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रेमडेसिविर इंजेक्शन बना संजीवनी और दर-दर भटके इंसान !

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रेमडेसिविर इंजेक्शन बना संजीवनी और दर-दर भटके इंसान !

मुंह मांगी कीमत पर भी उपलब्ध नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन

गुरुग्राम में रेमडेसिविर इंजेक्शन की 800 वाईल का दावा

फतह सिंह उजाला

कोरोना कॉविड 19 की हकीकत क्या है , यह बढ़ते हुए केस को देखकर रहस्य सहित बहस का भी मुद्दा बनता जा रहा है  ! लेकिन जो हकीकत है , वह यह है कि करुणा कोविड-19 से घोषित पीड़ित की जान बचाने के लिए संजीवनी कहे जाने वाला इंजेक्शन रेमडेसिविर मुंह मांगी कीमत पर भी उपलब्ध नहीं हो रहा है । सीधे और सरल शब्दों में रेमडेसिविर इंजेक्शन एक ऐसी संजीवनी बन गया या बना दिया गया , जिसके लिए आम इंसान हनुमान बनकर दर-दर भटक रहा है । लेकिन यह संजीवनी मुंह मांगी कीमत पर भी नहीं मिल रही।

दो दिन पहले ही हरियाणा की आर्थिक राजधानी, मेडिकल हब और विश्व पटल पर साइबर सिटी के नाम से पहचान बना चुके गुरुग्राम में गुरुग्राम मानिटरिंग अधिकारी राज्य सरकार के मुख्य अतिरिक्त सचिव पीसी गुप्ता गुरुग्राम पहुंचे थे और स्वास्थ्य विभाग सहित संबंधित विभाग के अधिकारियों की बैठक में कोरोना कोविड-19 को लेकर बनते जा रहे गंभीर हालात से निपटने के लिए समीक्षा बैठक भी की। इसी बैठक में गुरुग्राम के मॉनिटरिंग अधिकारी एवं राज्य सरकार के मुख्य अतिरिक्त सचिव पीसी गुप्ता के द्वारा दावा किया गया था कि गुरुग्राम में रेमेडीसीवर इंजेक्शन की 800 से ज्यादा वाईल उपलब्ध है । अब ऐसे में सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि एक दिन बाद ही बुधवार को रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए जरूरतमंद लोगों को यहां से वहां फोन पर गिड़गिड़ाते तथा मुंह मांगी कीमत अदा करने की बात कहते देखा गया।

सबसे अधिक चैंकाने वाली बात यह सामने आई कि स्वास्थ्य विभाग में ही कार्यरत चिकित्सा अधिकारी अपने परिचितों-परिजनों की जान बचाने की संजीवनी रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए हद से ज्यादा चिंतित और परेशान दिखाई दिए । गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उपचाराधीन एक व्यक्ति के लिए अस्पताल के द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की 6 डोज देने के लिए कोविड-19 के पीड़ित के तीमारदारों को परचा थमा दिया गया । इसके बाद शुरू हुआ संजीवनी बने रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश का अभियान। एक इंजेक्शन को प्राप्त करने के लिए अथवा खरीदने के लिए दिल्ली, यूपी, राजस्थान जहां-जहां भी जानकार अथवा परिचित मिले वहां पर किसी भी प्रकार से इस एक इंजेक्शन को उपलब्ध कराने या खरीदने की बात कही गई । यह बात यहीं पर ही समाप्त नहीं होती , इस एक इंजेक्शन के लिए मुंह मांगी कीमत अदा करने की भी छूट दे दी गई । लोगों के बीच चर्चा के मुताबिक यह इंजेक्शन 40000 से अधिक दाम पर ही उपलब्ध होने के दावे किए जाते रहे , लेकिन बुधवार को जो हालात और चर्चा देखी और सुनी गई उसके मुताबिक रेमडेसिविर इंजेक्शन रूपी यह संजीवनी मुंह मांगी कीमत पर भी उपलब्ध नहीं हो सकी। डॉक्टरों के मुताबिक रेमडेसिविर  इंजेक्शन कोविड-19 पीड़ित को देने के बाद पीड़ित की खतरे में पड़ी जिंदगी को बचाया जा सकता है ।

बड़ा सवाल… यही छोटा जवाब मांग रहा है कि जब गुरुग्राम में रेमडेसिविर इंजेक्शन की 800 से ज्यादा वाईल उपलब्ध होने का दावा किया गया तो इसका स्टॉक कहां और किस विभाग सहित किस अधिकारी के अंडर या फिर कंट्रोल में है ! या फिर 48 घंटे बीतने के साथ-साथ दावे के विपरीत रेमडेसिविर इंजेक्शन की 800 से ज्यादा वाइल पीड़ितों के बीच में उपलब्ध करवा दी गई । कथित रूप से ऐसा संभव भी दिखाई नहीं दे रहा कि इतनी बड़ी संख्या में 48 घंटे में ही 800 वाईल उपलब्ध होने के दावे के अनुसार इसका वितरण कर दिया गया हो। यह मान भी लिया जाए की 800 रेमडेसिविर इंजेक्शन पीड़ितों अथवा जरूरतमंदों को उपलब्ध भी करवा दिए गए , तो इसका कहीं ना कहीं रिकॉर्ड भी उपलब्ध अवश्य होना चाहिए। किये गए दावे और इन दावों के 48 घंटे के बाद जो हालात बने देखे गए, इनके बीच में बहुत बड़ा विरोधाभास उभर कर सामने आया है और यही विरोधाभास भी बड़े सवाल का छोटा सा जवाब तलाश रहा हैै।

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