पायलट के गढ़ से शुरू होगा ओवैसी का मिशन राजस्थान
पायलट के गढ़ से शुरू होगा ओवैसी का मिशन राजस्थान:मुस्लिम बाहुल्य वाली 40 सीटों पर फोकस, जिनमें 33 अभी कांग्रेस के हाथ में
🌸🌾गहलोत सरकार का इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश होते ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा। इसकी शुरुआत करेंगे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी।
🥀ओवैसी ने इस बार सचिन पायलट के गढ़ टोंक में खड़े होकर राजनीतिक ताल ठोकेंगे। टोंक, मुस्लिम बाहुल्य सीट है। वहां ओवैसी जामा मस्जिद में नमाज भी अदा करेंगे। ओवैसी इसी सीट से राजस्थान की 40 सीटों को टारगेट करेंगे।
🥀ओवैसी 18 और 19 फरवरी को राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। ओवैसी टोंक विधानसभा सीट के साथ ही भरतपुर जिले की मुस्लिम बाहुल्य सीट कामां में भी सभा को सम्बोधित करेंगे। इसके बाद जयपुर में भी अपनी पार्टी से लोगों को अधिक से अधिक जोड़ने के लिए जनसम्पर्क करेंगे। यहां वे अपने कार्यकर्ताओं को अगले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन का सूत्र भी बताएंगे।
इस रिपोर्ट में पढ़िए ओवैसी के दौरे के मायने और कैसे बनेंगे-बिगड़ेंगे राजस्थान के राजनीतिक समीकरण…
मकसद : मुस्लिम वोट बैंक को साधना
कांग्रेस यूपी-बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में हार गई थी। कांग्रेस ने हार का ठीकरा ओवैसी की पार्टी पर फोड़ा था। ओवैसी और उनकी पार्टी ने कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक पर चोट पहुंचाई। कांग्रेस ने आरोप भी लगाए कि ओवैसी को भाजपा ने एजेंट बनाकर मैदान में उतारा।
जाहिर है कि ओवैसी के राजस्थान आने का सबसे बड़ा कारण है, यहां का मुस्लिम वोट बैंक। 2011 की जनगणना में यहां मुस्लिम जनसंख्या 9 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन माना जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव तक इसमें 2 से 3 फीसदी का और इजाफा हो जाएगा। ये कांग्रेस का ही परम्परागत वोट बैंक माना जाता है।
ओवैसी का उद्देश्य है राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा के बाद तीसरी बड़ी ताकत बनना। इसके लिए वे मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर करने की काेशिश कर रहे हैं।
प्लान : 40 सीटों पर चुनाव लड़ना
सूत्रों के अनुसार ओवैसी की इस बार 40 सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतार सकती है। राजस्थान की 40 सीटे हैं, जहां मुस्लिम समाज जीत-हार का फैसला करता है। एआईएमआईएम का आना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी है। ऐसे में कई सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं।
खास बात यह है कि इन 40 सीटों में से सीधे तौर पर 15-16 सीटों पर हर बार मुस्लिम प्रत्याशी ही जीतते हैं। अगले चुनावों में इन सीटों पर जीत-हार को लेकर रोमांच काफी बढ़ जाएगा।
सीटों का गणित : अभी 40 में 33 कांग्रेस के पास
ताजा स्थिति देखें तो राजस्थान की इन 40 सीटों में से 33 कांग्रेस के पास हैं। सरकार बनने और बिगड़ने के खेल में इतनी सीटों की संख्या काफी है। ऐसे में कोई भी पार्टी इनसे हाथ नहीं धोना चाहेगी।
पिछले चुनाव में 40 में 29 सीटों पर कांग्रेस, 7 पर बीजेपी, 3 पर बसपा और 1 पर निर्दलीय को जीत मिली थी। अभी बसपा विधायक और निर्दलीय कांग्रेस के साथ हैं, यानी 33 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।
प्लस पॉइंट: राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नेताओं में शामिल ओवैसी
ओवैसी राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुके नेताओं में शामिल हैं। मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों को मुखरता से उठाते हैं। राजस्थान में करौली, जोधपुर सहित विभिन्न दंगों को लेकर इनके बयान छाए रहे। गहलोत सरकार पर लगातार कानून व्यवस्था, विकास सहित कई मुद्दों पर सवाल खड़े कर सुर्खियां बटोरी। उपस्थिति दर्ज कराई।
माइनस पॉइंट: सिर्फ एक समुदाय के भरोसे तीसरी ताकत बनना आसान नहीं
ओवैसी के लिए चुनाव से पहले संगठन खड़ा करने के लिए सदस्यता अभियान को पूरे प्रदेश तक पहुंचाना आसान नहीं है। एक बड़ी समस्या ये भी है कि फिलहाल उनकी पकड़ सिर्फ मुस्लिम समुदायक तक ही है। जनता के बीच बीजेपी की बी टीम होने के आरोप को झूठा साबित करना। हर क्षेत्र में स्थानीय लीडरशिप तैयार करना। कांग्रेस के परम्परागत मुस्लिमों वोट बैंक में पूरी तरह से सेंध लगाना आसान नहीं होगा।
राजस्थान में पिछले दौरे के समय ओवैसी ने सोशल इंजीनियरिंग की बात की थी, लेकिन कई राज्यों के पिछले विधानसभा चुनाव में सच्चाई किसी से छिपी नहीं है कि उनकी पार्टी की नजरें मुस्लिम वोटरों के भरोसे ही यहां ताल ठोकती है।
तीन महीने पहले भी आए थे राजस्थान
राजस्थान में ओवैसी ने करीब तीन महीने पहले दो दिवसीय दौरा किया था, तब भी कांग्रेस सरकार को खासा टारगेट किया था। उस दौरे के समय आरोप लगाए थे कि 65 लाख की मुस्लिम आबादी के लिए राजस्थान सरकार अपने बजट में 100 करोड़ रुपए के प्रावधान भी नहीं करती। इस आरोप का रिएलिटी चैक करें तो पिछले बजट में ही राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए इससे दुगुना प्रावधान किया हुआ है। कांग्रेस भी मुस्लिम वोटरों को साधे रखा चाहती है।
दावा: सर्वे में लोगों ने दिया समर्थन
एआईएमआईएम ने दावा किया है कि उनकी ओर से पिछले दिनों कराए गए सर्वे में लोगों ने उनकी पार्टी को समर्थन दिया है। सर्वे में मुस्लिम समुदाय ने कहा है कि एआईएमआईएम राजस्थान में आए और मुस्लिम व दलित की आवाज बने।
सर्वे में कहा गया कि मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव होता रहा है और उनके क्षेत्रों में विकास नहीं हो रहा। इसके अलावा एआईएमआईएम आदिवासियों से जुड़ी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी), हनुमान बेनीवाल की बनाई राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) सहित अन्य से गठबंधन के लिए संपर्क का दावा कर रही है।
18 जिलों में 40 सीटें, जिसमें मुस्लिम वोटर प्रमुख
राजस्थान के 18 जिलों में करीब 40 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या चुनाव हार-जीत में अहम रोल निभाती है। जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, अलवर, भरतपुर, नागौर जिलों में स्थित सीटों पर हर चुनाव में 16 के आस-पास मुस्लिम प्रत्याशी जीतते रहे हैं। वहीं, इन जिलों में शामिल करीब 24 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का समर्थन और नाराजगी चुनाव परिणाम प्रभावित कर देते हैं।
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राजस्थान में कांग्रेस अब जल्द ही जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करेगी। राजस्थान से कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि अगले 2 दिन में इस पर फाइनल एक्सरसाइज शुरू हो जाएगी।
इसके बाद कांग्रेस के रायपुर में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले ही जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक कांग्रेस का अधिवेशन होना है।
रंधावा फिलहाल राजस्थान में कोटा के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि अधिवेशन से पहले जिलाध्यक्षों की लिस्ट आएगी।
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