इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला; स्वेच्छा से किया गया धर्म परिवर्तन ही इस्लाम में मान्य
इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला; स्वेच्छा से किया गया धर्म परिवर्तन ही इस्लाम में मान्य
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि इस्लाम में आस्था रखने और उसके सिद्धांतों में विश्वास रखने वाला व्यक्ति यदि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तभी धर्म परिवर्तन को वैध कहा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी धार्मिक परिवर्तन तभी वैध माना जाता है, जब मूल धर्म के सिद्धांतों के स्थान पर किसी नए धर्म के सिद्धांतों में व्यक्ति का हृदय परिवर्तन हो और ईमानदारी से विश्वास हो.
कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी धर्म परिवर्तन गंभीर अपराध है. अदालत पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर मुकदमे की कार्यवाही रद्द नहीं कर सकती. तौफीक अहमद की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कहा कि धर्म परिवर्तन में आस्था और विश्वास में परिवर्तन शामिल होता है, जहां एक व्यस्क और स्वस्थ दिमाग वाला व्यक्ति स्वेच्छा से एक नया धर्म अपनाता है, जिसे वह ब्रह्मांड, अपने निर्माता और ब्रह्मांड की नियामक शक्तियों के रूप में मानता है.
याची के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 323, 376, 344 और यूपी धर्मांतरण रोकथाम अधिनियम, 2020 की धारा 3/1 (1) के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है, इसलिए मुकदमे की कार्यवाही समाप्त की जाए.
कोर्ट का कहना था कि यदि धर्म परिवर्तन धार्मिक भावना से प्रेरित होकर नहीं किया गया और अपने स्वार्थ के लिए किया गया, बल्कि केवल अधिकार के किसी दावे के लिए आधार बनाने या विवाह से बचने के उद्देश्य से या ईश्वर (अल्लाह) और मोहम्मद के पैगंबर होने की एकता में आस्था के बिना किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किया गया तो ऐसा धर्म परिवर्तन सद्भावनापूर्ण नहीं होगा. धर्मान्तरण कानून का उद्देश्य गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी धोखाधड़ी के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में अवैध रूप से धर्मांतरण पर रोक लगाना है.
कोर्ट ने कहा कि गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण एक गंभीर अपराध है, इसलिए न्यायालय पक्षों के बीच समझौते के आधार पर कार्यवाही रद्द नहीं कर सकता. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि बलात्कार के अपराध के संबंध में कोई भी समझौता, जो किसी महिला के सम्मान के खिलाफ हो, जो उसके जीवन की जड़ को हिलाकर रख दे और उसके सर्वोच्च सम्मान को गंभीर आघात पहुंचाए, उसके सम्मान और गरिमा दोनों को ठेस पहुंचाए, अदालत को स्वीकार्य नहीं है.
यह था मामला : 7 जून, 2021 को पीड़िता ने राहुल उर्फ मोहम्मद अयान, तौफीक अहमद (याची) और मोहम्मद रियाज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई. आरोप लगाया कि वह फेसबुक पर राहुल से मिली थी, जहां उसने खुद को हिंदू बताया और उनके बीच बातचीत होने लगी. शादी के लिए उसके राजी होने के बाद वह उसे नवाबनगर, रामपुर ले गया, जहां उसे छह महीने तक रखा गया. इस दौरान, उसे पता चला कि राहुल वास्तव में धर्म से मुस्लिम है. जब उसने उससे शादी करने से इनकार किया तो राहुल ने दो अन्य आरोपियों के साथ मिलकर उसके साथ मारपीट दुष्कर्म किया. बाद में वह भागने में सफल रही.
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