विजया एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा
विजया एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा
विजया एकादशी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने बताया था कि फाल्गुन माह (Phalguna Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं. उन्होंने विजया एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha) कुछ इस प्रकार सुनाई थी.
विजया एकादशी 2022 कथा: विजया एकादशी का व्रत 26 फरवरी दिन शनिवार को है. इस व्रत को करने से विजय की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. इस व्रत कथा के श्रवण करने या पढ़ने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, उसे वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से विजया एकादशी व्रत और उसकी विधि के बारे में पूछा था. तब भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने बताया था कि फाल्गुन माह (Phalguna Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं. उन्होंने विजया एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha) कुछ इस प्रकार सुनाई थी.
विजया एकादशी व्रत कथा
श्रीकृष्ण ने कहा कि एक बार नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में पूछा, तो ब्रह्मा जी ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस व्रत के विधान को किसी से नहीं कहा है. विजया एकादशी व्रत सभी पापों का नाश करती है और मनुष्यों को विजय प्रदान करती है. यह सभी व्रतों में उत्तम व्रत है.
ब्रह्मा जी ने कहा कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को 14 साल का वनवास हुआ और उसी समय सीता हरण हुआ. इससे राम और लक्ष्मण परेशान हो गए. हनुमान ने सीता जी का पता लगाया. तब श्रीराम वानर सेना के साथ समुद्र तट पर आए और विशाल समुद्र को पार करने की युक्ति सोचने लगे.
तभी लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु! यहां से कुछ दूरी पर वकदालभ्य ऋषि रहते हैं, आप उनके पास जाकर समुद्र पार करने का उपाय पूछें. तब श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रणाम करके लंका विजय के लिए समुद्र पार करने का उपाय पूछा.
तब वकदालभ्य ऋषि ने कहा कि आपको विजया एकादशी व्रत विधि विधान से करना चाहिए. इस व्रत को करने से आपको विजय प्राप्त होगी और आप वानर सेना के साथ समुद्र भी पार कर लेंगे. वकदालभ्य ऋषि ने श्रीराम को विजया एकादशी व्रत की पूरी विधि बताई. उन्होंने कहा कि आपको अपने सभी सेनापतियों के साथ इस व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए. विजय अवश्य प्राप्त होगी.
वकदालभ्य ऋषि के बताए अनुसार, प्रभु श्रीराम ने अपने सेनापतियों के साथ विजया एकादशी व्रत विधिपूर्वक किया. उस व्रत के प्रभाव से वानर सेना समुद्र पार कर गई और श्रीराम को लंका पर विजय प्राप्त हुई.
तब श्रीकृष्ण ने कहा कि हे धर्मराज! जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसे अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त होती है, शत्रु पर विजय मिलती है. जो भी व्यक्ति इस व्रत के महात्म्य को सुनता है, उसे भी वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है.
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