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मानव जीवन के मूल उद्देश्य एवं अर्थ का बोध कराता है धर्म – द्रौपदी मुर्मू

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मानव जीवन के मूल उद्देश्य एवं अर्थ का बोध कराता है धर्म – द्रौपदी मुर्मू

                                                                  महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने किया इंटरफैथ मीट को सम्बोधित                                                                                                      द्रौपदी मुर्मू  ने कहा कि धर्म हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता                                                                   

ब्रह्माकुमारीज के द्वारा किया गया इंटरफैंथ सम्मेलन का आयोजन                                                                                                                  सामाजिक समरसता और सौहार्द के लिए एक-दूसरे का सम्मान जरूरी 

फतह सिंह उजाला                                    बोहड़ाकला / नई दिल्ली 26 अक्टूबर । धर्म न केवल मानव को जीवन के उद्देश्य एवं अर्थ का बोध कराता है बल्कि जीवन की जटिलताओं को समझने में भी सहायता करता है। उक्त विचार भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने व्यक्त किए। श्रीमती मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा आयोजित इंटरफैंथ मीट को सम्बोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि धर्म हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रार्थना, ध्यान और धार्मिक अनुष्ठान मानव को आंतरिक शांति और भावनात्मक स्थिरता का अनुभव करते हैं। 

महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि शांति, प्रेम, पवित्रता और सच्चाई जैसे आध्यात्मिक मूल्य ही जीवन को सार्थक बनाते हैं। इन मूल्यों से रहित धार्मिक प्रथाएं मानव का कल्याण नहीं कर सकती। सामाजिक समरसता और सौहार्द को बनाए रखने के लिए एक-दूसरे का सम्मान जरूरी है। हम जैसा व्यवहार खुद के लिए चाहते हैं, दूसरों से भी वैसा ही व्यवहार करें। सभी धार्मिक ग्रंथ प्यार की भाषा सिखाते हैं। ईश्वर सभी को समान प्यार करता है।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि स्वयं की विस्मृति ही दुखों का मूल कारण है। आपसी सद्भाव से ही सामाजिक ताना-बाना मजबूत होता है। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। आध्यात्मिक रूप से सशक्त व्यक्ति ही आंतरिक शांति और स्थिरता का अनुभव कर सकता है। धार्मिक समभाव, एकता और देश प्रेम के भाव ही एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। ब्रह्माकुमारीज संस्था इस दिशा में एक अनुकरणीय कार्य कर रही है।                                                                                                        धर्म गुरुओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए

कार्यक्रम में अलग-अलग धर्मों के धर्म गुरुओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। जिनमें प्रमुख रूप से टैम्पल ऑफ अंडरस्टैंडिंग के महासचिव डॉ. ए.के. मर्चेंट, यहूदी धर्म के प्रमुख, ईजेकिल इसहाक मालेकर, दिल्ली, जमात ए इस्लाम हिंद के उपाध्यक्ष, सलीम इंजीनियर, बौद्ध धर्मगुरु भिक्खु संघसेना, जैन मुनि आचार्य लोकेश, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी महाराज, हरि मंदिर, पटौदी, गुरुद्वारा बंगला साहेब के प्रमुख ज्ञानी रंजीत सिंह एवं रामाकृष्णा मिशन पहाड़गंज, दिल्ली के सचिव सर्वलोकानंद  ने भाग लिया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी, संस्थान के अतिरिक्त महासचिव, राजयोगी बीके बृजमोहन, ओआरसी की निदेशिका, राजयोगिनी आशा दीदी, संस्थान के जापान सेवाकेंद्रों की निदेशिका बीके रजनी, ऑस्ट्रेलिया से बीके चार्ली सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन बीके हुसैन ने किया।

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