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शुद्ध आहार, शुद्ध विचार, शुद्ध व्यवहार ही स्वास्थ्य की गारंटी: विजय जैन

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शुद्ध आहार, शुद्ध विचार, शुद्ध व्यवहार ही स्वास्थ्य की गारंटी: विजय जैन

क्षमावाणी दिवस के उपलक्ष पर दशलक्षण समारोह का हुआ समापन

भगवान आदिनाथ की स्वर्ण प्रतिमा की निकाली गई नगर परिक्रमा

भगवान आदिनाथ के अनुयायियों का उत्साह दिखाई दिया चरम पर

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
शुद्ध आहार, शुद्ध विचार, शुद्ध व्यवहार, स्वास्थ्य की गारंटी है । संयमित और अनुशासित जीवन को आत्मसात करने वाले लोगों को कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी के साथ साथ अन्य बीमारियों के होने का भी अंदेशा नहीं के बराबर ही रहता है । जितना अधिक शुद्ध, सात्विक भोजन ग्रहण किया जाएगा, अनुशासित जीवन होगा , शुद्ध विचार होंगे तो यह स्वभाविक बात है कि नकारात्मक चीजें किसी के भी जीवन में दखल नहीं दे सकेंगी। यह बात क्षमावाणी दिवस के उपलक्ष पर दशलक्षण समापन समारोह में हेलीमंडी सकलजैन समाज के संरक्षक विजय हैप्पी जैन ने कही ।

इससे पहले भगवान आदिनाथ की स्वर्ण प्रतिमा को भव्य तरीके से सजाए गए रथ में रखकर हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न इलाकों और बाजारों में नगर परिक्रमा भी करवाई गई । नगर परिक्रमा के दौरान शोभायात्रा में शामिल 36 बिरादरी के श्रद्धालुओं को जगह जगह अल्पाहार भी उपलब्ध करवाया गया। वहीं श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान आदिनाथ की श्रद्धापूर्वक भव्य तरीके से पूजा सहित आरती भी की गई। रंग-बिरंगे भव्य सजावट वाले रथ पर विराजमान भगवान आदिनाथ की स्वर्ण प्रतिमा की नगर परिक्रमा कराए जाने के दौरान जैन समाज लोगों और जैन धर्म के अनुयायियों के द्वारा भगवान महावीर और भगवान आदिनाथ के भजनों पर रंग गुलाल अबीर उड़ाते हुए मस्ती से झूमते हुए नाचते भी देखा गया। जैन धर्मावलंबियों का उत्साह और जोश देखते ही बनता था ।

इस मौके पर जैन समाज के प्रधान मनीष जैन, उप प्रधान पंकज जैन, लोकेश जैन, बिट्टू जैन, राकेश जैन, दिनेश जैन, नितिन जैन, प्रेरणा स्रोत सुरेश जैन, नितिन जैन, त्रिस्पा,  चारमी, निमिश , ताक्षी, आरव , स्वस्ति, अर्पित, दिव्या , कृष्णा, समर्थ , मंजू जैन, शोभा जैन , प्रीति जैन, कृष्णा जैन, अरिहंत जैन , अमन जैन, शोभा, मुस्कान, प्रसूक, हीरल, सील सहित अन्य समाज के श्रद्धालु भी शोभायात्रा में शामिल रहे। सकल जैन समाज हेली मंडी के तत्वाधान में आयोजित क्षमावाणी दिवस दशलक्षण पर्व के मौके पर भगवान आदिनाथ की नगर परिक्रमा जैन मंदिर पर समापन होने के साथ ही भगवान आदिनाथ की स्वर्ण प्रतिमा को जैन मंदिर में निश्चित स्थान पर पूरे विधि विधान के साथ में पुनः विराजमान किया गया ।

इस दौरान सभी श्रद्धालु उत्साह के साथ में भगवान महावीर के दिए गए उपदेशों को संगीतमय भजन के रूप में नाचते हुए झूम झूम कर गाते दिखाई दिए । इसी मौके पर 36 बिरादरी के लिए भंडारे के रूप में प्रसाद का भी वितरण किया गया। सकल जैन समाज के सरंक्षक विजय जैन हैप्पी ने कहा कि जैन धर्म वास्तव में सही और परमार्थ जीवन जाने की प्रेरणा प्रदान करता है। धर्म कोई भी हो, हमें धर्म गुरूओ, प्रचारकों के विचारों को एकाग्रचित होकर सुनने और गुनने के बाद ही जीवन में आत्मसात करना चाहिये। जैन धर्म का सार जीयो और जीने दो तथा अहिंसा परमोधर्म ही है।

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