Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने डायलिसिस मरीजों के किडनी के स्वास्थ्य जागरूकता के लिए आरडब्ल्यूए के सीनियर सिटीजन एसोसिएशन से हाथ मिलाया

29

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने डायलिसिस मरीजों के किडनी के स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट पर जागरूकता पैदा करने के लिए आरडब्ल्यूए के सीनियर सिटीजन एसोसिएशन से हाथ मिलाया

प्रधान संपादक योगेश

, गुरुग्राम: यह देखा गया है कि कोविड के घातक संक्रमण से उबरने के बाद किडनी की गंभीर चोट का सबसे ज्यादा खतरा होता है। पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने डायलिसिस मरीजों के किडनी के स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट के मुद्दे पर जागरूकता सत्र आयोजित किया। विश्व किडनी दिवस मनाने हेतु आयोजित किए गए कार्यक्रम के लिए प्रमुख मल्टी-स्पेशिलिटी हॉस्पिटल पारस हॉस्पिटल ने आरडब्ल्यूए के सीनियर सिटीजन एसोसिएशन और एनीटाइम फिटनेस के साथ मिलकर काम किया है।

नेशनल किडनी फाउंडेशन के एक सर्वे के अनुसार हॉस्पिटल में भर्ती सभी कोरोनोवायरस मरीजों में से लगभग 15% में एक्यूट किडनी की इंजरी (AKI) हो रही है, जिनमें से कई को अब डायलिसिस की ज़रूरत है। अगर कोई मरीज़ इंसेंटिव केयर यूनिट (आईसीयू) में जाते है, तो उनकी स्थिति और खराब हो जाती है। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि इंसेंटिव केयर वाले 20% और इससे ज्यादा मरीजों मे किडनी ने काम करना बन्द कर दिया था।

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के रीजनल डायरेक्टर डॉ समीर कुलकर्णी ने बताया, “हमने देखा है कि बड़ी संख्या में मरीज जो कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल जा रहे हैं, वे किडनी की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। अगर इस बीमारी को सही समय पर ठीक नहीं किया जाता है, तो हमारा मानना है कि यह एक खतरनाक स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है, इस स्वास्थ्य संकट से अस्पतालों, डायलिसिस क्लीनिक और मरीजों पर ज्यादा दबाव पड़ेगा। दुर्भाग्य से 1.34 अरब लोगों की आबादी वाले भारत में हाई मॉर्टिलिटी और मॉर्बिटी के बावजूद किडनी की बीमारियों के बारे में व्यापक जागरूकता नहीं है। इसलिए हमने विश्व किडनी दिवस पर इस तरह के एक जागरूकता सत्र का आयोजन करने का फैसला किया है।”

कई किडनी मरीजों ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान अपने डायलिसिस सेशन को रोक दिया था। इस वजह से वे किडनी फेलियर के प्रति और ज्यादा संवदेनशील हो गए हैं।

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के नेफ्रोलॉजी के डिपार्टमेंट हेड और डायरेक्टर डॉ पी एन गुप्ता ने कहा, “आपको अपने सभी डायलिसिस इलाजों को कराते रहना चाहिए। एक भी ट्रीटमेंट चूकने से आप बहुत बीमार हो सकते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है। डायलिसिस पर मरीजों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो जाती है, जिस वजह से उनमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है। जो बूढ़े हैं और उन्हें डायबिटीज़ और क्रोनिक हृदय की बीमारी और फेफड़ों की क्रोनिक बीमारी जैसी समस्याएं हैं, तो उन्हे किडनी के बेहतर कामकाज को बनाए रखने के लिए हफ्ते में तीन बार डायलिसिस की आवश्यकता होती है। डायलिसिस अपशिष्ट, नमक और अतिरिक्त पानी को शरीर में बनने से रोकने मे मदद करता है।”

यह कार्यक्रम पेडल फॉर बेटर हेल्थ के साथ समाप्त हुआ। पेडल फॉर बेटर हेल्थ एनीटाइम फिटनेस की एक एयर बाइक चैलेंज है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading