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Rajni

जो भाग्य में नहीं, पुरुषार्थ से वह भी मिल जाता : सौरभ सागर 

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गुरुग्राम। अष्टान्हिका महापर्व के पावन दिवस में 17 मार्च से 25 मार्च तक श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जैकमपुरा में चल रहे सिद्ध चक्र महामंडल विधान में सिद्धों की आराधना विधान में परम पूज्य आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज जी का सानिध्य प्राप्त हुआ।

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आचार्यश्री ने विधान की महिमा को बताया कि इस विधान में सिद्ध भगवन्तो की आठ दिन तक आराधना की जाती है। सर्वप्रथम यह विधान मैना सुन्दरी ने सिद्ध भगवानों की आराधना कर सात सौ कोढिय़ों को कोढ़ से मुक्ति दिलाई थी। आचार्यश्री ने यह भी बताया कि सिद्ध भगवन्तो की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह भी बताया कि हमें अपने भाग्य पर निर्भर नहीं होना चाहिए। पुरुषार्थ जरूर करना चाहिए। जो हमारे भाग्य में नहीं होता, वह भी पुरुषार्थ से हमको प्राप्त हो जाता है। इसलिए पुरुषार्थ जरूर करना चाहिए।

विधान की महिमा को विस्तार से बताते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सिद्ध भगवन्तो की आराधना विशेषकर साल में फाल्गुन में, आषाढ़ में और कार्तिक माह में की जाती है। सिद्धचक्र विधान का आयोजन करके विधान को भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक किया जाना चाहिए। यहां चल रहे विधान में संगीतमय ध्वनियों के साथ श्रावक भक्ति, श्रद्धापूर्वक सिद्धों की आराधना कर रहे हैं।    

इस विधान में सौ धर्म इंद्र कपिल जैन, अन्नु जैन मालिबू टान, धनकुबेर राकेश जैन, इंद्र जैन, महायज्ञ नायक नरेश चंद जैन, सरला जष्ैन, ईशान इंद्र, अशोक कुमार जैन, इंद्र जैन, सानत कुमार इंद्र, नरेश जैन धनकोट वाले, अर्चना जैन, महेंद्र इंद्र, श्रेयांस जैन, राखी जैन, एवं मैना सुन्दरी श्रीपाल, संगीता जैन, मुकेश जैन मेरठ वालों को विधान में पात्र बनने का अवसर मिला। विधान में काफी श्रावक-श्राविका भाग लेकर पूजा-आराधना कर रहे हैं। 

विधान की पूजा आराधना पंडित संदीप जैन सजल इंदौर एवं संगीतकार धर्मवीर एंड पार्टी भोपाल द्वारा बहुत ही भव्यता से किया जा रहा है। इस विधान में बेहतरीन व्यवस्थाएं आराधना के लिए की गई हैं। जैन समाज के प्रधान संदीप जैन, उपप्रधान विनय जैन, महामंत्री श्रेयांस जैन, सहमंत्री पारस जैन, कोषाध्यक्ष प्रदीप जैन ने बताया कि श्रावक-श्राविकाओं को पूजा-विधान में बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं।

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