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फरवरी में ही शुरु हो गई गर्मी से सरसों की फसल का कम हो सकता है उत्पादन

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फरवरी में ही शुरु हो गई गर्मी से सरसों की फसल का कम हो सकता है उत्पादन, फिर बढ़ सकते हैं दाम ‼️ इस रबी सीजन में रिकॉर्ड बुआई के चलते सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है. ऐसे में बीते एक महीने में सरसों के दामों में बड़ी गिरावट भी देखने को मिली है. सरसों के दाम 8 फीसदी के करीब घटकर 5925 रुपये प्रति क्विंटल पर आ चुका है. जिसके बाद सरसों के तेल में के दामों में गिरावट की संभावना जताई जा रही है. हालांकि फरवरी महीने में ही गर्मी का पारा जिस प्रकार बढ़ रहा है उससे चिंता भी बढ़ गई है. अनुमानों के मुताबिक चालू वर्ष में सरसों का उत्पादन 125 लाख टन रहने का अनुमान है जो बीते साल के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा है.

चालू रबी सीजन में रिकॉर्ड 98 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुआई हुई है जो बीते कई सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. 2021-22 में सरसों की बुआई 91 लाख हेक्टेयर में हुई थी. उत्पादन बढ़ने से तिलहन का ज्यादा उत्पादन होगा. इससे खाने के तेल के आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी. भारत को अपने कुल खपत का 56 फीसदी खाने का तेल आयात करना पड़ता है. 2021-22 में भारत ने 1.5 लाख करोड़ रुपये का खाने का तेल आयात किय था. भारत कुल खपत का केवल 44 फीसदी ही खुद उत्पादन करता है जिसमें सरसों की हिस्सेदारी 39 से 40 फीसदी है. लेकिन बढ़ती गर्मी से सरसों के फसल के लिए चिंता बढ़ा दी है. बारिश और ठंड से सरसों का रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान था.

लेकिन बढ़ते पारे से सरसों की फसल जल्दी पक रही है. गर्मी का बढ़ता पारा सरसों के फसल लिए ठीक नहीं है. इससे किसानों को नुकसान हो सकता है. वहीं इससे सरसों तेल के दामों में जो राहत मिलने की उम्मीद थी उसपर पानी फिर सकता है. फिलहाल सरसों के तेल 150 से 160 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है जो 2022 में 200 रुपये का भाव भी देख चुका है. अगर गर्मी का पारा घटता है तो इस वर्ष आम लोगों को खाने के तेल के महंगे दामों से राहत मिल सकती है

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