रूस-यूक्रेन की जंग से आपकी जेब पर पड़ेगा भारी असर महंगी हो सकती हैं डेलीयूज की ये चीजें
कोविड की मार के बाद मंहगाई से देश उभरा तक नही था। अब एक फिर से लोगो को मंहगाई का सामना करना पडेगा। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण बन रहे हालातों से आपकी जेब पर भारी असर पड़ने की आशंका है हर रोज काम आने वाली चीजे तकनीक से जुड़ी रोजमर्रा की ये सभी चीजें अब महंगी होने की आशंका है. वजह है यूक्रेन-रूस के बीच हो रहा युद्ध. आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसका यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध से क्या लेना देना है। जी हंा ये सच है आईए जानते क्या क्या होगा मंहगा और क्यो
बात करे तो गैजेट, गाड़ी, घड़ी में इस्तेमाल होने वाले चिप्स केवल विश्व के 3 देशों में बनते हैं.। रॉ मटीरियल ज्यादातर यूक्रेन और रूस में बनता है.रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण बन रहे हालातों से आपकी जेब पर भारी असर पड़ने की आशंका है. स्मार्ट वॉच हो या कपड़े धोने वाली वाशिंग मशीन. आपकी गाड़ी हो या घंटों इस्तेमाल में आना वाला लैपटॉप. तकनीक के वो सभी गैजेट जिन्होंने हमारी, आपकी जिंदगी को सरल बनाया है, वो चिपसेट यानी सेमीकंडक्टर की बदौलत बनाया है.। चिपसेट यानी सेमी कंडक्टर की कमी पहले से ही दुनिया में होना शुरू हो गई थी, अब इसके और बढ़ने की आशंका है. सीईओ जॉर्ज पॉल बताते हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध के कारण यूक्रेन की निर्यात क्षमता कम हो रही है.
रूस के ऊपर आर्थिक प्रतिबंध के कारण भी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है.। युद्ध के कारण यूक्रेन से जो मैटेरियल आता है, जैसे तेल, गैस यूरेनियम जैसी चीजों की सप्लाई पर प्रभाव पड़ेगा। इनमें से नियॉन, हीलियम, पैलेडियम सेमी कंडक्टर इंडस्ट्री के लिए जरूरी तत्त्व हैं. दुनियाभर में 70 परसेंट नियॉन यूक्रेन से आता है.। दुनियाभर में 40 प्रतिशत पैलेडियम रूस से आता है. इनकी सप्लाई युद्ध के चलते बाधित होगी.
सभी टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट में इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ या धातु हैं.। नियॉन, हीलियम, पैलेडियम का उपयोग सेमीकंडक्टर बनाने के लिए होता है. सेमीकंडक्टर का उपयोग आज सभी प्रोडक्ट्स में होता है. वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, फ्रिज, मोबाइल फोन, लैपटॉप इन सभी में सेमीकंडक्टर यूज होता है. ऑटो मोबाइल, डिस्प्लेरू कंप्यूटर बनाने और टीवी बनाने पर इसका असर होगा.। आज के समय मे ऐसा कोई प्रोडक्ट नही जो सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल नहीं करता.।
यूक्रेन और रुस से तेल, गैस जैसे कई प्रोडक्ट आते हैं.। इसका असर पूरे विश्व पर होगा. भारत पर इसका कितना असर होगा ये कहना मुश्किल है, क्योंकि यह ग्लोबल चेन पर निर्भर करेगा.। ये चीन रूट से सप्लाई नहीं होते हैं. सेमीकंडक्टर एक राज्य में बनता है तो प्रोडक्ट किसी और राज्य में. ये प्रोडक्ट का दिमाग होता है.। इंटेलिजेंस इससे बाद की स्टेज है.। भारत ने भी सेमीकंडक्टर बनाने को लेकर आत्मनिर्भर होने का फैसला लिया है। इसके लिए 5 से 10 साल का सफर करना होगा।. सेमीकंडक्टर बनाने वाले देश बहुत कम हैं.। ज्यादातर इसे इंपोर्ट करते हैं.
दरअसल सभी गैजेट, गाड़ी, घड़ी में इस्तेमाल होने वाले चिप्स बनते केवल विश्व के 3 देशों में हैं. हालांकि इसका रॉ मटीरियल ज्यादातर यूक्रेन और रूस में बनता है. चिपसेट यानी सेमी कंडक्टर की कमी पहले से ही दुनिया में होना शुरू हो गई थी, अब इसके और बढ़ने की आशंका है. ड।प्ज् के सीईओ जॉर्ज पॉल बताते हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध के कारण यूक्रेन की निर्यात क्षमता कम हो रही है.
देश में खाद के लिए अब पहले से अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है.। खाद के उत्पादन के लिए पोटाश जरूरी होता है और भारत भारी मात्रा में पोटाश का आयात करता है.। रूस और बेलारूस पोटाश के सबसे बड़े निर्यातक हैं। लेकिन यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के कारण पोटाश की आपूर्ति संकट में पड़ गई है.। यूक्रेन भी पोटाश का निर्यात करता है।.रूस-बेलारूस से पोटाश आयात करता है।
भारत बता दें कि भारत के कुल उर्वरक आयात का 10 से 12 फीसदी हिस्सा रूस, यूक्रेन और बेलारूस का है।. इस युद्ध से पहले भारत, रूस के बंदरगाहों के जरिए बेलारूस से पोटाश लाने की योजना बना रहा था, लेकिन प्रतिबंधों के कारण ये प्लान खटाई में पड़ता दिख रहा है.। कनाडा उत्पादन बढ़ाने को सहमत नहीं
इसके अलावा पोटाश उत्पादन करने वाले अन्य देश जैसे कनाडा अपना उत्पादन बढ़ाने को सहमत नहीं हैं और इसी कारण वैश्विक बाजार में इसके दाम अधिक हैं.। खाद की अधिक कीमत के कारण केंद्र सरकार को अधिक अनुदान देना पड़ सकता है।. चालू वित्त वर्ष में पोटाश का आयात करीब 280 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के दाम पर किया जाता रहा लेकिन आपूर्ति संकट के कारण इसके दाम 500 से 600 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो सकते हैं.आयात में आ रही है। बाधा
क्रिसिल रेटिंग के निदेशक नीतेश जैन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध का उर्वरक आयात पर बहुत असर दिखेगा. भुगतान और लॉजिस्टिक इसके आयात के लिए बाधा बनेंगे.
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च की सीनियर एनालिस्ट पल्लवी भाटी ने कहा कि रूस उर्वरक का बहुत बड़ा निर्यातक हैं।. इसी कारण आयात मूल्य में तेज बढ़ोतरी की पूरी संभावना है.। इसके अलावा यूरिया के उत्पादन के लिए जरूरी गैस की कीमतें भी बढ़ी हैं।
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