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सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए खुले बाजार में बिक्री योजना के अन्तर्गत गेहूं के आरक्षित मूल्य को और कम किया

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सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए खुले बाजार में बिक्री योजना के अन्तर्गत गेहूं के आरक्षित मूल्य को और कम किया

केंद्र सरकार हमेशा से महंगाई कम कर आम आदमी को राहत देने के लिए प्रयत्नशील रही है। महंगाई कम करने के लिए केंद्र सरकार ने खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचने के फैसला किया था। इसी कड़ी में अब केन्‍द्र सरकार ने महंगाई पर और काबू पाने के लिए खुले बाजार में बिक्री योजना के तहत गेहूं के आरक्षित मूल्य को और कम कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद बाजार में गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। इस लेख में हम सरकार के इस फैसले के बारे में विस्तार से जानेंगे।

कब से होगी नीलामी

भारतीय खाद्य निगम तीसरी ई-नीलामी के जरिये देशभर के 620 डिपो से 11.72 एलएमटी गेहूं की बिक्री करेगा। गेहूं की तीसरी ई-नीलामी के लिये जिन बोलकर्ताओं ने 17 फरवरी को सुबह 10 बजे तक एम-जंक्शन के ई-पोर्टल पर अपनी पंजीकरण करा लिया है, उन्हें 22 फरवरी, 2023 की ई-नीलामी में हिस्सा लेने की अनुमति मिलेगी। ईएमडी जमा और अपलोड करने की अंतिम तिथि 21 फरवरी दोपहर ढाई बजे तक है। तीसरी ई-नीलामी 22 फरवरी, 2023 को 11 बजे सुबह शुरू होगी।

ये कदम महंगाई कम करने में हुआ कारगर

अब तक पहली और दूसरी ई-नीलामी के दौरान कुल 12 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा जा चुका है। जिसमें से 98 लाख मीट्रिक टन गेहूं बोलीकर्ताओं द्वारा पहले ही उठा लिया गया है। इसके परिणामस्वरूप गेहूं और आटे की कीमतों में काफी कमी आई है। ई-नीलामी के जरिये गेहूं की बिक्री देशभर में मार्च 2023 के दूसरे सप्ताह तक हर बुधवार को की जायेगी। देश में गेहूं एवं आटे की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए FCI ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) के तहत विभिन्न प्रावधानों से 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं बाजार में उपलब्ध कराया है। विभिन्न श्रेणी के गेहूं के लिए 2150 रुपये प्रति क्विंटल और 2125 रुपये प्रति क्विंटल आरक्षित मूल्य निर्धारित किया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि आरक्षित मूल्य में कमी से उपभोक्ताओं को गेहूं और गेहूं उत्पाद सस्‍ती दरों पर मिलेंगे। केंद्र सरकार का यह फैसला गेहूं एवं आटे की बढ़ती कीमतों पर तत्काल प्रभाव डालेगा और बढ़ते दामों को रोकने में भी मदद कारगर होगा। इससे आम आदमी को काफी राहत मिलेगी।

खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत

FCI ने वर्ष 1965 में अपनी स्थापना के बाद से भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर देश बनाने के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज यह लगभग 1300 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (गेहूं और धान) सालाना खरीदता है, जबकि 1965 के दौरान केवल 13 लाख मीट्रिक टन का क्रय होता था। जानकारी के अनुसार यह उल्लेखनीय होगा कि खाद्यान्न की खरीद पूरे देश में समान रूप से नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ राज्यों में उत्पादन उनकी आवश्यकताओं के संदर्भ में अत्यधिक अधिशेष है, अन्य में आंशिक या पूर्ण रूप से कमी है। इसलिए, देश के प्रत्येक कोने में समाज के कमजोर वर्ग के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु FCI बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों की आवाजाही करता है।

भंडारण के लिए दो हजार डिपो का संचालन

पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि जैसे प्रमुख खरीद वाले राज्यों से लगभग 600 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न सालाना देश के विभिन्न कोनों में पहुंचाया जाता है। खाद्यान्नों के भंडारण एवं आवाजाही की सुविधा के लिए FCI पूरे देश में अपने लगभग 500 डिपो सहित लगभग 2000 डिपो संचालित करता है। बुनियादी ढांचे के संदर्भ में FCI ने अपनी भंडारण क्षमता को 1965 में 6 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर वर्तमान में 800 लाख मीट्रिक टन से अधिक कर दिया है। वर्तमान रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) ऋतु में गेहूं की फसलों का रकबा थोड़ा अधिक है। नई गेहूं की फसल की खरीद अप्रैल 2023 से शुरू होगी।

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