वैचारिक आत्मविश्वास से ही समाज और राष्ट्र मजबूत – कर्नल रोशन पाल
हीरो का नेफा शहीद दिलीप सिंह का 63वां शहादत दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया
भारत चीन युद्ध में 1962 को 20 अक्टूबर के दिन दिया सर्वोच्च बलिदान
नव विवाहित रामवती का बिना चेहरा देखे ही युद्ध क्षेत्र के लिए हुए रवाना
युद्ध में अब हथियार से भी अधिक तकनीक का स्वरूप तेजी से बदल रहा
फतह सिंह उजाला
जाटोली । ‘हीरो का नेफा’ शहीद दिलीप सिंह का 63वां शहीदी दिवस सोमवार को गरिमा पूर्ण सैन्य परंपरा और श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस शहीदी समारोह दिवस का आयोजन आर्य समाज मंदिर परिसर जाटोली में किया गया । इस आयोजन के मुख्य अतिथि पूर्व कर्नल रोशन पाल सिंह के द्वारा शहीद दिलीप सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ श्रद्धांजलि सभा का आरंभ हुआ।
1962 , 1965 -71 , कारगिल से लेकर मौजूदा समय में दुनिया के विभिन्न देशों में हो रहे भीषण युद्ध में बदलती तकनीक पर विभिन्न वक्ताओं के द्वारा अपने विचार रखे गए । इस मौके पर मुख्य रूप से कहा गया वैचारिक आत्मविश्वास ही समाज और राष्ट्र की एकता अखंडता सुरक्षा तथा मजबूती का मुख्य आधार है। विभिन्न सुरक्षा बलों के साथ-साथ सीमा क्षेत्र तैनात रहने वाले सभी सुरक्षा बलों का आत्मविश्वास अपने चरम पर ही होता है । यही आत्मविश्वास दुश्मन को परास्त करने या फिर दुश्मन को सबक सिखाने का मजबूत हथियार भी साबित होता आ रहा है । इसी मौके पर कहा गया युद्ध अब हथियार से कहीं अधिक तकनीक पर आधारित है और तकनीक पर ही युद्ध को लड़ा जाता है । इसका सबसे बड़ा और ताजा उदाहरण यूक्रेन और रूस के बीच में देखा जा सकता है । यह युद्ध 3 वर्ष से लगातार जारी है , इसका मुख्य कारण यही है कि हथियार से अधिक तकनीक पर प्राथमिकता देते हुए युद्ध किया जा रहा है।
इस मौके पर मुख्य रूप से पूर्व डीएसपी विक्रम सिंह चौहान, मार्केट कमेटी पटौदी के सचिव विपिन यादव, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संचालक प्रताप सिंह, अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी दिलीप पहलवान, पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिंह, जगतपाल सिंह, पूर्व कप्तान जनक पाल, कमांडर योगेश चौहान, पटौदी जाटोली मंडी परिषद के चेयरमैन प्रवीण ठाकरिया, रवि चौहान जसात, पार्षद रवि चौहान, बहादुर सिंह, सरपंच करण सिंह जसात तथा अन्य गण मान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त शहीद के परिजन विशेष रूप से मौजूद रहे।
हीरो का नेफा शहीद दिलीप सिंह को याद करते हुए उनकी राष्ट्रभक्ति और जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने का आह्वान किया गया। इसके साथ ही यह भी मंच के माध्यम से बात रखी गई कि शहीद की याद में कोई ना कोई विशेष स्मारक अवश्य बनाया जाना चाहिए। वक्ताओं के द्वारा बताया गया राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रभक्त क्या होती है ? यह शहीद दिलीप सिंह और उनकी वीरांगना स्वर्गीय रामादेवी से सीखना चाहिए । एक बार जीवनसाथी बनने के बाद आजीवन अपने वचन को निभाया गया । आज भारत की गिनती विशेष रूप से सैन्य शक्ति के तौर पर दुनिया में सबसे मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र के तौर पर हो रही है । सरकार के द्वारा सेना और सैनिकों को दुनिया के आधुनिक हथियार उपलब्ध करवाए जा रहे हैं । भारत की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार की है कि यहां रहने वाले विभिन्न वर्ग संप्रदाय के सुरक्षा बलों में तैनात जवानों को राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र प्रेम का गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। यही आत्मविश्वास ही सबसे बड़ा और मजबूत हथियार है जिसके कारण भारत को गुलाम बनाना किसी भी देश के लिए संभव नहीं है।
