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श्रीनगर की लाल चौक जैसी थ्री डी ऑर्गेनिक घड़ी बोहड़ाकला ओआरसी में बनाई

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श्रीनगर की लाल चौक जैसी थ्री डी ऑर्गेनिक घड़ी बोहड़ाकला ओआरसी में बनाई

इसी स्थान पर जवाहरलाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला और नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया 

आजादी के अमृतकाल महोत्सव के दौरान ऐतिहासिक ऑर्गेनिक कलाकृति

इस यादगार आर्गेनिक कलाकृति की उंचाई 10 फीट और चौड़ाई 7 फिट 

फतह सिंह उजाला 

बोहड़ाकला । धरती का स्वर्ग कहलन वाले जम्मू कश्मीर में ही लाल चौक का अपना एक गौरवशाली इतिहास है। श्रीनगर के लाल चौक का नाम सुनते ही एक नहीं, अनेक ऐतिहासिक घटनाएं स्मृति पटल पत्रों ताजा हो जाती है । यही लाल चौक जहां दुनिया भर के पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है । वहीं देशभक्ति और राष्ट्रभक्त का भी एक संबल बना हुआ है। यहां पर तिरंगा झंडा फहराना किसी लिए भी एक यादगार और ऐतिहासिक लम्हा होता है । आजादी के अमृत महोत्सवकाल के दौरान इस ऐतिहासिक लाल चौक पर बनी ऐतिहासिक घड़ी की कलाकृति वह भी ऑर्गेनिक तरीके से बनाकर उत्तर भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक केंद्र बोहड़ाकला  स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में प्रदर्शित किया जा रहा है। विभिन्न खाद्य पदार्थ या फिर प्रतिदिन रसोई में काम आने वाली खाद्य सामग्री दाल, चावल ,इत्यादि से बनाई गई है । कलाकृति आकर्षण और प्रेरणा का केंद्र बनी हुई है।

इसके विषय में ओम शांति रिट्रीट सेंटर के ही बीके सचिन ने बताया दूषित हो रहे पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने विभिन्न खाद्य पदार्थ या फिर प्राकृतिक रंगों के साथ अलग-अलग मौके पर देश विदेश में विख्यात समृद्धि चिन्ह की कलाकृति बनाने का काम आरंभ किया हुआ है। इस प्रकार की कलाकृतियों मे देश और दुनिया के सर्वोच्च पदों पर पदासीन व्यक्ति भी शामिल हैं । दूसरी तरफ ऐसे सभी यादगार प्रतीक इत्यादि जो की इतिहास में समाहित है या लिखे गए हैं , उनकी कलाकृतियों बनाने का सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। इस प्रकार की कलाकृति मौजूदा युवा पीढ़ी को इतिहास से अवगत कराने के साथ-साथ केमिकल या फिर पर्यावरण के प्रतिकूल रंगों के दुष्प्रभाव के विषय में भी जागरूक करने का काम कर रही है । उनके द्वारा बनाई जाने वाला कलाकृति में इस्तेमाल होने वाली विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री फिर से किसी अन्य कलाकृति में इस्तेमाल की जाती है या फिर रसोई में बनाई जाने वाले भोजन में भी उनका इस्तेमाल संभव है।

बीके सचिन ने बताया लाल चौक पर बनी ऐतिहासिक घड़ी की थ्री डी कलाकृति को बनाने से पहले पेपर वर्क करने में ही 3 घंटे का समय लगा। यहां फर्श का फ्लोर पर इसकी पूरी आउटलाइन अथवा स्केच बनाने में 11 घंटे का समय खर्च हुआ है। इस ऐतिहासिक घड़ी को जीवंत  स्वरूप प्रदान किया जाने में विभिन्न प्रकार की रंगीन खाद्य सामग्री से तैयार किया जाने में लगभग 19 घंटे का समय तथा पूरी कलाकृति को तैयार करने में 33 घंटे का समय खर्च हुआ। इस कलाकृति को तैयार कर लिया जाने में अन्य सहयोगियों के द्वारा भी अपना भरपूर सहयोग दिया गया है । इस घड़ी को जीवंत स्वरूप प्रदान करने के लिए 1. साबुत मूंग, 2. मूंग छिलका, 3. मूंग दाल, 4. साबुत उड़द, 5. उड़द छिलका, 6. साबुत मसूर, 7. मसूर दाल, 8. प्लेन चावल, 9. सेला चावल, 10. साबूदाना और 11. पीपल आदि 11 प्रकार की 7 केजी ऑर्गेनिक अनाज का इस्तेमाल हुआ है। 

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कलाकृतियों को बनाने के पीछे उद्देश्य और देश के लिए हमारा संदेश है, कि केमिकल रंगों के बदले ऑर्गेनिक रंगों का रंगोली बनाएं ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे। अभिभावक अपने बच्चों को भी जैविक या ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करने के लिए ही प्रोत्साहित करें। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के अलावा अन्य प्रतियोगिताओं के मौके पर भी आयोजकों को केवल और केवल प्राकृतिक या ऑर्गेनिक कलर को इस्तेमाल किया जाने में प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।

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