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भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत की कुछ विशेषताएं

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श्री शिव महापुराण – पुष्प माला – 【 १७२ 】– इस श्रृंखला की #समापन_पोस्ट – भगवान शिव के निवास स्थान — कैलाश पर्वत – की कुछ विशेषताएं —
#परमात्मामहादेवशंकर के निवास स्थान #कैलाशपर्वत के पास स्थित है #कैलाशमानसरोवर। यह अद्भुत स्थान रहस्यों से भरा है। शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है, जहां की महिमा का गुणगान किया गया है । कैलाश पर्वत से सम्बंधित 12 रहस्यमय तथ्य हैं ~~

🎈【1】.धरती का केंद्र ~ धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचोबीच स्थित है हिमालय। हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत। वैज्ञानिकों के अनुसार यह धरती का केंद्र है। कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों- हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का केंद्र है।

🎈【 2.】अलौकिक शक्ति का केंद्र ~ यह एक ऐसा भी केंद्र है जिसे एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं।

🎈 【 3 】.पिरामिडनुमा है यह पर्वत ~ कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड है, जो 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है। कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिक् बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है, जहां कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है। कैलाश का स्वरूप भी विशिष्ट रूप में है । कोई अन्य पहाड़ की चोटी इस प्रकार की बनावट में नहीं है ।

🎈【 4 】. शिखर पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका है ~ इसी लिए कैलाश पर्वत पर चढ़ना निषिद्ध है,
कहा जाता है यदि कभी किसी ने कैलाश पर चढ़ने के प्रयास किया तो अलौकिक शक्तियों के प्रभाव से डर कर उसे नीचे आना पड़ा ।

🎈【 5.】दो रहस्यमयी सरोवरों का रहस्य : यहां 2 सरोवर मुख्य हैं- पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है। दूसरा, राक्षस नामक झील, जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न वास्तव में देखा जा सकता है। यह अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं या कि इन्हें बनाया गया है । मानसरोवर में कभी कभी पुण्यवान भक्तों को शेष नाग के भी दर्शन हो जाते है

🎈【 6 】 .यहीं से हैं सभी नदियों का उद्गम : इस पर्वत की कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज व करनाली। इन नदियों से ही गंगा, सरस्वती सहित चीन की अन्य नदियां भी निकली हैं। कैलाश की चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख हैं जिसमें से नदियों का उद्गम होता है। पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है।

🎈【 7 】.सिर्फ पुण्यात्माएं ही निवास कर सकती हैं : यहां पुण्यात्माएं ही रह सकती हैं। कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रशिया के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के #चारोंओरएकअलौकिशक्तिकाप्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं।

🎈【 8 】येति मानव का रहस्य : हिमालयवासियों का कहना है कि हिमालय पर यति मानव रहता है। कोई इसे भूरा भालू कहता है, कोई जंगली मानव तो कोई हिम मानव। यह धारणा प्रचलित है कि यह लोगों को मारकर खा जाता है। कुछ वैज्ञानिक इसे निंडरथल मानव मानते हैं। विश्वभर में करीब 30 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हिमालय के बर्फीले इलाकों में हिम मानव मौजूद हैं।

🎈【 9. 】कस्तूरी मृग का रहस्य : दुनिया का सबसे दुर्लभ मृग है कस्तूरी मृग। यह हिरण उत्तर पाकिस्तान, उत्तर भारत, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, मंगोलिया में ही पाया जाता है। इस मृग की कस्तूरी बहुत ही सुगंधित और औषधीय गुणों से युक्त होती है, जो उसके शरीर के पिछले हिस्से की ग्रंथि में एक पदार्थ के रूप में होती है। कस्तूरी मृग की कस्तूरी दुनिया में सबसे महंगे पशु उत्पादों में से एक है।

🎈【 10 】. डमरू और ओम की आवाज : यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो आपको निरंतर एक आवाज सुनाई देगी, जैसे कि कहीं आसपास में एरोप्लेन उड़ रहा हो। लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की ध्वनि जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो। यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से ‘ॐ’ की आवाजें सुनाई देती हैं।

🎈【 11 】. आसमान में लाइट का चमकना : दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है कि ऐसा यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।

🎈【 12 】कहा जाता है कि कैलाश पर्वत अंदर से पिरामिडों की तरह पोला है और शक्तिपुंज शिव जी का निवास स्थान है । सच यह भी हो सकता है कि पुरातन समय में वर्तमान ( मिश्र अरब और अफ्रीका आदि ) के दैत्य और असुर कुल के ” शिव भक्तों ने ” अपने आराध्य शिव जी के कैलाश पर्वत की तरह बनावट में वहां ( शक्तिपुंज ) पिरामिडों का निर्माण किया होगा । किसी कारणवश वहां अपनी विशिष्ट बनावट के कारण केवल पिरामिड छोड़कर सब कुछ नष्ट हो गया ।

🎃  आजादी के पहले तक भारत का संरक्षित क्षेत्र  कैलाश मानसरोवर  , दुर्भाग्य  से राजनीतिज्ञों  की भूल के कारण हमारे लिए आज विदेश हो गया है , परन्तु जब जब देवों के भी देव , परम शक्ति के एक मात्र केंद्र , महादेव मृत्युंजय की बात आएगी , कैलाश और मानसरोवर के वर्णन के बिना कभी भी पूर्ण नहीं होगी । 

🎆 इसलिए महादेव शिव शंकर के साथ ही कैलाश पर्वत को नमन करते हुए हम यहीं पर इस शिव महापुराण – पुष्प माला ~श्रृंखला को विराम देते है ।
सभी शिव भक्तों के श्री चरणों मे सादर प्रणाम —
ॐ नमः शिवाय ~ ॐ नमः शिवाय ~ ॐ नमः शिवाय ~ ॐ नमः शिवाय ~ ॐ नमः शिवाय

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