Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

राजपूत बहुल बोहड़ाकला में महाराणा प्रताप जयंती पर शोभा यात्रा

30

राजपूत बहुल बोहड़ाकला में महाराणा प्रताप जयंती पर शोभा यात्रा

महाराणा प्रताप के जीवन आदर्श को आत्मसात करने का संकल्प लिया

प्रातः शहीद ऋषिपाल सिंह चौहान के स्मारक पर हवन यज्ञ किया गया

घोड़े पर प्रतीकात्मक महाराणा प्रताप की अगुवाई में परिक्रमा की गई

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 विधानसभा क्षेत्र के सबसे बडे गांव एवं केंद्रीयमंत्री जनरल विजय कुमार सिंह की ननिहाल बहोडा कला मे महाराणा प्रताप जयंती धूमधाम सहित उत्साह के साथ मनाई गई। इस मौके पर सभी समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए, तथा महाराणा प्रताप के पदचिन्हों पर चलने और जीवन आदर्श को आत्मसात करने का संकल्प लिया। इसी मौके पर बंचारी से आए कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए इस युवाओं को प्रेरित किया।

हिंदू सम्राट वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की जयंती पर कार्यक्रम की शुरुआत शहीद ऋषिपाल सिंह चौहान के स्मारक पर हवन यज्ञ के साथ हुई। इसके बाद बंचारी से आए कलाकारों ने समा बांध दिया। तत्पश्चात पूरे गांव में सभी समाज के हजारों लोगों ने रैली निकाली। इस मौके पर जिला पार्षद सुशील चौहान, सरपंच यजविंद्र शर्मा, नंबरदार नेपाल चौहान, उदय चौहान छोटू, महेश सैनी, नरेंद्र पहाड़ी, मेहर चंद गांधी, पूर्व ओएसडी डिप्टी सीएम महेश चौहान, अनिल भदौरिया, राजेश चौहान, डायरेक्टर श्रीराम स्कूल श्याम चौहान,  मैत्री इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन विक्रम शर्मा, सुमित चौहान, अतर सिंह सरपंच नूरपुर, करण सिंह आढती, ओमपाल चौहान, रिटायर्ड प्रोफेसर जगतपाल चौहान, सुनील पटौदी, कुंवर भूपेंद्र सिंह चौहान, ब्लॉक समिति सदस्य नरेश, विक्रम आदि उपस्थित थे

इस मौके पर जिला पार्षद सुशील चौहान ने बताया  कि मुगल सम्राट अकबर बिना युद्ध के ही प्रताप को अपने अधीन लाना चाहता था। इसलिए अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार राजदूत नियुक्त किए, जिसमें सर्वप्रथम सितम्बर 1572 ई. में जलाल खाँ प्रताप के खेमे में गया, इसी क्रम में मानसिंह, भगवानदास तथा राजा टोडरमल प्रताप को समझाने के लिए पहुँचे। लेकिन राणा प्रताप ने चारों को निराश किय।, इस तरह राणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया।  जिसके परिणामस्वरूप हल्दी घाटी का ऐतिहासिक युद्ध हुआ। महाराणा प्रताप ने जंगल में रहकर घास की रोटी खाना स्वीकार किया लेकिन अधीनता को स्वीकार नहीं की। हिंदुत्व को बचाने के लिए मुगलों के आगे सिर नहीं झुकाया। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए । अपने स्वाभिमान को बचाने के लिए हमें दुःखी-सुखी रहना पड़े, वह सह लेना चाहिए। जैसे महाराणा प्रताप भीलों के साथ रहे, उसी प्रकार हिंदू समाज में एकजुटता रखनी चाहिए । बाहरी आक्रमणकारियों के षड्यंत्र का हिस्सा नहीं बनना है ।

अन्य वक्ताओं ने कहा महापुरुष किसी भी विशेष जाति समाज या संप्रदाय के नहीं होते। इन पर सभी देशवासियों का हक है। यह कुछ राजनीतिक वह कुछ व्यक्तिगत लालच के लिए स्वार्थी लोग इन्हें जातिगत बांट देते हैं। हमें महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने परिवार अपने समाज वह अपने देश में तरक्की करने का सपना संजोना चाहिए। हमें यह देखना चाहिए किन विषम परिस्थितियों में राणा ने अपने आप को सक्षम बना कर भारत देश के सबसे बड़े शक्तिशाली मुगल शासक अकबर के घुटने टिकवा कर हिंदुत्व को स्थापित किया। हमें उनके जीवन के संघर्ष से प्रेरणा लेकर अपने समाज अपने देश की तरक्की के लिए अग्रसर रहना चाहिए। हमें उन्हे आदर्श मानकर समाज में फैली जाति पाति की विचारधारा को दूर करने के लिए उपस्थित सभी जन गण से प्रार्थना की कि उन्हें अपने जीवन में उतारे। भारत में अशिक्षा, स्त्री शिक्षा, जाति-पांति, छुआछूत आदि समस्याओं के विरुद्ध जिन लोगों ने संघर्ष किया और समाज में समरसता कायम करने का प्रयास किया उन्हें आदर्श बनाकर उनके कार्यक्रम करने चाहिए। आने वाली पीढ़ियों को इन बीमारियों से बचाने का यही एकमात्र उपाय है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading