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जमाना औैर तकनीक बदली, नहीं बदली पर्व की गरिमा

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जमाना औैर तकनीक बदली, नहीं बदली पर्व की गरिमा 

धूमधाम से मनाया भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन

राखी पहुंचाकर इस पवित्र पर्व की गरिमा कोे बनाये रखा

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। 
यह रिश्ता विश्वास, भरोसे, सुरक्षा अज्ञैेर स्नेह का ही, जिसे कि रक्षाबंधन पर्व के तौर पर मानाया जाता आ रहा है।  समय के साथ और रोजगार , शिाक्षा सहित अन्य प्रकार की जरूरतों के कारण परिवारों सहित सदस्यों के बीच बेशक दूरियां बढ़ती जा रही है। लेकिन स्नेह का बंधन किसी भी बांध के बांधे नहीं रूक सका हैै। आधुनिक तकनीक ही है कि भाई – बहन, भाभी-ननद , बुआ दुनिया के किसी कोेने में हो, अपने स्नेह और विश्वास के बंधन में भाई्र, भाभी को खींच कर बांध ही लेती है।  अब आइलाइल  के साथ ही राखी पहुंचाकर इस पवित्र पर्व की गरिमा कोे बनाये रखा जा रहा हैै।

शहर से लेकर दूर दूराज के देहात के क्षेत्रों में भी सावन माह ककी पूर्णिमा पर रविवार को भाई-बहन के स्नेेह, विश्वास एवं आस्था का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व पारंपरिकक तरीके सेे धूमधाम के साथ मनाया गया। सुबह से ही बहनों का अपने भाईयों के घर पहुंचना शुरु हो गया था। बहुत सी बहनें तो बीती रात ही अपने भाईयों के यहां पहुंच गई थी। दूर-दराज के क्षेत्रों से महिलाओं ने अपने भाइयों के पास कोरियर व डाक सुविधा के जरिये राखियां भेजी। बहनों ने अपने भाईयों को राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन लिया। शहर के बाजारों व मॉल्स में भी रक्षाबंधन के पर्व पर काफी रौनक देखने को मिली। उधर हलवाईयों की दुकानों पर भी मिष्ठान आदि खरीदने वालों की भीड़ भी रही। रोडवेज बसों का संचालन भी बड़े स्तर पर किया गया।

प्रदेश सरकार ने रक्षाबंधन के पर्व पर 36 घंटे के लिए महिलाओं व उनके 15 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराई गई। रोडवेज बसों में सवारियों की इतनी भीड़ रही कि बहुत सी परेशान महिलाओं ने प्राइवेट बसों में सफर करना ही मुनासिब समझा। क्योंकि बच्चों और सामान के साथ उनकी फ्री में सफर करने के चक्कर में परेशानी काफी बढ़ गई थी। ऊपर से रोडवेज की बसों में इतनी भीड़ थी कि बाद में चढऩे वाली महिलाओं को सीटें नहीं मिल रही थी।

बच्चों की उम्र को लेकर विवाद
बहुत सी महिलाओं और कंडक्टर के बीच विवाद भी होने की सूचनाएं मिली। विवाद इस बात का कि महिलाएं अपने बड़े बच्चों को भी 15 साल से कम का बताकर फ्री सफर करने के चक्कर में थी। कंडक्टर इस बार पर अड़े रहे कि उनकी उम्र अधिक है और महिलाएं कम उम्र पर अड़ी रही। जब उम्र का सबूत मांगा तो महिलाएं कोई सबूत नहीं दिखा पाई। कंडक्टर ने कहा कि मोबाइल में आधार कार्ड होगा। काफी देर तक बहस के बाद आखिरकार कंडक्टर को ही शांत होना पड़ा। नाम न छापने की शर्त पर एक रोडवेज कर्मचारी ने बताया कि इस तरह की कई बसों के स्टाफ की ओर से शिकायतें उनके पास आई। इस त्योहार पर ज्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा। इसलिए ज्यादातर को निशुल्क ही सफर करवाया।

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