सभी के जीवन में अध्ययन काल बेहद महत्वपूर्ण – शंकराचार्य नरेंद्रानंद
सभी के जीवन में अध्ययन काल बेहद महत्वपूर्ण – शंकराचार्य नरेंद्रानंद शंकराचार्य ने कहा शिक्षा और ज्ञान अर्जन में जमीन आसमान का अंतर शिक्षा बालक अथवा बालिका दोनों के लिए ही जीवन में बेहद अनिवार्य संस्कार विहीन शिक्षा स्वयं समाज और राष्ट्र के लिए बेहद घातक
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । जमोखर गाँव में राजश्री पब्लिक स्कूल के उद्घाटन समारोह में पधारे श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि शिक्षा सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक संसाधन है । जीवन में शिक्षा के इस संसाधन का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त किया जा सकता है । शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है । शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है । शिक्षा के बिना व्यक्ति नींव के बिना एक इमारत की तरह है । शिक्षा का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि किसी के लिए भी माता-पिता सर्वदा पूजनीय हैं, परन्तु जो माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षित नहीं करते, वह–
“माता शत्रु पिता वैरी, येन बालो न पाठित: ।
क्योंकि–
न शोभते सभा मध्ये, हंस मध्ये बको यथा ।।” यह जानकारी शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती के निजी सचिव स्वामी ब्रिज भूषण आनंद सरस्वती के द्वारा मीडिया के साथ साझा की गई है । स्वामी शंकराचार्य नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा शिक्षा बालक हो या बालिका, दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि आगे चलकर स्वस्थ और शिक्षित समाज का निर्माण दोनों द्वारा मिलकर ही किया जाता है । यह तभी सम्भव है जब शिक्षा संस्कारयुक्त हो । संस्कार से हीन शिक्षा बहुत घातक सिद्ध होती है |
पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि विद्यालय में शिक्षा के साथ ही साथ संस्कार की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए । संस्कारित शिक्षा उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक यन्त्र होने के साथ ही देश के विकास और प्रगति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । आज यहाँ विद्यालय का उद्घाटन हुआ है, मेरी शुभकामना और आशीर्वाद है कि यह विद्यालय अपने लक्ष्य एवम् उद्देश्य को प्राप्त करे । इस अवसर पर स्वामी अखण्डानन्द तीर्थ, विद्यालय के प्रबन्धक श्री राजनाथ द्विवेदी, प्रधानाचार्य श्री एस पी सिंह, श्रीराम द्विवेदी, श्री के के द्विवेदी, श्री आशुतोष द्विवेदी, विपिन बिहारी पाठक सहित अन्य गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे ।
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