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संस्कृति और संस्कार के लिए वेदों का अध्ययन करें: राजगिरी

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संस्कृति और संस्कार के लिए वेदों का अध्ययन करें: राजगिरी

सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार को सक्रिय हुए प्रबुद्ध नागरिक

कभी मंदिर तो कभी पार्क में हनुमान चालीसा का कर रहें पाठ

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 पीएम मोदी के हिंदुत्व सहित सनातन प्रेम और प्रोत्साहन सही सहित विभिन्न मौकों पर स्थानीय प्रसिद्ध मंदिरों में देव दर्शन करने के साथ ही राम मंदिर शिलान्यास के उपरांत पूरे देश में हिंदुत्व सहित सनातन संस्कृति के प्रति आम जनमानस में एक अलग ही उत्साह दिखाई दे रहा है ।

इसी कड़ी में पटौदी क्षेत्र में गांव हेड़ाहेड़ी में स्थित महाकाल गौ सेवा सदन के संचालक महंत राजगिरी ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति संस्कार और प्राचीन काल से चली आ रही देव स्तुति परंपरा को आने वाली पीढ़ी के हितार्थ इसका अधिक से अधिक प्रसार और प्रचार करना चाहिए । उन्होंने मंगलवार को हेली मंडी में शनि मंदिर के पास सार्वजनिक पार्क में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ के मौके पर इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया कि संस्कृति और संस्कार अपने मानव मूल्यों को जीवित रखने के लिए वेदों सहित धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना ही चाहिए। सही मायने में गीता जीवन का संपूर्ण सार है । वही रामायण से भी हमें ऐसी सीख और शिक्षा सहित प्रेरणा मिलती है जोकि आज के समय में प्रत्येक परिवार विशेष रूप से युवा पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिए बहुत जरूरी है ।

पूर्व बैंक अधिकारी सतपाल चैहान , कुलवंत सिंह , पूर्व सैनिक अधिकारी जनक सिंह चैहान सहित अन्य प्रबुद्ध नागरिकों एवं बच्चों के द्वारा क्षेत्र के विख्यात बाबा हरदेवा मंदिर के साथ-साथ शनि देव मंदिर पार्क व अन्य स्थानों पर नित्य प्रति भजन कीर्तन के साथ साथ हनुमान चालीसा का सामूहिक रूप से पाठ भी किया जा रहा है । करीब 25 मिनट तक चलने वाले इस प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान के दौरान भजन कीर्तन और हनुमान चालीसा और देवों को अर्पित आरती के उच्चारण से माहौल पूरी तरह से भक्ति में बन जाता है। इस दौरान आसपास के रहने वाले निवासी भी अपने आप को नहीं रोक पाते और जितनी देर तक इस प्रकार के धार्मिक आयोजन का संचालन होता है वह भी ध्यान मग्न होकर हनुमान चालीसा सहित अन्य भजनों का उच्चारण कर अपने आप को धन्य समझ रहे हैं । महंत राज गिरी ने कहा हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कोई भी धर्म ग्रंथ हो, परिवार में कम से कम 1 दिन निश्चित किया जाए जब सभी परिवार के सदस्य बैठकर उस धर्म ग्रंथ का अध्ययन भी करें।

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