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टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं रहीः डॉ एनएस यादव

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टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं रहीः डॉ एनएस यादव

हेलीमंडी नागरिक अस्पताल में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित

पटौदी नागरिक अस्पताल की डॉ नीरू यादव ने भी दी जानकारी

आज के दौैर में टीबी की बीमारी की पहचान हुई बहुत आसान

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 टीबी तब लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है , टीबी के आरंभिक लक्षण बलगम आना, लंबे समय तक खांसी रहना, छाती में भारीपन होना व अन्य और भी कारण हो सकते हैं । टीबी होने पर पीड़ित व्यक्ति का वजन तेजी से घटना आरंभ होता है तथा शरीर में कमजोरी बनती चली जाती है । यह बात हेली मंडी के भगवान महावीर राजकीय सामान्य अस्पताल परिसर में आयोजित टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एन एस यादव के द्वारा कही गई ।

टीबी उन्मूलन और टीबी से बचाव के लिए जागरूकता अभियान के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन स्वास्थ्य विभाग की योजना के मुताबिक पटौदी नागरिक अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव के मार्गदर्शन में किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि डिप्टी सिविल सर्जन डॉ केशव ने बताया कि अब टीवी की पहचान के लिए आधुनिक जांच उपकरण स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध है। खांसी होना ,खांसी के साथ में बलगम आना, तेजी से वजन का घटना, भूख नहीं लगना, कमजोरी महसूस होना भी टीबी के लक्षण हो सकते हैं । ऐसे में बिना देरी किए संबंधित व्यक्ति को अपनी जांच अवश्य कराना चाहिए ।

इसी मौके पर पटौदी नागरिक अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव के द्वारा बताया गया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग की योजना के मुताबिक टीबी पीड़ित के उपचार के दौरान रोगी को 500 रू प्रति माह तथा किसी भी टीबी के पीड़ित को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में लाने वाले व्यक्ति को पंद्रह 1500 रू प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है । इस मौके पर भगवान महावीर राजकीय अस्पताल हेली मंडी की मेडिकल ऑफिसर डॉ मोनिका के अलावा स्वास्थ्य विभाग के पूनम ,राजेश्वरी, योगेश, तिलक राज मौजूद रहे। इसी मौके पर एएनएम और आशा वर्करों में अनुराधा, राजेश्वरी, दीपिका, सुनीता ,गीतांजलि, राजबाला, मधु, अनीता, कुंती , पूजा, संजू वाला, राजेश सहित इस आयोजन में सहयोग करने वाले दीपांशु, रवि चैहान, ललित चैहान व अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।

इस मौके पर विभिन्न डॉक्टरों के द्वारा बताया गया कि टीबी मुख्यतः दो प्रकार की हो सकती है । एक टीबी किसी भी व्यक्ति की छाती में होती है , दूसरी टीबी छाती के अलावा शरीर के अन्य किसी भी अंग अथवा स्थान पर भी हो सकती है । कई बार टीबी व्यक्ति के दिमाग में भी हो सकती है । कई बार यह भी देखा गया है की टीबी पीड़ित व्यक्ति के छाती अथवा फेफड़े में भी पानी भर जाता है, जिसे की पीड़ित को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए निकालना पड़ता है । टीबी की रोकथाम के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा माइक्रो लेवल पर काम किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक आज भी सबसे अधिक मौत टीबी के कारण ही होना माना जा रहा है । टीबी की बीमारी का उपचार संभव है , सामान्यतः 6 से 8 माह तक पीड़ित को दवाइयां दी जाती हैं । लेकिन यदि टीबी इंसान अथवा व्यक्ति के दिमाग में हो तो इसके लिए 18 से 20 महीने तक भी पीड़ित व्यक्ति को स्वस्थ होने के लिए मेडिसन लेना अनिवार्य होता है। 

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