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कस्टम में रास नहीं आ रहा नया भुगतान सिस्टम, उद्योगपतियों को हो रहा नुकसान: बुवानीवाला

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कस्टम में रास नहीं आ रहा नया भुगतान सिस्टम, उद्योगपतियों को हो रहा नुकसान: बुवानीवाला
-कस्टम में सॉफ्टवेयर नहीं चलने की वजह से बंदरगाहों पर अटका है सामान
-एक महीने से अधिक समय से बनी है समस्या, सरकार का ध्यान नहीं

प्रधान संपादक योगेश

चंडीगढ़। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि सीमा एवं उत्पाद शुल्क (कस्टम) विभाग में नया सॉफ्टवेयर से भुगतान प्रणाली रास नहीं आ रही। इस कारण से उद्योगपतियों को रोज बड़ा नुकसान हो रहा है। एक महीना दो दिन हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।  
उन्होंने कहा कि कस्टम विभाग में पहले टाटा कंसलटेंसी सर्विस (टीसीएस) के पास कस्टम क्लीयरेंस का काम था। जिसे बदलकर इंफोसिस को दे दिया गया। ऐसे में इंफोसिस ने अपना सॉफ्टवेयर सिस्टम वहां लागू कर दिया। जब से यह कस्टम का साफ्टवेयर बदला गया है, तब से यह चला ही नहीं है। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि इस अदला-बदली में व्यापारी, उद्योगपतियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
नई भुगतान प्रणाली की गड़बडिय़ों के बाद विदेशों से शिपमेंट बंदरगाहों पर अटक गया है। आयात की खेप 1 अप्रैल से देश भर के बंदरगाहों और टर्मिनलों पर अटकी हुई है। पश्चिमी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली एक उद्योग संस्था बृहन्मुंबई कस्टम ब्रोकर्स एसोसिएशन ने भी सरकारी मदद मांगी है। अपनी रिपोर्ट में संस्था ने साफ कहा है कि नए लॉन्च किए गए पोर्टल पर सीमा शुल्क का भुगतान नहीं हो पा रहा। सिस्टम और डेटा प्रबंधन, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क महानिदेशालय को भी एसोसिएशन ने पत्र लिखा है। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि भुगतान करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि चालान आईस गेट पर दिखाई नहीं दे रहे।
अशोक बुवानीवाला ने कहा कि भोजन और दवाओं सहित सभी आयात खेप, जिनकी लाइफ कम होती है, वे प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में एजेंट डिलीवरी लेने में रुचि नहीं दिखाते। इस परेशानी के कारण रोगियों के लिए सभी नहीं है।
अशोक बुवानीवाला ने कहा कि जैसे ही पोर्टर पैसा जमा कर रहे हैं, वह पोर्टल पर शो नहीं कर रहा। यह सीधे तौर पर इंपोर्टर पर लोड है। ना ही माल की क्लीयरेंस की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब इस तरह के मुद्दो सामने आए हैं। जीएसटी नेटवर्क भी त्रुटियों से भरा था। यहां तक कि नए आयकर पोर्टलों को भी कई मुद्दों का सामना करना पड़ा है। इन्हें ठीक कराने के लिए सरकार को इंफोसिस का सहारा लेना पड़ा। इंफोसिस भी अब काम को सुचारू करने में सफल नहीं हो पा रहा। उन्होंने कहा कि सरकार इस विषय, समस्या पर गंभीरता से काम करके उद्योगपतियों की समस्या का समाधान करे।

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