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“Preserve the Uterus” अभियान से देश में गर्भाशय को निकलवाने के बढ़ते केसों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाई गयी

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“Preserve the Uterus” अभियान से देश में गर्भाशय को निकलवाने के बढ़ते केसों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाई गयी

13 नवम्बर 2022, नई दिल्ली: दुनिया की प्रमुख हेल्थकेयर कंपनियों में से एक ‘बॉयर’ और इंटीग्रेटेड हेल्थ एन्ड वेलबीइंग (आईएचडब्लू) कॉउंसिल ने राजधानी दिल्ली में एक राष्ट्रीय स्तर की समिट का आयोजन किया। इस समिट का उद्देश्य यह था कि देश में बेवजह गर्भाशय को निकलवाने की घटनाओं पर लोगों को जागरूक किया जाए। ऐसा देखा गया है कि भारत में बहुत कम उम्र की महिलाओं में भी गर्भाशय निकलवाना (हिस्टरेटॉमी) होता है। इस तरह के बढ़ते मामले इन महिलाओं के शारीरिक, सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। समिट में हिस्सा लेने वाले पैनल में हर राज्य के कई महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर ग्रुपों के वरिष्ठ प्रतिनिधि और एक्सपर्ट शामिल थे। समिट में शामिल इन सभी लोगों ने स्थानीय भाषाओं में जागरूकता अभियान चलाने की वकालत की ताकि हिस्टरेटॉमी की बढ़ती समस्या पर लगाम लगाईं जा सके।

समिट को राष्ट्रव्यापी अभियान ‘प्रिजर्व द यूटेरस’ के तहत आयोजित किया गया। गौरतलब है कि इस अभियान को अप्रैल 2022 में बॉयर द्वारा फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (FOGSI) और IHW काउंसिल के सहयोग से शुरू किया गया था और राज्यों में नीतिगत दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया था। महिलाओं के स्वास्थ्य की समस्याओं का हल ढूढ़ने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना और हिस्टरेटॉमी के प्रभाव पर जागरूकता बढ़ाना इस अभियान का प्रमुख लक्ष्य है। इस समस्या पर राज्य-स्तरीय चर्चा करने के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर सभी स्टेकहोल्डर को एक साथ जोड़ा गया है। इस समस्या से सम्बंधित तमाम एक्सपर्ट इस राज्य-स्तरीय समिट से प्रमुख निष्कर्षों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ आए और देश में बड़ी संख्या में बेवजह गर्भाशय को निकलवाने की समस्या से निपटने के लिए समाधान तलाश किया।

इस समिट में अपना मत रखते हुए भारत सरकार, DDG, डॉ अमिता बाली वोहरा ने कहा, “हमारे समाज में परिवार किसी फैसले को अमल में लाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। जब बात महिला के स्वास्थ्य की होती है तो इस तरह के सेनारियो में परिवार को हिस्टरेटॉमी जैसी समस्याओं के बारे में महिलाओं को समझाना जरूरी हो जाता है ताकि महिलाएं जब इलाज के लिए समाधान ढूढें तो उन्हें सहयोग और समर्थन मिल सके।”

‘प्रिजर्व द यूटेरस’ अभियान का लक्ष्य महिलाओं और हेल्थकेयर सेक्टर में काम करने वालों के बीच स्त्री रोग से सम्बंधित समाधानों के आधुनिक और वैकल्पिक तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना और हिस्टेरेक्टॉमी के प्रभाव के बारे में फैलाना है ताकि महिलाएं बेवजह अपने गर्भाशय को निकलवाने से बच जाएँ और स्वस्थ रह सकें।”

ब्लूम आईवीएफ ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर, FOGSI, अध्यक्ष डॉ ऋषिकेश पाई ने कहा, “हेल्थकेयर बिरादरी को हिस्टेरेक्टॉमी से पहले होने वाले संकेतों और स्वास्थ्य समस्याओं को मैनेज करने के लिए मानदंडो और स्टैंडराइज एल्गोरिदम लागू करने और युनिफोर्म प्रोटोकॉल का पालन करने की जरूरत है।”

भारत में हिस्टेरेक्टॉमी दूसरी सबसे ज्यादा होने वाली महिलाओं से सम्बन्धी सर्जरी है। यह सर्जरी अक्सर तब की जाती है जब महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग से बचना होता है। हालांकि इस ब्लीडिंग को बिना सर्जरी के भी मैनेज किया जा सकता है। इसके अलावा बहुत सारी महिलाएं बहुत ही कम उम्र या यों कहें कि जब उनकी उम्र बच्चा पैदा करने की होती है तभी गर्भाशय को निकलवा देती है।

महिलाओं के स्वास्थ्य पर सरकार की पहल के बारे में बात करते हुए नीति आयोग के सीनियर कंसल्टेंट हेल्थ डॉ. के मदन गोपाल ने कहा कि गायनेलॉजिकल केयर की तुलना में ऑब्सटेट्रिक्स (स्त्री रोग संबंधी देखभाल) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए काम चल रहा है।.महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए स्क्रीनिंग और डायग्नोस्टिक केयर को भी बड़े पैमाने पर शुरू करने की जरूरत है।

हिस्टेरेक्टॉमी कराने के बाद कई महिलाएं पीठ दर्द, योनि से स्राव, कमजोरी, यौन स्वास्थ्य में परेशानी और असंयम जैसी समस्याओं से पीड़ित होती हैं। कम उम्र में हिस्टेरेक्टॉमी कराने से महिला का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। इसके अलावा वह स्ट्रोक जैसी कई ह्रदय की बीमारियों और ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हो सकती हैं।

महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर बॉयर के कई प्रमुख प्रयासों पर चर्चा करते हुए बॉयर ज़ायडस के मैनेजिंग डायरेक्टर और फार्म के दक्षिण एशिया प्रमुख श्री मनोज सक्सेना ने कहा, “हेल्थकेयर में एक प्रमुख स्टेकहोल्डर होने के नाते बॉयर महिलाओं के लिए हेल्थकेयर में उन्नति लाने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है। यह महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए तमाम स्वास्थ्य संगठनो के साथ काम करता रहा है। महिलाओं के जीवन पर जिन स्वास्थ्य बीमारियों से ज्यादा नुकसान होता है उसको लेकर बॉयर जागरूकता फैलाने वाले संगठनों के साथ साझेदारी करता है। यह जरूरी है कि हम साथ मिलकर जागरूकता बढ़ाने और इन समस्याओं के समाधान के लिए एक मजबूत ईकोसिस्टम का निर्माण करें। महिलाओं से सम्बंधित बीमारियों के निवारण के लिए मौजूद आधुनिक तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बॉयर पहले ही एचसीपी शिक्षा पहल के माध्यम से ~ 5000 डॉक्टरों तक अपनी पहुंच बना चुका है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने की सुविधा प्रदान करना और हिस्टरेटॉमी की संख्या को कम करना है।”

गर्भाशय महिला शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है लेकिन जानकारी की कमी के कारण महिलाएं गर्भाशय को निकलवा देती हैं क्योंकि इन महिलाओं में यह गलत धारणा होती है कि गर्भाशय का मतलब सिर्फ बच्चे पैदा करने तक ही होता है। यही कारण है कि बहुत सी महिलाएं मामूली सी शारीरिक समस्या होने पर भी हिस्टेरेक्टॉमी करा लेती हैं।

इस चर्चा में हिस्सा लेते हुए आईएचडब्लू काउंसिल के सीईओ श्री कमल नारायण ने कहा, “अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर ज्यादा लाभ पाने के लिए अपने शरीर और अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज करके महिला को हिस्टेरेक्टॉमी  का विकल्प नहीं चुनना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल मीडिया के उपयोग में बढ़ोत्तरी होने से इस तरह की पहल स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने और इससे जुड़े कलंक को दूर करते हुए महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और उनके शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।”

NFHS के हालिया आंकड़ों के अनुसार हिस्टेरेक्टॉमी कराने की भारत में औसत आयु 34 वर्ष होने का अनुमान है। एक्सपर्ट का मानना है कि यह चिंता का कारण है, क्योंकि यह वैश्विक ट्रेंड से काफी कम है। यह ट्रेंड बताता है कि मेनोपॉज का समय जब करीब होता है तो यह प्रक्रिया ज्यादा की जाती है। हिस्टेरेक्टॉमी से होने वाले एस्ट्रोजेन की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी कई बीमारियाँ और हृदय बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

विशेष सूचना

यह आर्टिकल केवल जागरूकता फैलाने और शिक्षित करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इस आर्टिकल को IHW काउंसिल के सहयोग से तैयार किया गया है। इसमें मौजूद कंटेंट (सामग्री) का उद्देश्य प्रोफेसनल मेडिकल कंसल्टेशन , डायग्नोसिस  या इलाज नहीं है। अगर आपको इस तरह की कोई समस्या है तो इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा करें। इस आर्टिकल में आपने जो कुछ पढ़ा है, उसके कारण कभी भी प्रोफेसनल मेडिकल कंसल्टेशन को दरकिनार न करें या इस तरह की कन्सल्टेशन लेने में देरी न करें। इस आर्टिकल का किसी भी प्रकार का रिप्रोडक्शन, डिस्सिमिनेशन, नकल करना, डिस्क्लोजर, संशोधन करना, वितरण करना और/या प्रकाशन करना सख्त वर्जित है। यह आर्टिकल कोई विज्ञापन या लुभावना देने वाला आर्टिकल नहीं है। हालांकि जिन जानकारियों में इसमें बताया गया है उसे इकट्टा करने में काफी सावधानी बरती गयी है। बॉयरज़ायडस फार्मा प्राइवेट लिमिटेड वर्तमान और/या निरंतर सटीकता के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार/उत्तरदायी नहीं होगा। इसके अलावा बॉयरइसमें बताई गयी जानकारी या इन प्रकाशनों में किसी भी त्रुटि, चूक या अशुद्धि के लिए, चाहे वह लापरवाही से उत्पन्न हो, या उससे उत्पन्न होने वाले किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।

बॉयर के बारे में

बॉयर हेल्थकेयर और न्यूट्रीशन के लाइफ साइंस फील्ड में मुख्य दक्षताओं वाला एक ग्लोबल इंटरप्राइज है। इसके उत्पादों और सेवाओं को लोगों और हमारे ग्रह को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि  बढ़ती वैश्विक आबादी द्वारा पैदा होने वाली प्रमुख चुनौतियों में महारत हासिल करने के प्रयासों का समर्थन किया जा सके। बॉयरसतत विकास को चलाने और अपने बिजनेस के साथ सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही ग्रुप  का लक्ष्य अपनी कमाई को बढ़ाना और इनोवेशन तथा विकास के माध्यम से वैल्यू बनाना है। बॉयरब्रांड दुनिया भर में विश्वास, विश्वसनीयता और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। वित्त वर्ष 2021 में ग्रुप ने लगभग 100,000 लोगों को रोजगार दिया और 41.4 बिलियन यूरो की बिक्री की है। स्पेशल आइटम पर रिसर्च और डेवलपमेंट में 5.3 अरब यूरो की राशि ख़र्च हुई। अधिक जानकारी के लिए कृपया www.bayer.com पर विजिट करें।

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