रोज तीन बार या कम से कम एक बार निम्नलिखित श्लोक पढे :-
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरुपिणम |
गोकुलोत्सवमिशानं गोविन्दं गोपिका प्रियं | |
हे प्रभु ! हे गिरीराज धर ! गोवर्धन को अपने हाथ में धारण करने वाले हे हरि !
मेरी भक्ति और विश्वास को भी आप ही धारण करना |
प्रभु आपकी कृपा से ही मेरे जीवन में भक्ति बनी रहेगी, आपकी कृपा से ही मेरे जीवन में भी विश्वास रूपी गोवर्धन मेरी रक्षा करता रहेगा |
हे गोवर्धनधारी आपको मेरा प्रणाम है आप समर्थ होते हुए भी साधारण बालक की तरह लीला करते थे |
गोकुल में आपके कारण सदैव उत्सव छाया रहता था ।
मेरे ह्रदय में भी हमेशा उत्सव छाया रहे । साधना में, सेवा-सुमिरन में मेरा उसाह कभी कम न हो | मै जप, साधना सेवा, करते हुए कभी थकूँ नहीं | मेरी इन्द्रियों में संसार का आकर्षण न हो, मैं आँख से आपको ही देखने कि इच्छा रखूं, कानों से आपकी वाणी सुनने की इच्छा रखूं, जीभ के द्वारा आपका नाम जपने की इच्छा रखूं !
हे गोविन्द ! आप गोपियों के प्यारे हो ! ऐसी कृपा करो, ऐसी सदबुद्धि दो कि मेरी इन्द्रियां आपको ही चाहे,
संसार की चाह न हो,
आपकी ही चाह हो !
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