राजनीतिक संवेदनाएं और नैतिक जिम्मेदारी का नेताओं में अभाव: भूपेंद्र चौधरी
राजनीतिक संवेदनाएं और नैतिक जिम्मेदारी का नेताओं में अभाव: भूपेंद्र चौधरी
मोरबी पुल हादसे में हुई मौतों की जिम्मेदारी आखिरकार कौन लेगा
मोरबी में सरकार के विश्वास पर ही लोगों से हुआ है विश्वासघात
केवल एक रेल हादसे पर लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था इस्तीफा
मौजूदा समय में नेताओं का काम शिलान्यास और उद्घाटन तक सीमित
डॉ अंबेडकर ने झोपड़ी से लेकर अमीर को दिया एक बराबर अधिकार
फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी के पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी ने बेबाक शब्दों में कहा कि वर्तमान में नेताओं की राजनीतिक संवेदनाएं मर चुकी हैं और नेता लोग अपनी नैतिक जिम्मेदारी से भी बचने में कोई मौका नहीं छोड़ते है । इसके एक नहीं अनेक उदाहरण मौजूद हैं, यह बात उन्होंने सोमवार को जिला परिषद चेयरमैन प्रमुख पद के लिए आरक्षित वार्ड नंबर 9 में उम्मीदवार पर्ल चौधरी के लिए जनसंपर्क सहित जनसमर्थन जुटाने के मौके पर ग्रामीणों के बीच अपने संबोधन में कही ।
उन्होंने मोरबी में हुए हादसे पर विचलित होते हुए कहा क्या इतनी बड़ी और गंभीर लापरवाही की कोई भी नेता नैतिक जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है ? शायद कोई भी नेता इसके लिए तैयार होगा ही नहीं । उन्होंने कहा आज राजनीति में नैतिकता बची ही नहीं, नेताओं का काम केवल मात्र उद्घाटन और शिलान्यास करने तक सिमट कर रह गया है । नेताओं ने कभी यह नहीं सोचा जिस प्रोजेक्ट किसी बड़े पुल या किसी नेशनल हाईवे या अन्य कोई विकास कार्य का उद्घाटन कर रहे हैं, तो क्या उद्घाटन किया जाने से पहले उस प्रोजेक्ट की ठोक बजाकर जांच की जाती है। यदि विकास योजना और परियोजना का निर्धारित मानक के मुताबिक इमानदारी से निर्माण किया और करवाया जाए तो फिर हादसों की गुंजाइश बचेगी ही नहीं। इस मौके पर उनके साथ सरजीत नंबरदार, बाबूलाल सरपंच, भीम सिंह, सूरज, ओम प्रकाश दहिया, किशोरीलाल , डॉ हरिओम सबरवाल, राजेंद्र , महेश, , सुभाष , वीर सिंह, प्रेम देवी, सुशीला देवी, विष्णु यादव अन्य समर्थक भी मौजूद रहे ।
इसी मौके पर उन्होंने कहा आज इस बात की जरूरत है कि ग्रामीण या फिर कोई भी मतदाता ऐसे जनप्रतिनिधि का चुनाव कर, जिसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि साफ स्वच्छ छवि सहित इमानदारी की हो । उन्होंने कहा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा भारत में जो सबसे बड़ा काम किया गया, वह काम एक गरीब मजदूर से लेकर अरबपति दोनों के लिए एक वोट देने का अधिकार देने का किया गया । इस काम में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया गया । उन्होंने कहा देश में जो नोटबंदी बीते दिनों की गई , उसका क्या और कितना लाभ भारत के नागरिकों को मिला ? इसका भी नोट बंदी लागू करने वाली सरकार सहित नेता को जनता के बीच आ कर देना चाहिए। पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा भी कहा गया था देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और काला धन रोकने के लिए प्रत्येक 10 वर्ष में नोटबंदी की जरूरत है । लेकिन अंबेडकर को याद तो सभी करते हैं, परंतु उनकी कही और लिखी गई बातों पर अमल करने का ईमानदारी से प्रयास ही नहीं किया जा रहा है ।
पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी ने कहा भारत देश में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जैसी राजनीतिक संवेदना और नैतिकता, उनके बाद आज तक किसी अन्य नेता में दिखाई नहीं दी । एक रेल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था । इसके विपरीत मौजूदा समय में नेता लोग जांच पर जांच और उस जांच की रिपोर्ट पर जांच कमेटी का गठन करने का काम करते हैं । उन्होंने ग्रामीणों के बीच अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों को बताते हुए सवाल भी किया क्या उस समय के किए गए कार्य और उनके कार्यकाल में कहीं किसी प्रकार के उनके ऊपर आरोप लगे या नहीं लगे ? यह क्षेत्र की जनता भी जानती है । उन्होंने सीधे और सरल शब्दों में बात रखते हुए ग्रामीणों से कहा कि ऐसा क्या कारण है कोई सड़क बनती है कोई पुल बनता है कोई सरकारी भवन बनता है तो ऐसा क्या कारण है कि कुछ ही समय के बाद में यह टूटना और फूटना शुरू हो जाते हैं ?
उन्होंने सवाल किया पाटोदी-रेवाड़ी के बीच पहाड़ी रेलवे लाइन अथवा फाटक पर रेलवे ओवर ब्रिज बनने के कुछ ही साल के बाद टूट गया । ऐसा क्यों हुआ इसकी भी जिम्मेदारी किसी ना किसी को लेकर जनता को जवाब देना चाहिए। जितने भी विकास कार्य होते हैं ,वह सब जनता के द्वारा या फिर करदाताओं के द्वारा जो राजस्व का भुगतान किया जाता है , उसी पैसे से ही इस प्रकार के तमाम कार्य किए जाते हैं। इसी मौके पर उन्होंने ग्रामीणों का आह्वान किया कि सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी को एक बार जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर सेवा करने का मौका अवश्य प्रदान करें । उन्होंने विश्वास दिलाया लोगों की उम्मीद से कहीं अधिक पर्ल चौधरी के द्वारा ईमानदारी के साथ पंचायती राज व्यवस्था को गांव गांव तक पहुंचा कर गांव का विकास और ग्रामीणों के सपने साकार किए जाएंगे।
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