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सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गुरुग्राम पुलिस को जांच करने के निर्देेश

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सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गुरुग्राम पुलिस को जांच करने के निर्देेश

आरोपी पक्ष ने पुलिस जांच पर हाई कोर्ट से लिया गया था स्टे

सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर पर स्टे, गुरूग्राम पुलिस ही करेगी जांच

आरोप मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी की जमीन पर लिया लोन

संबंधित कंपनी को 150 करोड नुकसान पहुंचाने का मुकदमा

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । देश की सर्वाेच्च न्यायालय के द्वारा साइबर सिटी गुरुग्राम पुलिस को डेढ़ सौ करोड रुपए की कथित धोखाधड़ी के मामले में अपनी जांच जारी रखने के आदेश दिए गए हैं। आरोपी पक्ष पर आरोप है कि कथित फर्जी तरीके से लोन लेकर डेढ़ सौ करोड रुपए का आर्थिक नुकसान संबंधित कंपनी को पहुंचाया गया। इस संदर्भ में अपराधिक मामला दर्ज होने के बाद प्रतिपक्ष ने हाई कोर्ट से इस मामले में पुलिस के द्वारा की जा रही जांच के खिलाफ स्टे प्राप्त कर लिया था।

पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक डीएलएफ फेस 3 गुरुग्राम के रहने वाले राजेश गुलाटी निदेशक पी एम फाइन कैप लिमिटेड जोकि त्रिपाउंड मोटर एंड जनरल फाइनेंस लिमिटेड के तौर पर कार्यरत है की शिकायत पर डॉक्टर परमशिवम निदेशक संतोष हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडर चेयरमैन फार्म संतोष संतोष नगर प्रताप विहार गाजियाबाद, डॉक्टर संतोष पुत्र परमशिवम डायरेक्टर संतोष हॉस्पिटल और चेयरमैन संतोष यूनिवर्सिटी संतोष नगर प्रताप विहार गाजियाबाद, डॉक्टर मधुर मनी मेंबर बोर्ड मेंबर संतोष ट्रस्ट फर्म महाराज जी एजुकेशन गाजियाबाद, शर्मिला आनंद संतोष नगर प्रताप विहार गाजियाबाद इत्यादि के खिलाफ मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी व उनकी जमीन पर मार्च 2015 में 35 करोड़ का लोन लिया गया था। इस लोन की अदायगी सितंबर 2015 में वापस करनी थी । लेकिन इन सभी के द्वारा लोन ली गई रकम और फर्जी दस्तावेज दिखाकर लोन की रकम तथा उसके ब्याज सहित लोन कंपनी को जो कि कुल रकम 150 करोड रुपए बनती थी का आर्थिक नुकसान पहुंचाने के संबंध में अपराधिक मामला 17 जुलाई 2021 को थाना डीएलएफ फेज 3 गुरुग्राम में दर्ज किया गया।

पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक इस मामले में एसीपी डीएलएफ करण गोयल के नेतृत्व में पुलिस के द्वारा की गई गहन जांच-पड़ताल में काफी दस्तावेज फर्जी पाए गए और यह भी साबित हो गया कि उपरोक्त आरोपियों के द्वारा लिया गया लोन का भुगतान नहीं किया गया है। इस पूरे मामले में गहनता से जांच करने के बाद और संबंधित दस्तावेजों के मुताबिक शिकायतकर्ता की कंपनी को आर्थिक पहुंचाना साबित हुआ । इसके बाद में पुलिस के द्वारा इस पूरे प्रकरण में संतोष महा लिंगम को नियमानुसार गिरफ्तार कर लिया गया । गिरफ्तारी के बाद में आरोपी संतोष निगम के द्वारा हाई कोर्ट में अपनी जमानत याचिका में संबंधित मामले को गुरुग्राम पुलिस के अधिकार और जांच क्षेत्र में नहीं होने के लिए चुनौती दी। जिस पर हाई कोर्ट के द्वारा उपरोक्त मामले में गुरुग्राम पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर स्टे ऑर्डर दे दिया गया था।

करोड़ों रुपए के इस कथित धोखाधड़ी के मामले में गुरुग्राम पुलिस की तरफ से देश की सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई । गुरुग्राम पुलिस की तफ्तीश तथा इस मामले में दी गई दलीलों को सही मानते हुए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हाईकोर्ट के उस आदेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई , जिस पर हाई कोर्ट के द्वारा आरोपी की अपील पर गुरुग्राम पुलिस को इस पूरे मामले में जांच करने की कार्रवाई पर के आदेश दिए गए थे। गुरुग्राम पुलिस के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मजबूती के साथ रखे गए तमाम पक्षों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस सनसनीखेज करोड़ों रुपए की कथित धोखाधड़ी के मामले की जांच गुरुग्राम पुलिस को जारी रखने के आदेश देते हुए हाई कोर्ट के द्वारा स्टे के आदेश पर भी स्टे के आदेश जारी किए गए हैं।

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