Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

5 सितंबर की मुजफ्फरनगर महापंचायत पर भी दिख सकता है करनाल लाठीचार्ज का रिएक्शन

28

5 सितंबर की मुजफ्फरनगर महापंचायत पर भी दिख सकता है करनाल लाठीचार्ज का रिएक्शन

चण्डीगढ
किसान आंदोलन को लेकर किसान संगठनों द्वारा 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर में आयोजित महापंचायत उपरोक्त आंदोलन उत्तर प्रदेश चुनाव और हरियाणा की राजनीति में निर्णायक सिद्ध हो सकती है और ऐसा लगता है करनाल पुलिस लाठी चार्ज प्रकरण की एक्शन का रिएक्शन मुजफ्फरनगर में प्रभावी तरीके से हो सकता है।
अब से पहले कुछ चीजें साफ हैं नंबर 1 ,किसान आंदोलन में हरियाणा में कई पंचायतें हुई खाप पंचायतें हुई जिनका नेतृत्व और आयोजन हरियाणा के निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के मुखिया सोमवीर सांगवान द्वारा किया गया लेकिन उत्तर प्रदेश में इस संदर्भ में होने वाली है पहली महापंचायत है l नंबर दो उत्तर प्रदेश के किसानों विशेषकर जाट समुदाय के खेती से जुड़े लोग कथित तौर पर इसलिए उत्साहित बताए जा रहे हैं कि उन्हें पहली बार हरियाणा और पंजाब के किसानों का भरपूर समर्थन मिलता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश के किसान मेघालय के गवर्नर और उत्तर प्रदेश के पुराने नेता सत्यपाल मलिक की भूमिका से बाग बाग हैं और वे उन्हें सम्मान देना चाहते हैं। किसान महापंचायत में जुटे किसान प्रतिनिधि कहो या पंचायती लोग आंदोलन में शानदार सहयोग के लिए सत्यपाल मलिक और सोमवीर सांगवान की ठोक बजाकर पीठ थपथपा सकते हैं। इन दोनों की भूमिका की हरियाणा और यूपी में अच्छी चर्चा होने की खबर है।
करनाल पुलिस लाठीचार्ज के बाद किसान नेता ही नहीं देहात में जन सामान्य और किसान वर्ग में जो प्रतिक्रिया देखी जा रही है उससे मुजफ्फरनगर की पंचायत में न केवल हाजिरी बढ़ सकती है बल्कि इसका फैसला भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जा सकता है। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाता पहले ही भाजपा के साथ नहीं है जाट भी सिरे से नाराज हो गए तो पश्चिमी यूपी में 40 से अधिक सीटों पर सीधा असर जा सकता है। महापंचायत की सफलता के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति और किसान आंदोलन पर तो फर्क पड़ेगा ही इसका असर हरियाणा की राजनीति पर इसलिए पड़ सकता है कि कामयाबी के बाद हरियाणा के जाट और किसान और भी आक्रामक मुद्रा में आ जाएंगे। उत्तर प्रदेश में जाटों की बाल्याण खाप गठवाला मलिक खाप महापंचायत की तैयारी में जिस तरह से संलग्न है उसे देखते हुए लगता है कि यह पंचायत ऐतिहासिक होने जा रही है। इससे पहले एक आशंका जरूर है कि उत्तर प्रदेश सरकार महापंचायत में जाने वाले हरियाणा पंजाब और दिल्ली के किसानों को किसी बहाने मुजफ्फरनगर जाने से रोकने की कोशिश करें। उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर एक बार फिर वही मंजर देखने को मिल सकता है जो आंदोलन की शुरुआत के दौरान जीटी रोड पर दिल्ली हरियाणा और हरियाणा पंजाब पंजाब की सीमा पर देखने को मिला था। सबसे बड़ी बात यह है कि किसान आंदोलन से जुड़े प्रबुद्ध लोग मुजफ्फरनगर महापंचायत में जो विचार व्यक्त करेंगे उससे उत्तर प्रदेश में भाजपा और भाजपा सरकार का भविष्य भी तय होता नजर आएगा। इसीलिए पूरे देश की नजर मुजफ्फरनगर की महापंचायत पर टिकी हुई है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading