एसआईटी चीफ अरुणवीर सिंह ने कही बड़ी बात, क्या है किसानों के विरोध की हकीकत –
एसआईटी चीफ अरुणवीर सिंह ने कही बड़ी बात, क्या है किसानों के विरोध की हकीकत –
ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के लीज़ बैक मामलों में नया मोड़ आया है। राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर कुछ किसानों ने सवाल उठाए हैं, जिससे मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। एसआईटी अध्यक्ष और यमुना अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने मंगलवार को इस मामले पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के आदेश पर दो बार जांच की गई और दोनों रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई हैं। इन जांच में 1453 किसानों से जुड़े लीज़ बैक के मामलों की जांच की गई थी।
कैसे शुरू हुआ मामला
डॉ.अरुणवीर सिंह ने कहा, “दोनों चरणों में लगभग 1453 लोगों के मामलों को शासन ने क्लियर कर दिया है। कुछ मामलों में भिन्नताएँ पाई गईं, जैसे क्षेत्रफल में अंतर, नामों में अंतर, या फिर कुछ मामलों में आवेदन की स्थिति को लेकर अस्पष्टता थी।” उन्होंने आगे बताया कि इन मुद्दों पर पुनः जांच की गई। हर एक खसरा नंबर को साइट इमेज से मिलान किया गया और किसानों के साथ बैठकें कर उनकी बात सुनी गई।
किसानों ने आरोप लगाया
हालांकि, अब कुछ किसानों ने आरोप लगाया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारी रिपोर्ट को लीक कर रहे हैं और उसमें ऐसी बातें जोड़ रहे हैं जो एसआईटी ने नहीं कही थीं। डॉ.अरुणवीर सिंह ने इस पर कहा, “यह शायद कुछ किसानों को असुविधा देने या परेशान करने के लिए किया जा रहा है। हमने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से बात की है और उन्होंने कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों को काम से हटा दिया है।”
आंदोलन के लिए भड़का रहे कुछ लोग
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ शिकायतें आई थीं कि ग्रेटर नोएडा के कुछ अधिकारी गांवों में जाकर लोगों को आंदोलन के लिए भड़का रहे हैं। इस मामले में भी प्राधिकरण ने अपनी टीम में बदलाव किए हैं और नए अधिकारियों को तैनात किया है। डॉ.अरुणवीर सिंह ने स्पष्ट किया, “अभी तक एसआईटी के सामने ग्रेटर नोएडा की कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है। जो रिपोर्ट लीक हो रही है, वह ग्रेटर नोएडा के कुछ अधिकारियों द्वारा तैयार की जा रही है और उसे चुनिंदा तरीके से लीक किया जा रहा है।”
दो अधिकारियों पर गिरेगी गाज
इस पूरे प्रकरण में दो अधिकारियों को हटाया गया है, जिन पर गंभीर आरोप लगे थे। यह मामला अब राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन है और आने वाले दिनों में इस पर कोई ठोस निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। यह मामला ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के विकास और किसानों के हितों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को रेखांकित करता है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए यह एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, जिसका समाधान निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाना आवश्यक है।
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