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अन्नदाता को चीचड़ कहा, माफी मांगे पीएम मोदी – कैप्टन यादव

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अन्नदाता को चीचड़ कहा, माफी मांगे पीएम मोदी – कैप्टन यादव

आंदोलन के बिना तो भारत देश को भी नहीं मिल सकी है आजादी

आंदोलनजीवी कहना किसानो और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान

देश के किसानों को जुमला नहीं अब एमएसपी पर कानून चाहिए

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री एवं 6 बार एमएलए रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कैप्टन अजय यादव ने बीजेपी सहित पीएम मोदी पर बड़ा हमला बोलते कहा की अब तो किसानों को चीचड़ कहकर अपमान की पराकाष्ठा पार कर दी गई है । उन्होंने कहा अन्नदाता चीचड़  कहे जाने पर पीएम मोदी को माफी मांगनी चाहिए । उन्होंने कहा बीजेपी सहित पीएम मोदी को यह याद रखना चाहिए कि आंदोलन की बदौलत ही भारत देश आजाद हुआ, आंदोलन नहीं होता तो देश भी आजाद नहीं होता। यह बात उन्होंने शनिवार को किसान आंदोलन के समर्थन, केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध सहित बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर पटौदी हलके के विख्यात हेलीमंडी अनाज मंडी क्षेत्र में तिरंगा यात्रा और विरोध प्रदर्शन के बाद में पत्रकारों से बात करते हुए कही ।

इससे पहले विरोध प्रदर्शन करने वाले पटौदी रोड रेलवे स्टेशन से होते हुए नवाबगंज, छोटी बाजारी, शिव मंदिर परिसर, लाइब्रेरी मार्केट, रामपुर गेट , रामपुर चैराहा से होते हुए पंडित श्री राम चैक पहुंचे और यहां पर नारेबाजी करते हुए केंद्र में मोदी की सरकार से पुरजोर मांग की कि आम आदमी के हित में कृषि कानूनों को अविलंब रद्द किया जाए । इसके साथ ही किसान हित में एमएसपी पर कानून बनाया जाए । इस मौके पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने किसानों के द्वारा किए जा रहे आंदोलन में शामिल किसानों को आंदोलनजीवी कहे जाने पर कड़ी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आंदोलन जीवी कहकर पीएम मोदी ने देश के अन्नदाता के साथ-साथ शहीद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, वीर सावरकर सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों का खुलेआम अपमान किया है । उन्होने आरोप लगाया कि बीजेपी आएसएस के एजेंडे पर काम कर रही है, आरएसएस ने कभी भी तिरंगा झंडा नहीं फहराया।

पीएम मोदी को किसानो-स्वतंत्रता सेनसनियों के किए गए अपमान के लिए किसानों के साथ-साथ सभी स्वतंत्रता सेनानियों से माफी मांगनी चाहिए । उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया की अब पीएम मोदी, हम दो -हमारे दो अर्थात पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ अडानी और अंबानी देश में बस यही हम दो हमारे दो दिखाई दे रहे हैं । कृषि कानूनों को लेकर किसानों के द्वारा किए जा रहे आंदोलन का उन्होंने और कांग्रेसी पार्टी की तरफ से खुला समर्थन करते हुए कहा की किसानों को जुमला नहीं एमएसपी पर कानून चाहिए । मौजूदा कृषि कानून पूरी तरह से आम आदमी के विरोध में है , ऐसे कानूनों का सिर्फ और सिर्फ चंद गिनती के ही पूंजीपतियों को लाभ मिलेगा । उन्होंने कहा पूंजी निवेश को बढ़ाकर मोदी सरकार ने 49 प्रतिशत से 74 प्रतिशत तक कर दिया है , ऐसा किया जाने से देश के तमाम सरकारी संस्थान प्रतिष्ठान का निजी करण होना तय है। फिर वह चाहे रेलवे हो बीएसएनल हो एयरपोर्ट हो या अन्य संस्थान हो। एक तरह से मोदी सरकार ने देश को 70 प्रतिशत तक पूजीपतियों के हवाले कर दिया है। सीधे-सीधे शब्दों में निजीकरण किया जा चुका है । आज महंगाई का मुख्य कारण कुछ कुछ पूंजी पतियों को परोक्ष और अपरोक्ष लाभ पहुंचाना ही है ।

उन्होंने कहा एपीएमसी को खत्म करके मोदी सरकार छोटी मंडियों को पूरी तरह से खत्म कर देगी, ऐसा किया जाने से किसान मजदूर और आढ़ती सभी के सामने आर्थिक संकट बनना तय है । पूंजीपति खाद्यान्न और विभिन्न प्रकार का सामान स्टॉक करके रखेंगे और मनमाने दामों पर बेचेंगे । एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की बिहार ,राजस्थान और यूपी में मंडी व्यवस्था है ही नहीं, वहां पर किसान की उपज पर पूंजी पतियों का नियंत्रण और मनमानी चल रही है । हरियाणा और पंजाब का किसान कृषि कानूनों का विरोध इसीलिए कर रहा है कि सबसे अधिक मंडियां पंजाब और हरियाणा में है और ऐसे में यदि केंद्र सरकार के कृषि कानून लागू होते हैं तो हरियाणा पंजाब में छोटी मंडियां भी नहीं बचेंगी। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की बंगाल सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ होना तय है । आज किसान आंदोलन, किसानों का आंदोलन नहीं आम आदमी का आंदोलन बन चुका है । देश में सबसे पहले 1965-66 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा ही एमएसपी लागू किया गया था , इसका एक ही उद्देश्य था कि छोटे-छोटे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए 17 किलोमीटर के दायरे में ही मंडी की सुविधा उपलब्ध हो । उन्होंने कहा की कांग्रेश पार्टी किसानों की मांगों का पूरी तरह से समर्थन करती है और केंद्र सरकार से मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए एमएसपी पर कानून बनाया जाए।

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