Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

दिल्ली अध्यादेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस, दो हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई

15

दिल्ली अध्यादेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस, दो हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई
नईदिल्ली : सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दी गई दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में सीजेआई ने कहा कि इस पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है और 2 हफ्ते बाद फिर सुनवाई होगी। आपको बता दें कि दिल्ली की आप (AAP) सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े केंद्र के अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस अध्यादेश पर रोक की मांग की।

दिल्ली सरकार की दलील

दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि यह अध्यादेश ‘कार्यकारी आदेश का असंवैधानिक इस्तेमाल’ है, जो सुप्रीम कोर्ट और संविधान की मूल संरचना के ‘उल्लंघन’ की कोशिश है। दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नए अध्यादेश के लागू होने से दो अधिकारी मिलकर मुख्यमंत्री की बात को काट सकते हैं उसके बाद मामला उपराज्यपाल को भेज दिया जाएगा, जो फिर से इस पर रोक लगा सकते हैं ऐसे में इस अध्यादेश पर रोक लगानी जरूरी है। सीजेआई ने कहा कि हम केंद्र को नोटिस जारी कर रहे हैं। कोर्ट ने उपराज्यपाल के वकील के अनुरोध पर उन्हें भी मामले में पक्ष बनाया।

जानिए क्या है अध्यादेश?

केंद्र सरकार ने दिल्ली में ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एक अथॉरिटी का गठन करते हुए 19 मई को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023’ जारी किया था। केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के एक सप्ताह बाद जारी किया, जिसमें सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली में पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और लैंड को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। इससे पहले तक दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर एलजी का कंट्रोल था। दिल्ली सरकार इसका विरोध कर रही है।

लोगों को हटाने का मामला

दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्होंने कहा कि इसी अध्यादेश के आधार पर 471 ऐसे लोगों को पद से हटा दिया गया है जिनमें से कई ऑक्सफोर्ड जैसे विश्विद्यालय से शिक्षित हैं। इस पर भी सुनवाई हो। इस पर केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को नौकरी दी गई है। ये मांग याचिका में नहीं है, इसलिए इस पर सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न हो। जो प्रभावित हैं, वह हाई कोर्ट जा सकते हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि हम इस पहलू पर अगले सोमवार (17 जुलाई) को सुनवाई करेंगे।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading