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शुद्ध पर्यावरण ही है बीमारियों की रामबाण दवा

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शुद्ध पर्यावरण ही है बीमारियों की रामबाण दवा

प्राचीन हनुमान मंदिर बोहड़ाकला परिसर में पौधारोपण

मंदिर और गौशाला के प्रति आस्थावान युवाओं की पहल

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 आज के समय में कोरोना कॉविड 19 महामारी और इसके चलते पीड़ितों और रोगियों को हो रही सांस लेने में परेशानी अथवा ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए ही उत्साही युवकों के द्वारा पौधारोपण की पहल की गई । सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर परिसर में विभिन्न किस्मों के दो दर्जन से अधिक पौधे मंदिर और यहां गौशाला के प्रति आस्थावान युवाओं के द्वारा लगाए गए।

इस मौके पर प्राचीन हनुमान मंदिर के सेवक मुकेश कुमार, प्रदीप, कालू , मोनू चैहान ने कहा कि सही मायने में शुद्ध पर्यावरण ही किसी भी प्रकार के रोग अथवा बीमारी के लिए रामबाण दवा साबित हो सकती है । शुद्ध और स्वच्छ पर्यावरण के लिए ऑक्सीजन का होना बहुत जरूरी है । प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन केवल हरे भरे वृक्ष से ही प्राप्त की जा सकती है । आज के समय में कोरोना कॉविड 19 जैसी महामारी के के दौरान अब रोगियों और पीड़ितों को जिंदगी बचाने के लिए ऑक्सीजन के लिए यहां-वहां भटकना पड़ रहा है । जबकि प्रकृति और कुदरत ने प्रत्येक जीव के लिए ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवा रखी है । लेकिन फिर भी गंभीर रोगियों सहित उपचार के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत बनी रहती है ।

पौधारोपण करने वाले जसमा फकीर , मोनू चैहान, भगवान सिंह, प्रदीप कालू , पप्पू शर्मा , मुकेश , लकी चैहान ने बेबाक शब्दों में कहा कि इस ब्रह्मांड में गोधन अथवा गाय सहित बड़ और पीपल ऐसे वृक्ष और जीव हैं जोकि 24 घंटे ऑक्सीजन का ही विसर्जन करते हैं । यही कारण रहा है कि बड़े-बड़े आश्रम, साधु संत और मंदिरों के आसपास गौशाला अवश्य स्थापित की जाती आ रही है । वही पीपल और बड जैसे वृक्ष भी विशेष रुप से मंदिर या किसी भी देवस्थान पर अवश्य लगे लगाए जाते हैं या लगे हुए मिलेंगे ।  इनका एक मात्र उद्देश्य आसपास के वातावरण को शुद्ध रखना ही है और पर्यावरण सहित वातावरण को शुद्ध केवल और केवल ऐसे जीव और वृक्षों की बदौलत रखा जा सकता है जोकि अधिक से अधिक ऑक्सीजन का स्रोत हमारे लिए हैं । सभी युवाओं ने आह्वान किया कि पर्यावरण की शुद्धि और सभी के स्वास्थ्य रहने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाए । पौधे लगाना तब ही सार्थक होगा जब उनका पालन पोषण कर के पौधों को भारी भरकम वृक्ष होने तक उनकी देखभाल भी की जाए।

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