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    1962 के युद्ध के विरोध में भारत तिब्बत सहयोग मंच ने फूंका चीन का पुतला

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    1962 के युद्ध के विरोध में भारत तिब्बत सहयोग मंच ने फूंका चीन का पुतला
-चीन द्वारा 20 अक्टूबर 1962 को भारत पर आक्रमण की 60वीं वर्षगांठ    

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम। भारत तिब्बत सहयोग मंच हरियाणा इकाई की ओर से गुरुवार को चीन द्वारा 20 अक्टूबर 1962 को भारत पर आक्रमण की 60वीं वर्षगांठ पर चीन के खिलाफ गुरुग्राम में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान चीन का पुतला भी फूंका गया।
भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय मंत्री प्रमोद गोयल की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन से पूर्व भारत तिब्बत सहयोग मंच के सदस्य शमा रेस्टोरेंट के निकट एकत्रित हुए। वहां से जुलूस निकालकर प्रदर्शन करते हुए डाकखाना चौक पर पहुंचे। इस दौरान चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई। इससे पूर्व राष्ट्रीय मंत्री प्रमोद गोयल ने कहा कि भारत-चीन के बीच युद्ध से पहले हुई मुठभेड़ों की पूरी श्रृंखला के तहत अगस्त-सितंबर 1962 में थगला रिज पर हुआ चीनी कब्जा भी शामिल था, जिसके बाद भारत ने उन्हें वहां से बलपूर्वक हटाने के लिए ऑपरेशन लेगॉर्न शुरू किया। जब भारतीय सेना चीनियों से हिसाब बराबर करने की अपनी योजना का समन्वय कर रही थी, तभी 20 सितंबर की रात लगभग 11 बजे चीनी सैनिकों ने ढोला पोस्ट पर बने भारतीय बंकरों में से एक में हथगोले फेंके। इस हमले में तीन भारतीय सैनिक घायल हो गए। इस घटना ने दोनों पक्षों के बीच सशस्त्र संघर्ष शुरुआत कर दी। 29 सितंबर, 1962 तक भारतीय और चीनी सैनिकों ने रुक-रुक एक दूसरे पर गोलाबारी की। श्री गोयल के मुताबिक 7 इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर जॉन दलवी द्वारा तैयार की गई कार्य योजना के अनुसार, भारतीय सेना को 10 अक्टूबर को ऑपरेशन लेगॉर्न शुरू करना था। डी-डे पर 2 राजपूत रेजिमेंट के सैनिक नमका चू नदी के दक्षिणी किनारे पर, युमत्सो ला-एलएसी पर थगला रिज के पश्चिम में स्थित एक पहाड़ी दर्रा की ओर बढ़ रहे थे। तभी वे एक चीनी बटालियन की तरफ से की गई गोलाबारी की चपेट में आ गए। इसके बाद, त्सेंग-जोंग के आगे तैनात 9 पंजाब के सैनिकों पर भी चीनियों द्वारा मोर्टार की गोलाबारी से हमला किया गया।
मंच की हरियाणा प्रांत इकाई के अध्यक्ष अमित गोयल ने कहा कि इस युद्ध में भारत ने उन हमलों में अपने छह जवानों को खो दिया, जबकि 11 अन्य घायल हो गए और पांच जवान लापता हो गए। लगातार होते हमले और अरक्षणीय स्थिति को देखते हुए वापसी का आदेश दे दिया गया और चीनी सेना ने त्सेंग-जोंग पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि तिब्बत की आजादी, मानसरोवर की मुक्ति और भारत की सुरक्षा मंच का उद्देश्य है। जब तक इस उद्देश्य में कामयाबी नहीं मिलती, चीन के खिलाफ आक्रोष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सभी देशवासी समय-समय पर अपने देश के प्रति कृतज्ञता दिखाएं और चीन के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहें।
इस विरोध प्रदर्शन में जम्मू कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष संजीव मनमोत्रा, हरियाणा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य वीरेंद्र, अजय जैन, उषा गुप्ता, शारदा शर्मा, गुरुग्राम जिला अध्यक्ष व बजरंग दल और गौ सेवक अभिषेक गौड़, अजय जैन, गिरीश सिंगला, युधिष्ठिर कौशिक, दीपक शर्मा, नवीन शर्मा (मोटू), सन्नी जांघू, राकेश, वैभव, नमन अग्रवाल, राजीव मित्तल, महाकर नागर, राजू बत्रा, संतोष शर्मा, प्रतीक राव, नमन गोयल और निशान्त अहलावत मौजूद रहे।

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