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सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी सभी स्कूलो के लिए अनिवार्य: डीसी

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सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी सभी स्कूलो के लिए अनिवार्य: डीसी

अनिमितता पाए जाने पर संबंधित स्कूलो पर कड़ी कार्यवाही तय

निर्धारित मानदंडो की अवहेलना पाए जाने पर स्कूलों को नोटिस

स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए मुख्यालय लिखा जाएगा पत्र

उल्लंघना पर बस चालकों के लाइसैंस किए गए रद्द, आरसी जब्त

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम ।’ 
   डीसी निशांत कुमार यादव ने सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी की अवहेलना करने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए उनकी मान्यता रद्द करने के लिए मुख्यालय पत्र लिखने के आदेश दिए। इसके अलावा, जिन स्कूल बसों में चौकिंग के दौरान पॉलिसी के तहत निर्धारित मानदंडो की अवहेलना पाई गई है उनके बस चालकों के लाइसैंस रद्द कर उन्हें जब्त करने के निर्देश भी उपायुक्त ने क्षेत्रीय यातायात प्राधिकरण के सचिव को दिए।

बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ नही
शुक्रवार को लघु सचिवालय स्थित सभागार में सड़क सुरक्षा सलाहकार समिति की मासिक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उपायुक्त ने कहा कि सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी की पालना सभी विद्यालयों के लिए अनिवार्य है। जिला प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और उनकी सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार का जोखिम नही उठाया जा सकता। उन्होंने सख्त लहजें में कहा कि बार-2 जिला प्रशासन द्वारा विद्यालयों को पॉलिसी के तहत निर्धारित मानदंडों की पालना के लिए निर्देश दिए जा चुके है, लेकिन कई विद्यालयों के ढुल-मुल रवैये के चलते जिला प्रशासन अब विद्यालयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगा। जिन विद्यालयों में पॉलिसी की अवहेलना पाई जाएगी उनकी मान्यता रद्द करने के लिए सरकार को लिखा जाएगा। इसके अलावा, अनियमितता पाई जाने वाली बसों के लाइसैंस रद्द कर उन्हें जब्त किया जाएगा।

स्कूलों में चौकिंग में पाई गई अनियमितता
बैठक में संबंधित एसडीएम द्वारा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी की पालना को लेकर उनके अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाले स्कूलों की चौकिंग रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। चौकिंग के दौरान पाया गया कि इन विद्यालयों में बसों आदि पर नियुक्त किया गया स्टॉफ पॉलिसी के नियमानुसार अप्रशिक्षित था। स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे काम नही कर रहे थेे। कई बसों में फर्स्ट एड किट नही थी और जिनमें थी उनमें एक्सपाइरी डेट की दवाईयां रखी गई थी। जीपीएस खराब थे। बसों में रखे गए ड्राइवर एक साल से कम अनुभवी थे जबकि नियमानुसार स्कूल बसों पर रखे गए ड्राइवरों के पास कम से कम दो साल का अनुभव होना अनिवार्य है। इसके साथ ही बसों पर एमरजेंसी हैल्पलाइन नंबर भी नही लिखे गए थे।

इन स्कूलो में नवंबर माह की चौकिंग,में अनियमितताएं
बैठक में विद्यालयों की चौकिंग के दौरान कई स्कूल बसों में पॉलिसी की अवहेलना के बारे में बताया गया। बैठक में बताया गया कि नवंबर माह में टीम द्वारा द मोर्या स्कूल, ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल, ज्ञानदेवी पब्लिक स्कूल की चौकिंग की गई। इसके अलावा, बादशाहपुर में लोटस वैली पब्लिक स्कूल तथा पटौदी में सरस्वती सीनियर सैकेण्डरी स्कूल तथा जेकेएम पब्लिक स्कूल की गई है। इस दौरान विद्यालयों में पॉलिसी की अवहेलना पाई गई जिसे गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त इन विद्यालयों पर नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

क्या है सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी’
सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत स्कूल बसे पीले रंग की होनी चाहिए और उस पर नीले गहरे रंग की पट्टी लगानी अनिवार्य है। स्कूल बसो के आगे सफेद चमकीली पट्टी तथा पीछे लाल रंग की पट्टी होनी चाहिए। बसो की स्पीड कंट्रोल करने के लिए स्पीड गर्वनर लगे होने चाहिए। स्कूल बसो पर आगे तथा पीछे ‘स्कूल बस’ अवश्य लिखा होना चाहिए और यदि किराए पर बस हैै ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखा होना चाहिए। बस सुव्यवस्थित होनी चाहिए। साथ ही सभी आवश्यक परमिट, इंश्योरेंस, रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, पोलुशन प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज पूरे होने चाहिए। इसके अलावा बस का चालक अनुभवी व कुशल होना चाहिए व उसके साथ एक परिचालक भी होना चाहिए। स्कूल की प्राइवेट बसों में दो सीसीटीवी कैमरे (बस के अंदर आगे व पीछे) लगे होने चाहिए जो ना केवल अच्छी गुणवत्ता के हो बल्कि उनमें डिजीटल वीडियों रिकॉर्डिंग व टील्ट ज़ूम आदि की क्षमता हो।

स्टॉफ, कन्डेक्टर व महिला अटेंडेट हों ट्रैंड
बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया स्टॉफ, कन्डेक्टर व महिला अटेंडेट पूरी तरह से ट्रैंड होने चाहिए व उनके साथ एक टीचर इंचार्ज भी अवश्य होना चाहिए। स्कूलों में बाऊंडरीवॉल व पार्किंग एरिया होना अनिवार्य है ताकि बच्चों को स्कूल छोड़ते समय व ले जाते समय उन्हें बाऊंडरीवॉल के भीतर से ही लिया जा सके। बसों में फस्ट एड किट के साथ फायर एक्सटींगशर होना भी अनिवार्य है। बसों में नियुक्त किया गया स्टाफ अपनी यूनिफार्म में होना चाहिए तथा उसके पास सिविल सर्जन से मेडिकल फिटनेस का प्रमाण-पत्र होना चाहिए।

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