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मानहानि मामले में मुख्यमंत्री गहलोत को राहत

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मानहानि मामले में मुख्यमंत्री गहलोत को राहत:संजीवनी क्रेडिट सोसायटी केस; केंद्रीय मंत्री शेखावत को गिरफ्तारी का डर, हाईकोर्ट पहुंचे

जोधपुर
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शुक्रवार को हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लगातार हमला बोलने के कारण शेखावत के इस कदम को बचाव के तौर पर देखा जा रहा है। एसओजी में दर्ज मामले में शेखावत को गिरफ्तारी की आशंका है।

इधर, शेखावत की ओर से सीएम पर किए गए मानहानि के केस में गहलोत को 1 महीने की राहत मिली हैं।

दरअसल, संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को लेकर बयानबाजी और एसओजी की संभावित कार्रवाई से पहले ही केंद्रीय मंत्री शेखावत डिफेंसिव मोड में आ गए हैं। शेखावत की ओर से अधिवक्ता युवराजसिंह ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की है। जल्द ही इस याचिका पर सुनवाई हो सकती है। कोर्ट में एसओजी में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई है।

सीएम के खिलाफ जारी नहीं होगा समन
सीएम गहलोत के खिलाफ मानहानि केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फिलहाल समन जारी करने के आदेश नहीं दिए हैं। कोर्ट ने गजेंद्र सिंह की मानहानि मामले में दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर को जांच करके सबूत पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल ​को होगी। बता दें शेखावत ने 1 महीने पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में गहलोत के खिलाफ मानहानि का वाद दायर कर दिया था।


गहलोत बोले थे – मैं मानहानि केस में सजा भुगतने को तैयार
गहलोत ने 21 मार्च को जोधपुर दौरे के दौरान भी संजीवनी घोटाले पर गजेंद्र सिंह पर आरोप लगाए थे। जोधपुर में गहलोत ने कहा था कि इस सोसायटी में सब कुछ गजेंद्र सिंह शेखावत की चलती है, वही सब कुछ है। संजीवनी में इनके, इनके परिवार के लेनदेन हुए हैं। ‘मेरे खिलाफ उन्होंने मानहानि का केस कर दिया। मैं तो तैयार हूं भुगतने के लिए। क्यों कि लाखों लोगों को अगर पैसा वापस मिलता है तो मुझे क्या फर्क पड़ेगा। सजा भुगतने से लाखों लोगों का भला होता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता।’ (यहां पढ़ें पूरी खबर)

सीएम ने खोला था परिवार के खिलाफ मोर्चा
कुछ दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान देते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत व उनके परिजनों के खिलाफ मोर्चा खोला था। सीएम ने पहले जोधपुर और फिर जयपुर में संजीवनी पीड़ितों से अलग-अलग मुलाकात की और बयान जारी किया था कि शेखावत इन पीड़ितों के पैसे दिलाने में मदद करें।


नाम नहीं, फिर भी आरोपी बताया
गजेंद्र सिंह ने कोर्ट में दायर मामले में तर्क दिया था कि कि संजीवनी घोटाले की चार्जशीट में कहीं उनका नाम नहीं है। एक बार भी एसओजी ने पूछताछ के लिए नहीं बुलाया। एसओजी जांच में भी कहीं उन्हें आरोपी नहीं माना। सीएम ने इसके बावजूद उनकी दिवंगत माताजी तक को अभियुक्त बताकर मानहानि की है।

यह है संजीवनी घोटाला
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को राजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत 2008 के तहत रजिस्टर्ड कराया गया था। 2010 में इसे सोसायटी मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के रूप में बदल दिया गया। इसके द्वारा लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया और जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया।

सोसायटी के प्रथम प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह थे, जिसे इस घोटाले का मास्टरमाइंड कहा जाता है और फिलहाल वो जेल में बंद हैं। तकरीबन 1 लाख से ज्यादा लोगों ने इस सोसायटी में करीब 900 करोड़ रुपए का निवेश किया था, लेकिन बाद में सोसायटी द्वारा लोगों को लौटाया नहीं गया।

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