इतिहास की मुख्य घटनाओं सहित पञ्चांग-मुख्यांश ..
इतिहास की मुख्य घटनाओं सहित पञ्चांग-मुख्यांश ..
आज दिनांक 
06 अप्रैल 2022
बुधवारनई दिल्ली अनुसार
शक सम्वत- 1944
विक्रम सम्वत- 2079
मास- चैत्र
पक्ष- शुक्लपक्ष
तिथि- पंचमी-18:03 तक
पश्चात्- षष्ठी
नक्षत्र- रोहिणी-19:40 तक
पश्चात्- मृगशिरा
करण- बालव-18:03 तक
पश्चात्- कौलव
योग- आयुष्मान-08:36 तक
पश्चात्- सौभाग्य
सूर्योदय- 06:06
सूर्यास्त- 18:41
चन्द्रोदय- 09:09
चन्द्रराशि- वृषभ-दिनरात
सूर्यायण – उत्तरायण
गोल- उत्तरगोल
अभिजित- कोई नहीं
राहुकाल- 12:23 से 13:58
ऋतु- वसन्त
दिशाशूल- उत्तर
विशेष
आज बुधवार को
चैत्र सुदी पंचमी 18:03 तक पश्चात् षष्ठी शुरु , श्री (लक्ष्मी )पंचमी , रंग / नाग पंचमी (देशाचारे) , नवरात्रि का पांचवां दिन – मां स्कन्दमाता व्रत – पूजा , श्री रामराज्य महोत्सव (मध्यान्ह व्यापिनी पंचमी कर्क लग्न में ) , कल्पादि 5 , डोलोत्सव हय व्रत , नाग व्रत , सर्वार्थसिद्धियोग / कार्यसिद्धियोग सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक , सर्वदोषनाशक रवि योग 19:40 से , शुक्र शतभिषा नक्षत्र में 15:22 पर , सौभाग्य सूचक रोहिणी व्रत (जैन ) , दशलक्षण व्रतारम्भ / पुष्पांजलि व्रतारम्भ (जैन ) , इस पंचांग को डारेक्ट हमसे प्राप्त करने के लिए “हरियाणा एजुकेशनल अपडेट ” फेसबुक पेज ज्वाइन करें , मेवाड़ उत्सव पूर्ण (उदय ) , भगवान अजितनाथ जी मोक्ष कल्याणक ( जैन , चैत्र शुक्ल पंचमी ) , गुरु श्री हरगोविन्द जी ज्योति ज्योत (प्राचीनमतानुसार) , चौ. देवीलाल पुण्य दिवस , विकास और शान्ति के लिए अन्तर्राष्ट्रीय खेल दिवस व डांडी सत्याग्रह दिवस (1930)।
कल बृहस्पतिवार को
चैत्र सुदी षष्ठी 20:34 तक पश्चात् सप्तमी शुरु , श्री सूर्य षष्ठी व्रत , स्कन्द षष्ठी व्रत (गया में प्रसिद्ध) ,श्री अशोक षष्ठी व्रत (बंगाल ) , नवरात्रि का छठा दिन – मां कात्यायनी व्रत – पूजा , पंचरात्र व्रत (नक्त ) , कुमारव्रत, सर्वदोषनाशक रवि योग 22:41 तक , मंगल कुम्भ राशि में 15:18 पर , दग्धयोग सूर्योदय से 20:33 तक , श्री यमुना छठ / जयन्ती ( चैत्र शुक्ल षष्ठी ) , श्री रामानुजाचार्य जयन्ती (तमिल कलेन्डर के अनुसार 06 मई को ) , भगवान सम्भवनाथ जी मोक्ष कल्याणक ( चैत्र शुक्ल षष्ठी ) , कवि कश्मीरी लाल जाकिर जयन्ती , अभिनेता जितेन्द्र जन्म दिवस व विश्व स्वास्थ्य दिवस।
आज की भक्ति
सिंहासनगता नित्यं
पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी
स्कन्दमाता यशस्विनी॥
भावार्थ
दो हाथों में कमल धारण किए हुए सदा सिंहासन पर आसीन यशस्विनी देवी स्कन्दमाता सदा शुभ फलदात्री हों।
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