जिस घर में होगी रामायण ,वही घर स्वर्ग समान: दलीप छिल्लर
जिस घर में होगी रामायण ,वही घर स्वर्ग समान: दलीप छिल्लर
भगवान राम और रावण दोनों ही भगवान शिव के अनन्य भक्त
प्रेम, त्याग और समर्पण राम, लक्ष्मण , भरत और शत्रुघ्न जैसा हो
माता और पिता की आज्ञा की जीवन में कभी अवहेलना नहीं करें
माता सीता और सती सुलोचना के जीवन आदर्शो से ले प्रेरणा
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम / पटौदी। जिस भी घर में रामायण होगी , वही घर स्वर्ग के समान होगा। इस बात में और सच्चाई में किसी को भी संकोच नहीं होना चाहिए । रामायण वास्तव में हमारी अपनी सामाजिक संरचना, संयुक्त परिवार और माता पिता की आज्ञा का पालन करने सहित भाइयों के बीच किस प्रकार का स्नेह, विश्वास और समर्पण होना चाहिए , इन्हीं सब बातों का संदेश देती है । यही सब अनंत काल से रामलीला का मंचन करते हुए समाज के सभी वर्गों को संदेश देने का काम निरंतर चलता आ रहा है। यह बात पटौदी मंडी नगर परिषद के पुरानी अनाज मंडी हेली मंडी में श्री रामलीला क्लब शिव मंदिर के तत्वाधान में आयोजित रामलीला तथा दशहरा पर्व के मौके पर अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी और सीएम विंडो के प्रभारी दिलीप छिल्लर के द्वारा अपने संदेश में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के बीच कही गई ।
इससे पहले रावण पुतला दहन किया जाने से पूर्व राम और रावण युद्ध का जीवंत प्रस्तुतीकरण रामलीला मंचन के कलाकारों के द्वारा किया गया । इस मौके पर हजारों की संख्या में स्थानीय और आसपास के गांवों से आए हुए श्रद्धालु उपस्थित रहे। राम द्वारा रावण के वध की लीला के समापन के साथ ही सारा वातावरण और आयोजन स्थल जय श्रीराम जय- श्रीराम के जयघोष से गूंज उठा । इस मौके पर श्री रामलीला क्लब शिव मंदिर के पदाधिकारी धर्मपाल ,नरेश गर्ग, मदन लाल गर्ग, अमित गोल्डी, शिव कुमार बंटी ,उमेश अग्रवाल , पवन अग्रवाल , सुभाष पहाड़ी , जगमोहन भूरु सहित अन्य के द्वारा दशहरा पर्व के मौके पर मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी दलीप छिल्लर को भगवान श्री राम की सुंदर प्रतिमा भेंट अभिनंदन किया गया। इस मौके पर विशेष रुप से विवेक छिल्लर , विमला देवी , रेनू बाला, हेली मंडी की पूर्व पार्षद मौसम डागर मौजूद रहे ।
भगवान श्री राम की प्रतिमा को स्वीकार कर उन्हें नमन करते हुए दलीप छिल्लर ने कहा कि भगवान राम और त्रिलोक विजेता रावण दोनों ही भगवान शंकर के अन्य भक्त थे । लेकिन भगवान राम की नीति जनकल्याण की रही और भगवान शंकर से अमरत्व का वरदान प्राप्त करने के बाद रावण अनीति के रास्ते पर चल पड़ा। राम और रावण को जो भी वरदान मिले , इन दोनों ने उनका अपने अपने विवेका अनुसार ही इस्तेमाल किया । उन्होंने कहा रामायण वास्तव में हम सभी को यह संदेश देती है कि राम, लक्ष्मण , भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों के जैसा त्याग , प्रेम, समर्पण और विश्वास किस प्रकार का होना चाहिए , यह हमें सीखने की जरूरत है । उन्होंने कहा माता पिता की आज्ञा पालन और सेवा करने से बड़ा पुण्य कुछ भी नहीं है। आज वास्तव में हम सभी को इस बात पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार देने के लिए अपने अपने घरों मे रामायण की पुस्तक अवश्य रखें और इस पुस्तक को कम से कम बच्चों से स्कूल के साप्ताहिक अवकाश के दिन अवश्य पढ़ने के लिए कहें।
इसी मौके पर पूर्व पार्षद मौसम डागर और रेणु बाला ने कहा महिला शक्ति और आज की युवा बच्चियों को भी रामायण से अवश्य कुछ ना कुछ सीख लेने की जरूरत है। माता सीता और सती सुलोचना जैसी पतिवर्ता नारियों के जीवन आदर्श से बहुत कुछ शिक्षा मिलती है । सही मायने में देखा जाए तो रामायण संयुक्त परिवार की सबसे सशक्त शिक्षा प्रदान करती है , लेकिन आज परिवारों में विघटन होता चला जा रहा है। यही विघटन भी विभिन्न समस्याओं और परेशानियों का कारण किसी न किसी रूप में समाज के बीच में देखने के लिए मिल रहा है । रामलीला का मंचन और और इसका मंचन देखने के बाद हम सभी को भगवान राम के दिखाए गए मार्ग और जीवन आदर्शों को अपने जीवन में अपनाकर अपना और परिवार का जीवन सुखमय और बेहतर बनाने का ईमानदार प्रयास करना चाहिए । हमारे ऋषि-मुनियों तपस्वीयों के द्वारा जो भी धर्म ग्रंथ, वेद , पुराण इत्यादि की रचना की गई। वह सभी समाज की बुराइयों को समाप्त करने और अच्छाइयों को अपनाने का ही संदेश प्रदान करती हैं।
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