नरेंद्र लाहड द्वारा लिखित पुस्तकें हिंदी उपन्यास महाकवि भास एवं महाकवि शुद्रक का लोकार्पण
प्रधान संपादक योगेश
द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय गुरुग्राम में बहुचर्चित साहित्यकार नरेंद्र लाहड द्वारा लिखित पुस्तकें हिंदी उपन्यास महाकवि भास एवं महाकवि शुद्रक का लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ,पूर्व उपाध्यक्ष व हरियाणा ग्रंथ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान रहें। स्टारेक्स यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर अशोक दिवाकर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० वीरेंद्र सिंह अंतिल की उपस्थिति में दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । महाकवि भास की समीक्षा में सेवानिवृत्त संस्कृत विद्वान रघुनाथ ऐरी ने महाकवि भास के 13 नाटकों पर विस्तृत चर्चा की। सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्या डॉ इंदु जैन ने महाकवि शुद्रक की चर्चा करते हुए बताया कि लेखक ने महाकवि शुद्रक द्वारा रचित संस्कृत नाटक मृच्छकटिकम् के 10 अंकों को उपन्यास के रूप परिवर्तित कर एक नया कार्य किया है। इस उपन्यास मैं लेखक ने जीवन की आर्थिक समस्या, मित्रता, स्त्री सम्मान आदि को बहुत ही सुंदर शब्दों में पिरोया है। राजकीय कन्या महाविद्यालय सेक्टर -14 हिंदी एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ० पुष्पा अंतिल ने श्री नरेंद्र लाहड के लेखन कार्य की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत विद्वान महाकवि भास एवं महाकवि शुद्रक पर उपन्यास लिखकर हिंदी जगत को एक नई दिशा प्रदान की है।
डॉ० इंदु राव ने अपने वक्तव्य में बताया की महाकवि शुद्रक मैं लेखक ने ब्रह्मचर्य संस्कार से अवगत कराया है जिसकी वर्तमान समय में अत्यधिक आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में हरियाणा साहित्य अकादमी की भूतपूर्व निर्देशक डॉ० मुक्ता जी, डॉ० इंदु शास्त्री, डॉक्टर राजशेखर, डॉ० रघुवीर सिंह बोकन, डॉ आर के शर्मा ,डॉ०राधा शर्मा ,डॉक्टर रश्मि ,डॉ० मीना व गुरुग्राम क्षेत्र के अन्य साहित्यकार आदि ने श्री नरेंद्र लाहड जी को आगामी लेखन के लिए शुभकामनाएं प्रदान की।
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