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ऐसी घटनाएं बेहद दुखद, अमानवीय और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा – पर्ल चौधरी

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ऐसी घटनाएं बेहद दुखद, अमानवीय और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा – पर्ल चौधरी

दलित युवक से मारपीट और मुंह पर कथित पेशाब करने की घटना की ली जानकारी

पीड़ित पक्ष की आवाज और न्याय की मांग को नहीं दबाया जाना चाहिए

दलित युवक के साथ इस प्रकार की अमानवीय घटना को लेकर 36 बिरादरी में नाराजगी

समाज का गांव का भाईचारा और सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगड़ने से बचाने की हो पहल।

न्याय दिलाने के लिए 36 बिरादरी और समर्थन पीड़ित पक्ष के साथ

फतह सिंह उजाला 

पटौदी। बीते कुछ दिनों जिस प्रकार से अनुसूचित वर्ग के लोगों से संबंधित घटनाएं जनमानस को विचलित करने वाली रही हैं। इसी कड़ी में आरक्षित पटौदी क्षेत्र के ही गांव जाटोला में अनुसूचित वर्ग के युवक के साथ घटित घटना निश्चित रूप से बेहद दुखद, अमानवीय और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा कहा जा सकता है। गांव जाटोला में अनुसूचित वर्ग के युवक के साथ कुछ युगों के द्वारा की गई मारपीट और कथित रूप से पेशाब किया जाने के संवेदनशील मामले की जानकारी लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट एवं पटौदी से विधानसभा चुनाव लड़ी वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी पीड़ित के यहां पहुंची और पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी भी प्राप्त की।

उन्होंने कहा मामला चाहे देश के मुख्य न्यायाधीश से संबंधित हो। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बाय पूरण कुमार से जुड़ा हुआ  या फिर हरिओम वाल्मीकि की हत्या से संबंधित हो। इस प्रकार की घटनाएं कहीं ना कहीं वर्ग विशेष के प्रति नफरत की मानसिकता की सूचक अथवा घोतक कहीं जा सकती हैं। जाटोला गांव में जिस प्रकार से अपने साथ घटित घटना की जानकारी पीड़ित कार्तिक के द्वारा दी गई, इस घटना को भी एक प्रकार से कानून व्यवस्था के लिए चुनौती कहा जा सकता है । कुछ वर्ष पहले तक हरियाणा प्रदेश कानून व्यवस्था के मामले में सबसे नंबर एक माना जाता रहा । लेकिन आज कानून व्यवस्था की जो स्थिति है, उसमें अपराधियों पर किसी भी प्रकार से कानून और शासन प्रशासन का डर महसूस नहीं किया जाता। यह स्थिति तब है, जब हरियाणा के गृहमंत्री स्वयं हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं और गृह मंत्रालय भी उनके द्वारा ही संचालित है।

कांग्रेस नेत्री श्रीमती चौधरी ने कहा गांव जाटोला में जो भी घटना घटित हुई, उसको बिल्कुल भी राजनीतिक रूप  नहीं दिया जाना चाहिए। इस प्रकार की घटना सामाजिक चिंतन और मंथन का विषय है। आखिर हम और हमारा समाज तेजी से बदल रही सामाजिक व्यवस्था पर समानता के दौर में किस तरफ जा रहा है? उन्होंने मौजूदा प्रकरण में पीड़ित के द्वारा दी गई शिकायत और पुलिस प्रशासन के द्वारा की गई कार्रवाई पर संतोष व्यक्त किया। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित पक्ष की आवाज और उसके न्याय की मांग को बिल्कुल भी दबाया नहीं जाना चाहिए और नहीं अनदेखी होनी चाहिए । गांव में घटी जिस घटना को लेकर केवल एक वर्ग विशेष में ही नहीं पूरे गांव समाज और 36 बिरादरी में भी नाराजगी बनी हुई है। इस प्रकार की घटनाओं से गांव का आपसी भाईचारा सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ते हुए प्रभावित होता है। जिसका कहीं ना कहीं दूर का भी परिणाम युवा वर्ग और उसकी मानसिकता पर महसूस किया जा सकता है।

 उन्होंने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिलाया कि न्याय मिलने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी अथवा अड़चन महसूस की जाए, तो न्याय दिलाने के लिए अन्य विकल्प भी खुले हुए हैं । पीड़ित परिवार को घटित घटना में कानून के मुताबिक न्याय मिलने से ही संतुष्टि होगी । उन्होंने कहा हम सभी भारतीय संविधान में विश्वास करने वाले और न्याय व्यवस्था में विश्वास करने वाले नागरिक हैं। न्याय इस प्रकार का होना चाहिए कि पीड़ित परिवार को पूरी तरह से संतुष्टि हो। ऐसी अमानवीय, संवेदनहीनता और दबंगता की मानसिकता के दोषियों को सजा अवश्य मिलनी चाहिए।

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