।

दोस्तों जब भी सूर्य और चन्द्रमा कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ होते हैं तो वहां पर अमावस्या दोष बन जाता है, या अमावस का जन्म होता है। इस दोष को सर्वाधिक अशुभ दोषों में से एक माना जाता है, क्योंकि अमावस्या को चन्द्रमा दिखाई नहीं देता मतलब अन्धकार चन्द्रमा का प्रभाव छिण हो जाता है। क्योंकि चन्द्रमा को ज्योतिष में कुंडली का प्राण माना जाता है, और जब चन्द्रमा ही अंधकारमय हो जाये तो फिर आप लोग समझ सकते हो कि इंसान के मन की क्या स्थिति होगी।

और कहा भी गया है कि चन्द्रमा मनसो जातः। सूर्य आग है और चन्द्रमा पानी दोनों के तत्व अलग है, और मानव शारीर में अधिकतर जल ही तो होता है। सूर्य के साथ एक ही घर में होने से चन्द्रमा अधिकतर अस्त हो जाता है और इसकी अपनी कोई शक्ति नहीं रह जाती।

चन्द्रमा हमारे मन और मस्तिष्क पर अपना पूर्ण प्रभाव होता है, और नियंत्रण भी यही करता है, और जब चन्द्रमा ही कमजोर हो जाये तो फिर इंसान को कुछ समझ नहीं आता और वह अधिकतर मन के रोग से पीड़ित हो जाता है या फिर उसे कुछ समझ नहीं आता की आखिर ये हो क्या रहा है।

इंसान के शारीर और मस्तिष्क में या तो जल तत्व बढ़ जाता है या फिर बहुत कम हो जाता है और दोनों ही स्थितियां ख़राब होती हैं।

मन अधिकतर भटकता ही रहता है, दिमाग में अच्छे विचार कम और बुरे ज्यादा आने लगते हैं, दिमाग में भरम, वहम, गन्दी और हिंसक सोच, नकारात्मक विचार, जैसे यदि आप सफ़र कर रहे हैं तो अचानक सोच बन जायेगी कि कहीं एक्सीडेंट न हो जाये, या मैं मर न जॉन, यदि सिरदर्द 2- 4 दिन लगातार हो जाये तो ये सोचना कि कहीं ब्रेन ट्यूमर न हो रहा हो, चेस्ट में थोडा गैस या अन्य कारण से दर्द हो रहा हो तो ये सोचना की कहीं अटैक न आ रहा हो आदि आदि बुरे विचार, इन विचारों में मनुष्य इतना उलझ जाता है कि फिर इनसे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, ऐसे नकारात्मक विचार चंद्र के दूषित होने से आते हैं। बहुत से लोग बीमार तो नहीं होते लेकिन खुद के विचार उन्हें बीमार कर देते हैं।

यह सबसे अधिक प्रभाव मन पर ही डालता है दोस्तों, क्योंकि तन एक बार बीमार हो जाये तो वह तो ठीक हो जाता है लेकिन मन बीमार हो जाये तो फिर इससे निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि मन के जीते जीत और मन के हारे हार होती है, दोस्तों आप जानते ही होंगे फिल्मस्टार दीपिका पादुकोण भी डिप्प्रेशन में चली गयी थी, उनकी कुंडली में भी चन्द्रमा की स्थिति कमजोर थी, और वह बड़ी मुश्किल से इससे बाहर निकली थी, आखिर वो भी इंसान ही है।इसके अलावा ऐसे बहुत सी फ़िल्मी हस्तियां थी जो मानसिक तौर से बीमार हो गए थे। और फिर कई मसक्कत के बाद ही बाहर निकले थे, खैर ग्रह दोष तो सभी को एक सामान रूप से ही परेशान करते हैं।

दोस्तों इस दोष में माता पिता की आर्थिक स्थिति अधिकतर ख़राब ही रहती है, जातक भी जीवन भर आर्थिक तंगी से जूझता रहता है, एक तरह से दरिद्र बना देता है।

मान सम्मान गिर जाता है, मन अधिकतर उदासीन और बिना बात के परेशान रहता है, आत्मविश्वास की अधिकतर कमी हो जाया करती है। और अधिकतर जातक आलसी और वहमी हो जाता है॥

सर्वप्रथम सुबह उठकर सुद्ध होकर सूर्य देव को अर्घ देना चाहिए,

दूसरा- सूर्य और चंद्र से सम्बंधित दान करने चाहिए जैसे कि गेहूं, लाल और सफ़ेद कपडा, दूध, चावल, खीर, आदि जो भी इनसे सम्बंधित सामग्री हो।

तीसरा- शिव आराधना करें और शिवलिंग में कच्चा दूध और पानी में गंगाजल मिलाकर अभिषेक करें।व पूर्णिमा का व्रत करें।

चौथा- सूर्य एवम चंद्र की शांति कराएं और रोज एक माला चन्द्रमा की जपें।ऐसे करने से धीरे-धीरे दोष में कमी आने लगती है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading