जन्मोत्सव की सार्थकता हमारे कर्म में समाहित: विट्ठल गिरी
जन्मोत्सव की सार्थकता हमारे कर्म में समाहित: विट्ठल गिरी
गो भक्तों एवं संरक्षक विट्ठल गिरी का श्रद्धालुओं ने मनाया जन्मोत्सव
मानव शरीर, परमात्मा की हमारे लिये अनमोल और अमूल्य रचना
समाज सेवा और जीव कल्याण होना चाहिए हमारी प्राथमिकता
फतह सिंह उजाला
पटौदी । हमारे अपने धर्म गंथो, वेद पुराणों में और प्रकांड विद्वानों ऋषि-मुनियों, तपस्वीयो के द्वारा भी कहा गया है कि माता-पिता केवल जन्म देने तक के ही साथी हैं । इस बात से भी इनकार नहीं की जन्म के बाद शिशु का सबसे पहले मार्गदर्शक अभिभावक ही होते हैं और पहली गुरु माता को ही कहा गया है। लेकिन आयु बढ़ने के साथ जैसे-जैसे व्यक्ति की सोच , कार्य करने की इच्छा बलवती होती है, तो जीवन में एक मोड़ अथवा समय ऐसा भी आता है जब कोई ना कोई निर्णय भी लेना ही होता है ।।मानव की सेवा जीव की सेवा, मोह माया को छोड़ परमात्मा की भक्ति करना जैसे अनेक उदाहरण है। इनके लिए स्वयं परमपिता परमेश्वर ही किसी न किसी रूप में मार्गदर्शक और गुरु के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरणा प्रदान करते हैं । जन्म के बाद गृहस्थ जीवन में बच्चों और परिवार के सदस्यों का जन्मदिन मनाने की भी एक परंपरा समय के साथ जड़े गहरी जमाती चली आ रही है। साधु संत सन्यासी समाज में भी जन्मदिन अथवा जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन इसके पीछे बहुत गहरा और गूढ़ आध्यात्मिक महत्व समाहित है । यह बात महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला बुचावास के संचालक और अज्ञातवास को प्रस्थान कर चुके महामंडलेश्वर ज्योति गिरी महाराज के शिष्य विट्ठल गिरी महाराज ने अपने जन्मोत्सव के मौके पर श्रद्धालुओं के बीच कहीं ।
उन्होंने कहा मानव शरीर बहुत सौभाग्य और अनंत पुण्य कर्मों के बाद ही परमपिता परमात्मा की कृपा से प्राप्त होता है । हमें अपने इस शरीर से यथा सामर्थ जितना संभव हो सके मानव की सेवा , बेजुबान जानवरों की सेवा, जीवो की सेवा, प्रकृति की सेवा का संकल्प लेकर निस्वार्थ भाव से सेवा करते ही रहना चाहिए । पृथ्वी पर मां, पृथ्वी, माता और गाय को जननी जन्मभूमि और मां का दर्जा दिया गया है। वेद पुराणों में भी लिखा है गाय ने 36 करोड़ देवी देवताओं का वास है और जहां कहीं भी गाय का पालन पोषण किया जाता है , सेवा की जाती है वह स्थान विभिन्न प्रकार के कष्ट और बाधाओं सहित समस्याओं के समाधान के लिए श्रेष्ठ स्थान माना गया है ।
यही कारण रहा है कि आज भी विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गाय अवश्य पालते हैं। विभिन्न धार्मिक स्थलों आश्रम इत्यादि में भी गौशाला होती है । उन्होंने कहा गुरु मंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज के द्वारा गौ सेवा की शिक्षा और दीक्षा दी गई , आज भी उसी का पालन किया जा रहा है। यहां महंत लक्ष्मण गिरी गौशाला में लाचार बेबस अपंग बीमार गोधन की ही सेवा की जा रही है । इस सेवा को करते हुए हर पल अपने जन्मोत्सव की अनुभूति होती आ रही है । इसी मौके पर महंत विट्ठल गिरी महाराज के और बाबा भोले महाकाल के भक्त और श्रद्धालुओं के द्वारा बुचावास गौशाला परिसर में गोवर्धन की सेवा कर महंत विट्ठल गिरी के जन्मोत्सव को एक प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया गया।
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