आईएलडी ग्रीन्स परियोजना में खरीदारों को न्याय देने में रेरा गुरुग्राम विफल
आईएलडी ग्रीन्स परियोजना में खरीदारों को न्याय देने में रेरा गुरुग्राम विफल
-254 पीडि़त खरीदार 10 साल से अपने घरों के लिए कर रहे इंतजार
प्रधान संपादक योगेश
गुुरुग्राम। आईएलडी ग्रीन्स परियोजना में समय पर प्रॉपर्टी तैयार नहीं होने के मामले में रेरा, गुरुग्राम से न्याय नहीं मिलने पर खरीदारों ने अब केंद्रीय शहरी मंत्री हरदीप पुरी और केंद्रीय काूनन मंत्री किरेन रिजिजू से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। ग्रीन फ्लैट बायर्स एसोसिएशन ने शिकायत में लिखा है कि वे इस मामले में रेरा को निर्देश दें कि पीडि़तों को जल्द से जल्द न्याय दिया जाए।
ग्रीन फ्लैट बायर्स एसोसिएशन एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन सोनी ने बताया कि करीब 10 साल पहले काफी लोगों ने आईएलडी ग्रीन्स परियोजना में अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च किया था। पिछले 10 साल से बिल्डर ने यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया है। बुकिंग के सात साल बाद बायर्स ने कानूनी लड़ाई लडऩी शुरू की। पिछले तीन साल से वे यह लड़ाई लड़ रहे हैं। काफी पैसा खर्च करने के बाद भी उन्हें उनका हक मिला पाया है। अभी तक 254 पीडि़त खरीदार प्रॉपर्टी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सेक्टर-37सी गुरुग्राम में परियोजना आईएलडी ग्रीन्स में टावर-2 के निर्माण कार्यों को भी अधूरा छोड़ा गया है।
एसोसिएशन के अधिवक्ता अभय जैन ने कहा कि आज तक हरेरा गुरुग्राम इस मामले में आखरी फैसला सुनाने में विफल रहा है। राजन सोनी ने आगे बताया कि रेरा में 17 अक्टूबर, 2022 को अध्यक्ष के नेतृत्व में पीठ द्वारा यह मामला सुना गया था। एसोसिएशन ने कहा कि डेवलपर आईएलडी मिलेनियम प्राइवेट लिमिटेड की ओर से आवंटियों से लगभग 170 करोड़ रुपये की बड़ी राशि एकत्र की गई, लेकिन उन्हें आवंटन अभी तक नहीं किया गया है।
रेरा गुरुग्राम चेयरमैन केके खंडेलवाल और तीन सदस्य, संजीव कुमार अरोड़ा, अशोक सांगवान व विजय कुमार गोयल के समक्ष इस विषय पर बहस भी हुई। दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करते हुए फाइनल निर्णय की घोषणा के लिए 27 अक्टूबर, 2022 को निर्णय देने के लिए निर्धारित किया गया। 27 अक्टूबर, 2022 को 80 दिन बीत जाने के बाद भी यह चिंताजनक है, हताश करने वाला है कि इस पर कुछ कार्रवाई नहीं हुई। यह निराशाजनक है कि 254 बायर्स के अधिकारों के लिए एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रेरा की लचर रवैये के कारण आवंटियों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
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