राव इंद्रजीत का गढ़ और ट्रेनें दौड़ी धड़ा-धड़
रूटीन के अलावा संवा दर्जन ट्रेनों का आवागमन
पटौदी स्टेशन पर किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं
फतह सिंह उजाला
पटौदी। दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल का इलाका और इसमें भी पटौदी क्षेत्र । पटौदी राजनीतिक नजरिये से सांसद एवं केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का राजनीतिक गढ़ रहा है। गुरुवार को आंदोलनकारी किसानों के द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के मुद्दे पर रेल रोको आह्वान का पटौदी रोड रेलवे स्टेशन पर किसी भी प्रकार का रत्ती भर भी प्रभाव दिखाई नहीं दिया ।
हालांकि ग्रामीण इलाके को ध्यान में रखते हुए पटौदी स्टेशन और आसपास के विभिन्न स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए अलग-अलग पुलिस टीमें तैनात रही । पटौदी स्टेशन पर सुबह ही पटौदी के थाना प्रभारी करण सिंह , पटौदी जीआरपी के प्रभारी कृष्णलाल दलबल सहित मौजूद रहे । यहां से पटौदी स्टेशन के दोनों ओर इच्छापुरी, खलीलपुर , जाटोला-जौड़ी-सांपका, ताज नगर रेलवे स्टेशन पर रेलवे लाइन और रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अलग-अलग जीआरपी पुलिस की पार्टियां रवाना कर दी गई ।
पटौदी थाना के प्रभारी करण सिंह और जीआरपी पटौदी के प्रभारी कृष्ण लाल यादव ने बताया कि पटौदी रेलवे स्टेशन पर रेल रोको आंदोलन के दृष्टिगत रेल रोकने के लिए किए गए आह्वान का कोई भी प्रभाव दिखाई नहीं दिया है । यहां पर फिर भी सुरक्षा के हिसाब से और रेलवे कर्मचारियों के सहयोग के लिए पुलिस बल कंधे से कंधा मिलाकर सक्रिय रहा । अन्य दिनों की तरह गुरुवार को भी रेल रोको आंदोलन के बावजूद सामान्य रूप से पटौदी रेलवे स्टेशन से विभिन्न ट्रेनों का आवागमन होता रहा ।
सबसे खास बात यह रही कि रेल रोकने के लिए किसान आंदोलन को लेकर 12 से 4 बजे के बीच के समय का जो आह्वान किया गया था , इस समय के दौरान पटौदी रेलवे स्टेशन से करीब सवा दर्जन विभिन्न ट्रेनों का आवागमन बिना किसी बाधा के रेवाड़ी और दिल्ली की तरफ हुआ । रेलवे अधिकारियों के मुताबिक इन 4 घंटों के दौरान में पटौदी रेलवे स्टेशन से दो यात्री एक्सप्रेस ट्रेन और बाकी की गुड्स ट्रेन का आवागमन बिना किसी परेशानी और बाधा के हुआ है । कुल मिलाकर सांसद एवं केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के गढ़ पटौदी में विभिन्न ट्रेनें बिना किसी बाधा और रुकावट के धड़ाधड़ दौड़ती ही रही । इस प्रकार से यही कहा जा सकता है कि अहीरवाल के खास हिस्से पटौदी क्षेत्र में भी रेल रोको आंदोलन का रत्ती भर भी असर नहीं रहा है।
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