तिरंगे में लिपटकर आज झुंझुनू पहुंचेगा दोनों शहीद जवानों का पार्थिव शरीर, दोपहर में होगा अंतिम संस्कार
तिरंगे में लिपटकर आज झुंझुनू पहुंचेगा दोनों शहीद जवानों का पार्थिव शरीर, दोपहर में होगा अंतिम संस्कार
जम्मू में शहीद झुंझुनू निवासी जवान☝️
Rajasthan News: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए राजस्थान के दो जवानों का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर आज उनके पैतृक गांव झुंझुनू पहुंचेगा. करीब 10 बजे सड़क मार्ग से आर्मी के जवानों का काफिला बुहाना तहसील में दाखिल होगा, जो वहां से बिजेन्द्र सिंह के गांव डूमोली कलां और अजय सिंह नरूका के गांव भैसावता कलां में पहुंचेगा. दोनों गांवों एक ही तहसील का हिस्सा हैं, और इनके बीच की दूसरी करीब 20 KM की है. परिजनों को पार्थिव शरीर सौंपने के बाद आज ही दोनों शहीदों का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
एक साथ आर्मी में भर्ती, एक साथ हुई शहादत
मंगलवार सुबह से ही दोनों शहीदों के घर पर श्रद्धांजलि देने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. मौके पर इस वक्त भी भारी भीड़ जमा है, जो आज दिन बीतने के साथ बढ़ती रहेगी. जिस वक्त दोनों शहीदों का पार्थिक शरीर गांव पहुंचेगा तब हजारों लोग एक स्थान पर इकट्ठा होंगे और गावं के लाल को नम आंखों से श्रद्धांजलि देंगे. खुमा की ढाणी के बिजेंद्र सिंह और भैसावता कलां के अजय सिंह नरूका करीब 8 साल पहले एक साथ आर्मी में भर्ती हुए थे. दोनों की ट्रेनिंग एक साथ हुई थी, और अब शहादत भी साथ हुई है.
2019 में हुई थी शहीद बिजेंद्र की शादी
शहीद बिजेंद्र के पिता रामजीलाल किसान हैं. जबकि भाई दशरथ सिंह सेना में कार्यरत है. वर्तमान में उसकी पोस्टिंग लखनऊ में है. 2018 में आर्मी में भर्ती होने के अगले ही साल बिजेंद्र की शादी हो गई थी. उनके दो बच्चे हैं. 4 साल का विहान व 1 साल का किहान है.
3 साल पहले हुई थी शहीद अजय की शादी
वहीं, शहीद अजय सिंह नरूका की शादी 2021 में हुई थी. उनकी पत्नी का नाम शालू कंवर है. शहीद के पिता कमल सिंह भी 24 राजपूत से 2015 में सेवानिवृत हुए हैं. उनका बड़ा भाई करणवीर सिंह भटिंडा एम्स में डॉक्टर है. जबकि चाचा कायम सिंह भी भारतीय सेना की 23 राजपूत रेजीमेंट में सिक्किम में तैनात हैं. उन्हें 2022 में सेना मैडल से भी नवाजा गया था.
दोनों जवान आने वाले थे घर
दोनों शहीद जवान 10वीं राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे. अजय सिंह नरूका 18 जुलाई को छुट्टी लेकर गांव आने वाले थे. जबकि बिजेंद्र 5 दिन पहले गांव आने वाले थे, लेकिन छुट्टी रद्द होने के कारण वे नहीं आ सके. इसी दौरान एक मुठभेड़ में दोनों जवानों की शहादत हो गई. अब तक झुंझुनू जिले के 485 वीर जांबाजों ने देश रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है.
झुंझुनू की शौर्यता
झुंझुनू जिले के गांव-गांव में शहीदों की मूर्तियां लगी हैं. यहां शहीदों को भगवान की तरह पूजा जाता है. शहर की हर सड़क का नाम शहीदों के नाम पर है. जिले के 485 सैनिक अब तक देश के लिए शहादत दे चुके हैं. 1971 के भारत—पाक युद्ध में इस जिले के 108 सैनिक शहीद हुए थे. वहीं कारगिल युद्ध में 19 जवानों ने शहादत दी थी. जबकि 1962 और 1965 के युद्ध में झुंझुनू के सैनिक सबसे आगे रहे थे.
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