प्रधान संपादक योगेश
गुरूग्राम के सरस्वती इंटरनेशनल मे वार्षिक महोत्सव बडी धुमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप जलाकर गणेश वंदना व सरस्वती वंदना करके की। कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी इंदु बोकन अतिथि के रूप मे प्रदेशाध्यक्ष भाजयुमो भाजपा हरियाणा मनीष यादव के रूप मे उपस्थित रहे। आए हुए सभी अतिथियो को शाल व स्मृति चिहन देकर उनका सम्मान किया।
इस वार्षिक महोत्सव का कार्यक्रम की थीम उडान पर आधारित है। उडान थीम का मतलब था कि इस दुनिया में हर किसी के पास अपना एक सपना है। किसी के पास एक सपना तो किसी के पास सपनों का सागर होता है। हर कोई अपने सपने को पूरा करना चाहता है और खुद के सपने को पूरा करना भी चाहिए। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे सपने भी बढ़ते जाते हैं।
जब हम छोटे होते थे तो हमारे सपने कुछ खिलौने पाने तक ही सिमित हो जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र और समझ बढ़ती जाती है वैसे-वैसे हमें अपने जीवन की अहमियत का पता चलता है और जीवन में कुछ करने का सपने देखने लगते हैं।
सपना वो नहीं जो हम सोते हुए नींद में देखते हैं। सपने का अर्थ या फिर सपने का मतलब तो वो होता है जो हम अपनी खुली आखों से देखकर उसे पाने की चाहत रखते है। हर किसी का सपना होता है कि वह अपनी लाइफ में सक्सेस हो। वह कुछ ऐसा करें, जिससे उसे पूरी दुनिया याद रखे। एक छोटा-सा सपना हमें कहां से कहां पहुंचा सकता है। हम उसकी उम्मीद भी नहीं कर सकते।
इस उडान कार्यक्रम के दौरान बच्चो नें रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया। इन रंगारंग कार्यक्रम से बच्चो ने आए अतिथियो बच्चो स्कुल स्टाफ व अभिभावाको का मन मोह लिया।
विद्यालय की बालक व बालिकाओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुत किया पेश कर तालियां बटोरी सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अलग अलग वेशभूषा में छात्राओं ने मनमोहक प्रस्तुतियां पेश करने पर विद्यालय परिसर तालियों से गूंज उठा कार्यक्रम में कई प्रकार के संस्कृति व कलचर ग्रामीण परिवेश के आधार पर गीतों पर छात्राओं ने जमकर नृत्य किया जिसे संस्कृति झलक देखने को मिली। वार्षिकोत्सव में प्रतिभावान छात्र-छात्रा का सम्मान किया गया विद्यालय में आने वाले बारहवीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए आगे की पढ़ाई के लिए शुभ आशीर्वाद दिया गया।
स्कुल प्रधानाचार्य वीनु चौहान ने ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहां की जीवन में सकारात्मक होकर निरंतर शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, जीवन की हर परिस्थितियों में स्वयं को अनुशासन में रखना, इन सारी चीजों को करने वाला कभी जीवन में सफल नहीं हो सकता है. मेघवाल ने कहा कि विश्व में फैली कोरोना महामारी बीमारी से रिश्तो की हमें समझा दी और परिवार से मेलजोल बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा एक तपस्या के समान है स्वयं को मजबूत करें जीवन का यह संघर्ष निरंतर आपको आगे बढ़ाता रहेगा.
वही स्कुुल चैयरमैन राज पाल चौहान ने कहा कि आज के युग में शिक्षा का महत्व बहुत ज्यादा है. शिक्षा के बिना आदमी अधूरा है बच्चों की शिक्षा की पाठशाला विद्यालय से शुरू होती है और विद्यालय में बच्चों को ज्ञान और संस्कार मिलते हैं और अनुशासन तरीके से जीने के तरीके सीखने को मिलते हैं. उन्होंने कहा कि आज का युग वैज्ञानिक युग है. इस युग में शिक्षा का ज्ञान और भी महत्त्व हो जाता है इसलिए बच्चें मन लगाकर शिक्षा ग्रहण करें और आगे बढ़े, और आज के युग में शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार मिलना चाहिए.।
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