पारस अस्पताल प्रबंधन व दो डॉक्टरों पर न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज।
किडनी ट्रांसप्लांट में गड़बड़ी की वजह से मरीज की मौत का मामला ।
गुरुग्राम के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत के आदेश पर सुशांत लोक थाने में मुकदमा दर्ज।
प्रधान संपादक योगेश
पारस हॉस्पिटल प्रबंधन और दो डॉक्टरों के खिलाफ माननीय चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट श्री अनिल कौशिक न्यायालय गुरुग्राम के आदेश पर सुशांत लोक थाने में एफ आई आर दर्ज की गई है।
आरोप है कि फरवरी 2021 में किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान इलाज में हुई गड़बड़ी से मरीज का ब्रेन हेमरेज हो कर कोमा में चले गए थे और फिर होश में नहीं आए।
अस्पताल ने मौखिक रूप से अपनी गलती मानते हुए मरीज के परिजनों को दिया हुआ 12 लाख का बिल भी माफ कर दिया लेकिन हालात बिगड़ने पर व्यक्ति को जबरन डिस्चार्ज कर दिया गया था और घर पर हालात बदतर होने के बाद ना तो एंबुलेंस और ना ही डॉक्टर भेजा गया जिससे अस्पताल लाते पर मरीज की मौत हो गई थी।
सुशांत लोक 2 निवासी मृतक की पत्नी सोनिका पांडे ने अपनी शिकायत में हॉस्पिटल प्रबंधन डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉक्टर शिखा गुलिया वाह डॉ पीएन गुप्ता पर लापरवाही कर उनके पति की मौत के गंभीर आरोप लगाए।
महिला की पुत्री ने अपने पिता के के मृत्यु के दिन ही सुशांत लोक थाने में तहरीर दी थी लेकिन उस पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। उसके बाद महिला ने अपने अधिवक्ता श्री मनीष शांडिल्य गुरुग्राम न्यायालय के द्वारा माननीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में धारा 156 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत विस्तृत शिकायत दी जिस पर न्यायालय में शिकायतकर्ता के अधिवक्ता श्री मनीष शांडिल्य ने शिकायत बाबत विस्तृत बहस करी और न्यायालय को मुकदमे के तथ्यों से अवगत कराया जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए सुशांत लोक थाने को संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश पारित किया। अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने बताया कि शिकायतकर्ता के पति हर्षवर्धन पांडे उम्र 50 साल 2019 से ही पारस अस्पताल में डायलिसिस के इलाज पर चल रहे थे जिनका इलाज डॉक्टर पीएन गुप्ता कर रहे थे। इसी दौरान डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए शिकायतकर्ता के टेस्ट की है और उन्हें किडनी डोनेट करने के लिए कहा बीती 1 फरवरी को किडनी ट्रांसप्लांट किया गया लेकिन मरीज को सांस लेने में बहुत दिक्कत होने लगी तो डॉक्टर पीएन गुप्ता को बताया गया जब दिक्कत ज्यादा और बड़ी तो मरीज बेहोश हो गए उस समय डॉक्टर हॉस्पिटल में नहीं थे जिस पर नर्स ने कॉल कर बात की अगले 4 दिन तक वह बेहोश ही रहे दोबारा टेस्ट और इलाज के बाद उनको होश नहीं आया। फिर बताया गया कि मरीज के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है ब्रेन हेमरेज हो गया है 1 सप्ताह तक आईसीयू में रखने के बाद बगैर बताए जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया मरीज की देखभाल सही से नहीं की जा रही थी तो महिला व उनकी दो बेटियों ने विरोध जताया जिस पर मरीज को डिस्चार्ज करने के लिए अस्पताल ने दबाव बनाना शुरू कर दिया उन्होंने विरोध जताते हुए हॉस्पिटल और डॉक्टर से मरीज को होश में लाने को कहा तो अस्पताल ने बारह लाख का बिल पकड़ा दिया और मरीज को ले जाने को कहा। महिला व उनकी पुत्रियों ने कहा कि यह तो गलत है और मरीज होश में भी नहीं आया।
इसके बाद 19 फरवरी को अस्पताल ने जबरन दबाव बनाकर मरीज को अपने एंबुलेंस से डिस्चार्ज कर उनके घर छुड़वा दिया । घर पर महिला ने प्राइवेट नर्स का इंतजाम किया लेकिन शाम को 6:00 बजे अचानक मरीज का शरीर ठंडा पड़ने लग गया। जब डॉक्टर से बात की तो वह बोले कि एंबुलेंस को अभी भेज रहे हैं लेकिन जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो महिला ने बीमार होने के बावजूद अपनी कार से अपने पति को लेकर किसी तरह अस्पताल गई जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
महिला ने न्यायालय को दी अपनी विस्तृत शिकायत में से हॉस्पिटल और डॉक्टरों पर गंभीर रूप से लापरवाही कर उनके पति के मौत का आरोप लगाया। अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने बताया कि शिकायतकर्ता की शिकायत पर सुशांत लोक थाने में मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तब उन्होंने माननीय न्यायालय का रुख किया जिस पर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में मानते हुए तुरंत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए जिस पर दिनांक 28 अप्रैल 2021 को सुशांत लोक थाने में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया है जिसकी प्रति शिकायतकर्ता को दे दी गई है। सुशांत लोक थाना अध्यक्ष इंस्पेक्टर जंग बहादुर ने कहा है की इस मामले पर न्यायालय के आदेशानुसार जांच करके उचित कार्रवाई की जाएगी और आगामी 7 मई को न्यायालय में कार्रवाई की रिपोर्ट दी जाएगी।
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